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Hisar News: सात साल बाद जर्जर टीबी अस्पताल भवन होगा खाली
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टीबी अस्पताल परिसर में भरा सीवरलाइन का गंदा पानी।
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हिसार। पुराना टीबी अस्पताल भवन अब सप्ताहभर में खाली कर दिया जाएगा। यह जर्जर भवन सात साल से नवनिर्माण की योजना में था, लेकिन अब आखिरकार इसे खाली करने के आदेश दिए गए हैं। अगले सप्ताह से अस्पताल की ओपीडी रोगी कल्याण समिति के भवन में चलेगी, जबकि कार्यालय का संचालन केंद्रीय भंडार के भवन में होगा।
टीबी अस्पताल की स्थापना के समय यहां 75 बेड की सुविधा थी, जो धीरे-धीरे घटती गई और अब केवल 12 बेड उपलब्ध हैं। जिले में टीबी के मरीजों की संख्या करीब 4,000 है, जिसके चलते नए परिसर में दो कमरों में 20 बेड लगाए जाएंगे। दिसंबर 2018 में जिला प्रशासन ने इस दो मंजिला अस्पताल भवन को जर्जर घोषित कर दिया था और इसे गिराने के लिए 4.5 लाख रुपये का बजट भी जारी किया था। हालांकि, तब से अब तक भवन को गिराने की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है।
हाल ही में, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की टीम ने 20-28 नवंबर तक टीबी अस्पताल का निरीक्षण किया और इस जर्जर भवन में अस्पताल और कार्यालय संचालन पर आपत्ति जताई थी। इसके बाद, अस्पताल के अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार ने सभी कर्मचारियों को पत्र जारी कर उन्हें यथाशीघ्र जर्जर भवन को छोड़ने का निर्देश दिया है।
नए स्थानों पर संचालन
डॉ. जितेंद्र ने बताया कि टीबी अस्पताल के कार्यालय के लिपिकीय कर्मचारियों को केंद्रीय भंडार भवन में स्थानांतरित किया गया है, जबकि ओपीडी, मरीजों का इलाज, आईसीटीसी और पूरी लैब की सुविधा रोगी कल्याण समिति के भवन में मिलेगी। फिलहाल, एक्सरे मशीन का संचालन पुराने भवन में जारी रहेगा। अस्पताल के नए परिसर में एक कमरा लैब के लिए और दूसरा नर्सिंग अधिकारी के लिए निर्धारित किया गया है। मरीजों और उनके परिजनों के लिए बैठने की व्यवस्था पार्क में की गई है।
टीबी अस्पताल में पानी भरने की समस्या
टीबी अस्पताल परिसर में वीरवार को भी गंदा पानी भरा रहा। गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय (जीजेयू) के पास डिस्पोजल निर्माण कार्य के चलते बुधवारकको ऑटो मार्केट और अस्पताल परिसर में पानी भर गया था। स्थानीय लोगों की शिकायत के बाद जनस्वास्थ्य विभाग ने सुधार कार्य किया और पानी सूख गया, लेकिन निचले इलाके में स्थित टीबी अस्पताल परिसर में पानी की निकासी नहीं हो सकी। गंदा पानी भरने से बदबू के साथ-साथ संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।
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टीबी अस्पताल की स्थापना के समय यहां 75 बेड की सुविधा थी, जो धीरे-धीरे घटती गई और अब केवल 12 बेड उपलब्ध हैं। जिले में टीबी के मरीजों की संख्या करीब 4,000 है, जिसके चलते नए परिसर में दो कमरों में 20 बेड लगाए जाएंगे। दिसंबर 2018 में जिला प्रशासन ने इस दो मंजिला अस्पताल भवन को जर्जर घोषित कर दिया था और इसे गिराने के लिए 4.5 लाख रुपये का बजट भी जारी किया था। हालांकि, तब से अब तक भवन को गिराने की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है।
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हाल ही में, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की टीम ने 20-28 नवंबर तक टीबी अस्पताल का निरीक्षण किया और इस जर्जर भवन में अस्पताल और कार्यालय संचालन पर आपत्ति जताई थी। इसके बाद, अस्पताल के अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार ने सभी कर्मचारियों को पत्र जारी कर उन्हें यथाशीघ्र जर्जर भवन को छोड़ने का निर्देश दिया है।
नए स्थानों पर संचालन
डॉ. जितेंद्र ने बताया कि टीबी अस्पताल के कार्यालय के लिपिकीय कर्मचारियों को केंद्रीय भंडार भवन में स्थानांतरित किया गया है, जबकि ओपीडी, मरीजों का इलाज, आईसीटीसी और पूरी लैब की सुविधा रोगी कल्याण समिति के भवन में मिलेगी। फिलहाल, एक्सरे मशीन का संचालन पुराने भवन में जारी रहेगा। अस्पताल के नए परिसर में एक कमरा लैब के लिए और दूसरा नर्सिंग अधिकारी के लिए निर्धारित किया गया है। मरीजों और उनके परिजनों के लिए बैठने की व्यवस्था पार्क में की गई है।
टीबी अस्पताल में पानी भरने की समस्या
टीबी अस्पताल परिसर में वीरवार को भी गंदा पानी भरा रहा। गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय (जीजेयू) के पास डिस्पोजल निर्माण कार्य के चलते बुधवारकको ऑटो मार्केट और अस्पताल परिसर में पानी भर गया था। स्थानीय लोगों की शिकायत के बाद जनस्वास्थ्य विभाग ने सुधार कार्य किया और पानी सूख गया, लेकिन निचले इलाके में स्थित टीबी अस्पताल परिसर में पानी की निकासी नहीं हो सकी। गंदा पानी भरने से बदबू के साथ-साथ संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।