Haryana: बढ़ती ठंड और घनी धुंध ने बढ़ाई मुश्किलें, मौसम विभाग ने जताई बारिश की संभावना; यह शहर रहा सबसे ठंडा
उत्तर भारत समेत हरियाणा में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है। मौमस विभाग ने नए साल पर बारिश की संभावना जताई है जिससे किसानों को बड़ी राहत मिल सकती है। डिटेल में पढ़ें खबर...
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बुधवार सुबह भी हरियाणा के अधिकांश क्षेत्रों में घना कोहरा छाया रहा जिससे लोगों को काफी परेशानी हुई। करीब 60 दिन बाद हरियाणा में बारिश की संभावना बन रही है। वह भी हरियाणा के कुछ हिस्सों में। मौसम विभाग ने 31 दिसंबर व एक जनवरी को आधे हरियाणा में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना बताई है। इससे पहले हरियाणा में नवंबर के शुरुआती दिनों में कुछ इलाकों में बारिश हुई थी। उसके बाद 30 दिसंबर तक बारिश नहीं हुई। बारिश नहीं होने से कई शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) तय सीमा से बढ़ा हुआ है। वहीं, फसलों पर भी असर पड़ रहा है।
नवंबर में आमतौर पर 3.8 एमएम सामान्य बारिश दर्ज की जाती है। बीते नवंबर में सिर्फ 0.8 एमएम बारिश दर्ज की गई। वहीं, दिसंबर में सामान्य बारिश 8.8 एमएम दर्ज की जाती है। मगर अभी तक बारिश की एक बूंद भी नहीं पड़ी है। 31 दिसंबर को भी अगर बारिश नहीं हुई तो 24 साल में तीसरी बार ऐसा साल होगा, जब शून्य बारिश दर्ज की गई हो। साल 2024 में 26.1 एमएम, साल 2023 में 2.9 एमएम, साल 2022 में 0.0, 2021 में 2.5, 2020 में 2.2, 2019 में 11.8 एमएम, 2018 में 5.4 एमएम, 2017 में 5.3 एमएम, 2016 में 2.6 एमएम बारिश दर्ज की गई थी। पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. रविंद्रा खैवाल ने बताया, बारिश नहीं होने से प्रदूषण के कण हवा में है। इससे लोगों को खराश, खांसी व अन्य दिक्कतें हो रही हैं। बारिश होने से प्रदूषण के कण बह जाते हैं। इस समय हवा की गति भी कमजोर है। इससे भी असर पड़ रहा है।
दिन में और गिरा तापमान, आज इन शहरों में बारिश के आसार
हरियाणा में दिन के वक्त ठंड और बढ़ गई है। राज्य में दिन के तापमान में औसतन 2.3 डिग्री की गिरावट दर्ज की गई है। राज्य में सबसे कम अधिकतम तापमान सोनीपत में 14.4 डिग्री दर्ज किया गया है। वहीं, रात का सबसे कम तापमान 3.8 डिग्री नारनौल में दर्ज किया गया। मौसम विभाग ने कोहरे को लेकर यलो अलर्ट जारी किया है। वहीं, एक जनवरी को पंचकूला, अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, सोनीपत, पानीपत व जींद में बारिश की संभावना है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक डॉ. वीरेंद्र सिंह लाठर ने बताया, सरसों, चना, जौ की फसलों को पानी की जरूरत पड़ती है। उन्हें नमी चाहिए होती है। बारिश नहीं होने से इन फसलों पर नुकसान का असर देखा जा सकता है। इन फसलों का उत्पादन भी प्रभावित हो सकता है। वहीं, बारिश नहीं होने से ठंड का असर बढ़ जाता है। इससे पाला पड़ने की संभावना ज्यादा देखी जाती है। हिसार जोन में पाला पड़ रहा है।
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