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स्वामी ब्रह्मानंद का जीवन मानव सेवा, धर्म व राष्ट्र निर्माण को समर्पित रहा : सीएम
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मुख्यमंत्री से उनके आवास पर मिलने पहुंचे स्वामी ब्रह्मानंद के अनुयायी
अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि स्वामी ब्रह्मानंद एक युग पुरुष थे। वे एक ऐसे प्रकाश स्तंभ थे जिनकी किरणें आज भी हमारी संस्कृति, विचारों और समाज को दिशा प्रदान कर रही हैं। मुख्यमंत्री वीरवार देर शाम संत कबीर कुटीर में स्वामी ब्रह्मानंद की जन्मभूमि गांव चूहड़ माजरा से आए अनुयायियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हम ऐसे महान तपस्वी, समाज सुधारक और आध्यात्मिक पुरुष स्वामी ब्रह्मानंद का स्मरण करने के लिए एकत्रित हुए हैं जिनका पूरा जीवन मानव सेवा, धर्म, त्याग और राष्ट्र निर्माण को समर्पित रहा। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष हरविंद्र कल्याण, पुंडरी विधायक सतपाल जांबा सहित कई मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी ब्रह्मानंद अल्पायु में ही घर त्याग कर आध्यात्मिक साधना के मार्ग पर अग्रसर हो गए थे। गुरुकुल कुरुक्षेत्र से उन्होंने वैदिक शिक्षा प्राप्त की और अपना जीवन, कर्म, ज्ञान व तपस्या मानवता के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। उनका आर्य समाज में गहरा विश्वास रहा और वे एकेश्वरवाद, ओंकार और निराकार ईश्वर की उपासना का संदेश देते हुए मानवमात्र की सेवा को ही सच्ची ईश्वर भक्ति मानते थे।
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अमर उजाला ब्यूरो
चंडीगढ़। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि स्वामी ब्रह्मानंद एक युग पुरुष थे। वे एक ऐसे प्रकाश स्तंभ थे जिनकी किरणें आज भी हमारी संस्कृति, विचारों और समाज को दिशा प्रदान कर रही हैं। मुख्यमंत्री वीरवार देर शाम संत कबीर कुटीर में स्वामी ब्रह्मानंद की जन्मभूमि गांव चूहड़ माजरा से आए अनुयायियों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हम ऐसे महान तपस्वी, समाज सुधारक और आध्यात्मिक पुरुष स्वामी ब्रह्मानंद का स्मरण करने के लिए एकत्रित हुए हैं जिनका पूरा जीवन मानव सेवा, धर्म, त्याग और राष्ट्र निर्माण को समर्पित रहा। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष हरविंद्र कल्याण, पुंडरी विधायक सतपाल जांबा सहित कई मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी ब्रह्मानंद अल्पायु में ही घर त्याग कर आध्यात्मिक साधना के मार्ग पर अग्रसर हो गए थे। गुरुकुल कुरुक्षेत्र से उन्होंने वैदिक शिक्षा प्राप्त की और अपना जीवन, कर्म, ज्ञान व तपस्या मानवता के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। उनका आर्य समाज में गहरा विश्वास रहा और वे एकेश्वरवाद, ओंकार और निराकार ईश्वर की उपासना का संदेश देते हुए मानवमात्र की सेवा को ही सच्ची ईश्वर भक्ति मानते थे।
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