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Charkhi Dadri News: विकास, रोजगार के नाम पर बेरहमी से काटी जा रहीं अरावली पहाड़ियां

संवाद न्यूज एजेंसी, चरखी दादरी Updated Fri, 26 Dec 2025 01:56 AM IST
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Aravalli hills are being ruthlessly cut down in the name of development and employment.
गांव पिचौपा में गहराई तक खोदा गया पहाड़। 
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चरखी दादरी। दादरी जिले में अरावली की पहाड़ियां आज बड़े संकट से गुजर रही हैं। विकास और रोजगार के नाम पर इन पहाड़ियों को बेरहमी से काटा जा रहा है। पहाड़ की जगह केवल जमीन समतल हीं नहीं हुई, बल्कि उसे जमीन से करीब 300 फीट गहराई तक खोद दिया है कि जमीन के इस जख्म को भरने में न जानें कितने वर्ष लग जाएंगे। कभी हरियाली और प्राकृतिक संतुलन की पहचान रही अरावली अब गहरे गड्ढों में तब्दील होती जा रही है। ऊपर से पहाड़ का नामो-निशान तक मिटता जा रहा है।
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खनन विभाग की मानें तो जिले में 2303.73 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली अरावली की पहाड़ियां दादरी व आसपास के क्षेत्र के पर्यावरण की रीढ़ मानी जाती हैं। लेकिन इनमें से लगभग 383.7 हेक्टेयर क्षेत्र में खनन गतिविधियां चल रही हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि नए नियमों के चलते दादरी की अधिकतर पहाड़ियां अब संरक्षण की परिधि से बाहर हो सकती हैं। संवाद
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भूजल तक खनन पहुंचने के लगे हैं आरोप
जिले के कई गांवों के ग्रामीण आरोप लगा चुके हैं कि खनन के चलते कई इलाकों में चवे का पानी निकल चुका है। यह साफ संकेत है कि पहाड़ों के भीतर मौजूद प्राकृतिक जल स्रोतों से खिलवाड़ हो चुका है। कई बार कष्ट निवारण समिति की बैठक में अवैध खनन का मामला उठ चुका है। शिकायतों में जमीन के पानी का दोहन करने के आरोप लग चुके हैं।



रेतीली आंधी को रोकते हैं पहाड़

दादरी जनता पीजी काॅलेज के पूर्व प्राचार्य व पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. आरएन यादव का कहना है कि अरावली की पहाड़ियां केवल पत्थर का भंडार नहीं हैं। यही पहाड़ियां भूजल को रोकने, बारिश के पानी को संजोने और तापमान को संतुलित रखने का काम करती हैं। उन्होंने कहा कि इसी तरह खनन जारी रहा तो आने वाले समय में दादरी जिले में जल संकट गहराएगा, जमीन की उर्वरता घटेगी और हीट वेव जैसी समस्याएं आम हो जाएंगी। इसके साथ ही भूस्खलन और भूमि धंसने का खतरा भी बढ़ता जाएगा। उधर, पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले जीव-जंतु खत्म हो जाएंगे तो ईको सिस्टम संकट में आ जाएगा।



सवालों के घेरे में खनन

खनन को लेकर अवैध गतिविधियों के आरोप पहले भी लग चुके हैं। स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि कई जगह तय सीमा से अधिक खुदाई की गई और नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गईं। करीब डेढ़ साल पहले तत्कालीन उपायुक्त मनदीप कौर ने अवैध खनन को लेकर उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट भेजी थी। अवैध खनन की शिकायत पर एक-दो जगहों पर खनन कार्य को बंद भी किया जा चुका है। इसके बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।



सरकार की हो रही आमदनी, खनन से जुड़े 25000 लोग

खनन मुद्दे का दूसरा पक्ष रोजगार से जुड़ा है। खनन उद्योग से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष तौर पर करीब 25,000 लोग जुड़े हुए हैं। सैकड़ों मजदूरों और उनके परिवारों की आजीविका इसी पर निर्भर है। उधर, सरकार को भी राजस्व के रूप में भारी-भरकम आमदनी होती है। इस कारण सरकार भी खनन रोकने में कोई रुचि नहीं दिखा रही है। सरकार को प्रति वर्ष दो अरब रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्त होता है।





20 साल पहले करवाया था खनन बंद : डॉ. यादव

जनता कॉलेज के पूर्व प्राचार्य व पर्यावरणविद् डॉ. आरएन यादव ने बताया कि करीब 20 साल पहले सरकार की ओर से महेंद्रगढ़, भिवानी, रेवाड़ी, फरीदाबाद के क्षेत्र में खनन कार्य शुरू किया गया था। हरियाणा पर्यावरण मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्य होने के नाते उन्होंने अरावली में खनन के नुकसान के पुख्ता तर्क रखे थे। जिसके बाद कोर्ट ने खनन कार्य बंद कर दिया था। लेकिन दक्षिण हरियाणा में खनन माफिया काफी सक्रिय हैं, जिसके कारण उन्होंने यहां पर किसी प्रकार का नुकसान न होने के तथ्य रखकर फिर से कुछ क्षेत्र में खनन फिर से चालू करवा लिया।
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