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Chandigarh-Haryana News: नए श्रम कानूनों के विरोध में राज्यस्तरीय प्रदर्शन आज
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सुभाष लांबा (स्वत:)
- फोटो : self
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अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बोले- मजदूरों की गुलामी का दस्तावेज है नए श्रम कानून
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और कर्मचारी संगठनों के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर बुधवार को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर नए श्रम कानूनों के विरोध में प्रदर्शन होगा। सीटू, एटक, इंटक, एचएमएस, एआईयूटीयूसी, सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा सहित बैंक और बीमा कर्मचारियों के संगठन इस प्रदर्शन में शामिल होंगे।
अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि केंद्र सरकार ने मजदूर संगठनों के लगातार विरोध को नजरअंदाज करते हुए 21 नवंबर को चार श्रम कानून लागू करने की अधिसूचना जारी की है। इससे देशभर के मजदूरों और कर्मचारियों में रोष की लहर है। उन्होंने आरोप लगाया कि ये श्रम कानून मजदूरों की गुलामी का दस्तावेज हैं।
लांबा ने कहा कि आजादी से पहले और बाद के संघर्षों के बाद बने 44 श्रम कानूनों को खत्म कर सरकार ने पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए इन्हें चार कानूनों में बदल दिया है। इनके लागू होने के बाद फैक्टरी मालिक बिना सरकारी अनुमति बड़े पैमाने पर छंटनी कर सकेंगे और हड़ताल, यूनियन और सामूहिक सौदेबाजी जैसे श्रमिक अधिकार लगभग खत्म हो जाएंगे।
उधर, बिजली कर्मचारियों ने घोषणा की है कि वे श्रम कानून, बिजली संशोधन बिल और लंबित मांगों के समाधान न होने के विरोध में पंचकूला स्थित एसीएस पावर कार्यालय पर राज्यस्तरीय प्रदर्शन करेंगे। चेयरमैन देवेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि प्रदर्शन में प्रदेशभर से हजारों बिजली कर्मचारी शामिल होंगे।
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अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और कर्मचारी संगठनों के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर बुधवार को प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर नए श्रम कानूनों के विरोध में प्रदर्शन होगा। सीटू, एटक, इंटक, एचएमएस, एआईयूटीयूसी, सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा सहित बैंक और बीमा कर्मचारियों के संगठन इस प्रदर्शन में शामिल होंगे।
अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि केंद्र सरकार ने मजदूर संगठनों के लगातार विरोध को नजरअंदाज करते हुए 21 नवंबर को चार श्रम कानून लागू करने की अधिसूचना जारी की है। इससे देशभर के मजदूरों और कर्मचारियों में रोष की लहर है। उन्होंने आरोप लगाया कि ये श्रम कानून मजदूरों की गुलामी का दस्तावेज हैं।
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लांबा ने कहा कि आजादी से पहले और बाद के संघर्षों के बाद बने 44 श्रम कानूनों को खत्म कर सरकार ने पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए इन्हें चार कानूनों में बदल दिया है। इनके लागू होने के बाद फैक्टरी मालिक बिना सरकारी अनुमति बड़े पैमाने पर छंटनी कर सकेंगे और हड़ताल, यूनियन और सामूहिक सौदेबाजी जैसे श्रमिक अधिकार लगभग खत्म हो जाएंगे।
उधर, बिजली कर्मचारियों ने घोषणा की है कि वे श्रम कानून, बिजली संशोधन बिल और लंबित मांगों के समाधान न होने के विरोध में पंचकूला स्थित एसीएस पावर कार्यालय पर राज्यस्तरीय प्रदर्शन करेंगे। चेयरमैन देवेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि प्रदर्शन में प्रदेशभर से हजारों बिजली कर्मचारी शामिल होंगे।