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Fatehabad News: पांच हजार करोड़ के धान घोटाले की सीबीआई को सौंपी जाए जांच
संवाद न्यूज एजेंसी, फतेहाबाद
Updated Sat, 20 Dec 2025 11:32 PM IST
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धान घोटाले की जांच को लेकर एसडीएम को ज्ञापन देते किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी। संवाद
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टोहाना। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने फतेहाबाद में 5,000 करोड़ रुपये के धान घोटाले का आरोप लगाया है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नायब सैनी के नाम एसडीएम आकाश शर्मा को ज्ञापन सौंपते हुए मामले की सीबीआई जांच की मांग की।
चढूनी ने दावा किया कि जिले में हरियाणा का सबसे बड़ा धान घोटाला हुआ है और इसी कारण विरोध प्रदर्शन की शुरुआत यहां से की गई है। प्रदेश में जिला स्तर पर प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपे जाएंगे। चढूनी ने कहा कि कुरुक्षेत्र में भी धान घोटाला हुआ था, जिसकी प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जबकि फतेहाबाद में अभी तक कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है।
उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार और उत्तर प्रदेश से चावल मंगाया जा रहा है, लेकिन सरकार इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही। ज्ञापन में धान घोटाले के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य, महंगाई और कृषि से संबंधित मुद्दों पर भी जोर दिया गया। किसान कर्ज माफी की मांग उठाते हुए कहा गया कि बढ़ती लागत और उचित मूल्य न मिलने से किसान कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है।
इसके साथ ही सभी फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की कानूनी गारंटी सुनिश्चित करने और चिकित्सा और शिक्षा क्षेत्रों में सुधार की जरूरत पर भी ध्यान आकर्षित किया गया। चढूनी ने चेतावनी दी कि सरकार अगर इन मांगों पर ध्यान नहीं देती, तो किसान आंदोलन और तेज करेंगे।
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चढूनी ने दावा किया कि जिले में हरियाणा का सबसे बड़ा धान घोटाला हुआ है और इसी कारण विरोध प्रदर्शन की शुरुआत यहां से की गई है। प्रदेश में जिला स्तर पर प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपे जाएंगे। चढूनी ने कहा कि कुरुक्षेत्र में भी धान घोटाला हुआ था, जिसकी प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जबकि फतेहाबाद में अभी तक कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है।
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उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार और उत्तर प्रदेश से चावल मंगाया जा रहा है, लेकिन सरकार इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही। ज्ञापन में धान घोटाले के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य, महंगाई और कृषि से संबंधित मुद्दों पर भी जोर दिया गया। किसान कर्ज माफी की मांग उठाते हुए कहा गया कि बढ़ती लागत और उचित मूल्य न मिलने से किसान कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है।
इसके साथ ही सभी फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की कानूनी गारंटी सुनिश्चित करने और चिकित्सा और शिक्षा क्षेत्रों में सुधार की जरूरत पर भी ध्यान आकर्षित किया गया। चढूनी ने चेतावनी दी कि सरकार अगर इन मांगों पर ध्यान नहीं देती, तो किसान आंदोलन और तेज करेंगे।