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Hisar News: आधुनिक कृषि तकनीकों और उर्वरक प्रबंधन की जानकारी दी
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बास के सीसर में किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों और उर्वरक प्रबंधन की जानकारी देते वक्ता।
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बास। इफको की ओर से बुधवार को गांव सीसर में खेत दिवस का आयोजन किया गया, जिसमें किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों और उर्वरक प्रबंधन की जानकारी प्रदान की गई। कार्यक्रम में क्षेत्र के 80 से अधिक किसान पहुंचे।
मधु सिंह कार्यक्रम की मुख्य अतिथि रहीं। सीसर के सरपंच रामनिवास ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कार्यक्रम में किसान सेवा केंद्र सीसर के अनिल गोयत, इफ्को हांसी से पारस सहित कई अधिकारियों और विशेषज्ञों ने किसानों को बदलते कृषि परिदृश्य में उर्वरकों के प्रबंधन, मिट्टी के स्वास्थ्य और फसल उत्पादन बढ़ाने के आधुनिक उपायों के बारे में बताया।
नैनो उर्वरकों के लाभ और उनके उपयोग की विधि बताई गई। विशेषज्ञों ने बताया कि नैनो यूरिया और नैनो डीएपी जैसे उर्वरक पारंपरिक उर्वरकों की तुलना में अधिक प्रभावी, कम लागत वाले और पर्यावरण के अनुकूल हैं। इनके उपयोग से मिट्टी की उर्वरता और फसल की उत्पादकता में सुधार संभव है। इसके साथ ही किसानों को जल घुलनशील उर्वरकों के प्रयोग की भी जानकारी दी गई।
विशेषज्ञों ने बताया कि ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम के साथ इन उर्वरकों का उपयोग फसलों को संतुलित पोषण देता है और पानी की बचत भी करता है। कार्यक्रम में किसानों को बायो-डीकंपोजर के माध्यम से धान की पराली प्रबंधन करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
विशेषज्ञों ने बताया कि बायो-डीकंपोजर पराली को सड़ाने में मदद करता है, जिससे खेत की मिट्टी में जैविक तत्व बढ़ते हैं और खेत दोबारा बोवाई के लिए जल्दी तैयार हो जाता है। इससे प्रदूषण कम होता है और लागत भी घटती है। कार्यक्रम को बेहद उपयोगी बताते हुए किसानों ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं उन्हें नई तकनीकों को अपनाने में मदद करती हैं।
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मधु सिंह कार्यक्रम की मुख्य अतिथि रहीं। सीसर के सरपंच रामनिवास ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कार्यक्रम में किसान सेवा केंद्र सीसर के अनिल गोयत, इफ्को हांसी से पारस सहित कई अधिकारियों और विशेषज्ञों ने किसानों को बदलते कृषि परिदृश्य में उर्वरकों के प्रबंधन, मिट्टी के स्वास्थ्य और फसल उत्पादन बढ़ाने के आधुनिक उपायों के बारे में बताया।
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नैनो उर्वरकों के लाभ और उनके उपयोग की विधि बताई गई। विशेषज्ञों ने बताया कि नैनो यूरिया और नैनो डीएपी जैसे उर्वरक पारंपरिक उर्वरकों की तुलना में अधिक प्रभावी, कम लागत वाले और पर्यावरण के अनुकूल हैं। इनके उपयोग से मिट्टी की उर्वरता और फसल की उत्पादकता में सुधार संभव है। इसके साथ ही किसानों को जल घुलनशील उर्वरकों के प्रयोग की भी जानकारी दी गई।
विशेषज्ञों ने बताया कि ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम के साथ इन उर्वरकों का उपयोग फसलों को संतुलित पोषण देता है और पानी की बचत भी करता है। कार्यक्रम में किसानों को बायो-डीकंपोजर के माध्यम से धान की पराली प्रबंधन करने के लिए प्रोत्साहित किया गया।
विशेषज्ञों ने बताया कि बायो-डीकंपोजर पराली को सड़ाने में मदद करता है, जिससे खेत की मिट्टी में जैविक तत्व बढ़ते हैं और खेत दोबारा बोवाई के लिए जल्दी तैयार हो जाता है। इससे प्रदूषण कम होता है और लागत भी घटती है। कार्यक्रम को बेहद उपयोगी बताते हुए किसानों ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं उन्हें नई तकनीकों को अपनाने में मदद करती हैं।