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Hisar News: कोहरे का इंतजार...ठंड के साथ चमकेगा रजाई का कारोबार
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हिसार में रजाई में रुई भरता व्यक्ति।
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हिसार। ठंड के मौसम के साथ लोग रजाई, गद्दे, कंबल, मफलर, दस्ताने और अन्य ऊनी कपड़े खरीदने लगते हैं, लेकिन इस साल अभी तक ठंड पूरी तरह से नहीं घिरी है। दिन में धूप निकलने से लोगों को राहत मिल रही है, जिससे इन मौसमी वस्तुओं की मांग में अभी तक कोई खास वृद्धि नहीं देखी गई है। हालांकि जैसे-जैसे कोहरे की तीव्रता बढ़ेगी, इन वस्तुओं की मांग बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।
वहीं, इस साल अतिवृष्टि के कारण कई गांवों में जलभराव हो गया था और खेतों में कई माह तक पानी भरा रहा। इससे कपास का उत्पादन घटा है, लेकिन अब तक किसानों को मुआवजा नहीं मिल सका है। अधिकतर किसान अब कपास सीधे कपास निगम या धागा मिलों को सप्लाई कर रहे हैं, जिसके कारण मंडियों में कपास की आवक नगण्य रही है। फिर भी कारोबारी अपने स्तर पर आपूर्ति और मांग के संतुलन को बनाए रखने का प्रयास कर रहे हैं।
मांग के अनुरूप उपलब्धता का प्रयास
हमारे परिजन पुस्तैनी रूप से रुई से गद्दे बनाते और बेचते हैं। इसी कारण हमारे पास सालभर गद्दा, रजाई की उपलब्धता, मांग, पूर्ति जारी रहती है। - सुमित, एमसी/डीसी काॅलोनी।
पहले सिर्फ रुई के गद्दा, रजाई बिकते थे। इस रुई की दोबारा धुनाई हो सकती है लेकिन अब फाइबर वाली गद्दा, रजाई भी काफी बिक रही है। - चरण सिंह, दुर्गा काॅलोनी, हिसार।
मैं और मेरे पिताजी हेमपाल रावत भी साउथ बाईपास और कैमरी रोड पर दो स्थानों पर धुनाई मशीन चलाते हैं। वहीं पर हम सपरिवार तगाई भी करते हैं। - गोपाल रावत, वेदा अस्पताल।
मैं अपने परिजनों के साथ कई साल से रुई के गद्दा, रजाई बनाकर तगाई करती हूं। यह सीजनल काम है। इस कारण गर्मियों में कारोबार बदलना पड़ता है। - रोशनी, साउथ बाईपास, कैमरी रोड।
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वहीं, इस साल अतिवृष्टि के कारण कई गांवों में जलभराव हो गया था और खेतों में कई माह तक पानी भरा रहा। इससे कपास का उत्पादन घटा है, लेकिन अब तक किसानों को मुआवजा नहीं मिल सका है। अधिकतर किसान अब कपास सीधे कपास निगम या धागा मिलों को सप्लाई कर रहे हैं, जिसके कारण मंडियों में कपास की आवक नगण्य रही है। फिर भी कारोबारी अपने स्तर पर आपूर्ति और मांग के संतुलन को बनाए रखने का प्रयास कर रहे हैं।
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मांग के अनुरूप उपलब्धता का प्रयास
हमारे परिजन पुस्तैनी रूप से रुई से गद्दे बनाते और बेचते हैं। इसी कारण हमारे पास सालभर गद्दा, रजाई की उपलब्धता, मांग, पूर्ति जारी रहती है। - सुमित, एमसी/डीसी काॅलोनी।
पहले सिर्फ रुई के गद्दा, रजाई बिकते थे। इस रुई की दोबारा धुनाई हो सकती है लेकिन अब फाइबर वाली गद्दा, रजाई भी काफी बिक रही है। - चरण सिंह, दुर्गा काॅलोनी, हिसार।
मैं और मेरे पिताजी हेमपाल रावत भी साउथ बाईपास और कैमरी रोड पर दो स्थानों पर धुनाई मशीन चलाते हैं। वहीं पर हम सपरिवार तगाई भी करते हैं। - गोपाल रावत, वेदा अस्पताल।
मैं अपने परिजनों के साथ कई साल से रुई के गद्दा, रजाई बनाकर तगाई करती हूं। यह सीजनल काम है। इस कारण गर्मियों में कारोबार बदलना पड़ता है। - रोशनी, साउथ बाईपास, कैमरी रोड।