हरियाणा में नहीं सुधर रही पुलिस: मानवाधिकार आयोग में सबसे ज्यादा शिकायतें पुलिस के बुरे बर्ताव की
पुलिस के खिलाफ आयोग के पास जो शिकायतें पहुंची हैं, उनमें हिरासत में बिना कपड़ों के आरोपियों को रखना, बिना ठोस कारण के लोगों को पूरी रात रखना, झूठी एफआईआर की धमकी देना शामिल है।
विस्तार
लाख कोशिशों के बावजूद पुलिस के व्यवहार में कोई सुधार नहीं हो रहा। मानवाधिकार आयोग के पास एक साल में सबसे ज्यादा शिकायतें पुलिस विभाग के खिलाफ पहुंची हैं।
पिछले साल नवंबर से लेकर इस साल 27 नवंबर तक कुल 1833 शिकायतें आयोग में दर्ज की गई, जिनमें 1290 यानी 70 फीसदी शिकायतें सिर्फ पुलिस से संबंधित थी। इनमें भी सबसे अधिक शिकायतें पुलिस दुर्व्यवहार से संबंधित हैं। आयोग इन सभी शिकायतों की सुनवाई कर रहा है।
पुलिस के खिलाफ आयोग के पास जो शिकायतें पहुंची हैं, उनमें हिरासत में बिना कपड़ों के आरोपियों को रखना, बिना ठोस कारण के लोगों को पूरी रात रखना, झूठी एफआईआर की धमकी देना शामिल है। मानवाधिकार आयोग के सदस्य दीप भाटिया ने बताया, यह सिर्फ हरियाणा में ही नहीं बल्कि किसी भी प्रदेश के आंकड़े देखेंगे तो सबसे ज्यादा शिकायतें पुलिस के खिलाफ ही होंगी।
दरअसल पुलिस ही सबसे ज्यादा ग्राउंड पर रहती है। कोई भी पीड़ित शिकायत दर्ज कराने के लिए सबसे पहले पुलिस के पास ही जाता है। उन्होंने बताया, पुलिस के बाद पर्यावरण, महिला, स्वास्थ्य, जेल और बच्चों से संबंधित शिकायतें आती हैं। इसके अलावा पीपीपी में त्रुटि व पेंशन रुकने संबंधी शिकायतें भी आयोग के पास खूब पहुंच रही हैं।
पहले नया केस डेढ़ साल बाद लगता था, अब एक से डेढ़ महीने में सुनवाई
साल 2023 से लेकर 2024 तक करीब 14 महीने तक मानवाधिकार आयोग में केस की सुनवाई ठप थी। दरअसल न तो चेयरमैन थे और न ही सदस्य। इससे लंबित केसों की संख्या तेजी से बढ़ती चली गई। एक समय ऐसा आया कि नए केस का नंबर एक से डेढ़ साल के बाद आता था।
आयोग में चेयरमैन और सदस्यों की नियुक्ति के बाद केसों की सुनवाई अब जल्दी होने लगी है। अब नए केस का नंबर एक से डेढ़ महीने में आ जाता है। आयोग का कहना है कि दिसंबर के आखिरी तक लंबित केसों की संख्या काफी घट जाएगी, जिससे नए केसों की सुनवाई अब तीन से चार दिन में हो जाएगी। पांचों दिन केस की सुनवाई हो रही है। इसलिए नए केस जल्दी जल्दी सुने जा रहे हैं।
बिना आए भी आयोग में दर्ज करवा सकते हैं शिकायतें
आयोग में शिकायत दर्ज करवाने के लिए कोई फीस नहीं ली जाती है। इसके साथ यदि कोई शिकायत दर्ज करवाना चाहता है तो वह ईमेल, पोस्ट, आयोग की वेबसाइट या खुद आकर दर्ज करवा सकता है। शिकायत दर्ज करवाते समय शिकायत स्पष्ट होनी चाहिए। शिकायती पत्र में हस्ताक्षर भी होना जरूरी है। कई लोग आयोग में शिकायत भेजने के साथ दूसरे फोरम में भी शिकायत भेज देते हैं, जिसे आयोग खारिज कर देता है। आयोग का कहना है कि इससे पता नहीं चल पता है कि दूसरे फोरम ने क्या जजमेंट दिया है। आयोग प्राइवेट कंपनी व निजी विवादों की सुनवाई नहीं करता है।
इन दो केसों से समझें पुलिस का दुर्व्यवहार
केस वन : सोनीपत में पुलिस ने एक प्रतिष्ठित व्यक्ति मारपीट के आरोप में हिरासत लिया। थाने में रखने के दौरान उसके पूरे कपड़े उतार दिए। पूरी रात उसे बिना कपड़ों के रखा गया। पुलिस ने दलील दी कि कपड़ों की मदद से वह आत्महत्या कर सकता था। इस मामले की सुनवाई आयोग में चल रही है।
केस दो : पुलिस ने 107/51 के अंतर्गत प्रीवेंटिव एक्शन के तहत एक आरोपी को गिरफ्तार कर पूरी रात थाने में रख दिया। पुलिस को शक था कि वह दूसरे पक्ष से झगड़ा कर सकता है। इसी अंदेशा में पुलिस ने उसे रात भर थाने में रखा। आरोपी का कहना है कि इस दौरान उसे प्रताड़ित भी किया गया। आरोपी ने इस मामले की शिकायत आयोग में दी है।
नवंबर 2024 से 27 नवंबर 2025 तक कितनी शिकायतें आईं
बच्चों 36
स्वास्थ्य 65
जेल 62
महिला 143
पुलिस 1290
पर्यावरण 237
पुलिस खास तौर पर थाने के मुलाजिमों को और ज्यादा संवेदनशील होने की आवश्यकता है। आला अधिकारियों को चाहिए कि वह पुलिस मुलाजिमों की नियमित ट्रेनिंग करवाएं। उन्हें लोगों से कैसे बात करनी है। किस तरह केसों की वैज्ञानिक जांच की जानी है। जांच अधिकारियों को भी ट्रेंड करने की जरूरत है। - दीप भाटिया, सदस्य, हरियाणा मानवाधिकार आयोग