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आयुष्मान : निजी अस्पतालों में छोटी सर्जरी बंद करने पर आईएमए ने उठाए सवाल
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संवाद न्यूज एजेंसी
करनाल। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने सरकार के उस फैसले पर सवाल उठाए हैं, जिसके तहत जिले के आयुष्मान पैनल से जुड़े निजी अस्पतालों में 11 तरह की छोटी सर्जरी बंद कर दी गई हैं। आईएमए का कहना है कि जब सरकार के पास इन सर्जरियों के लिए न तो पर्याप्त डॉक्टर हैं और न ही संसाधन, तो मरीजों को सरकारी अस्पतालों में भेजकर उनकी मुश्किलें क्यों बढ़ाई जा रही हैं।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार ने आयुष्मान योजना के पैनल से जुड़े निजी अस्पतालों में 11 तरह की सर्जरी बंद करने का आदेश जारी किया है। इनमें घुटना बदलना, हिप रिप्लेसमेंट, हर्निया रिपेयर, एडिनॉयडेक्टोमी, टॉन्सिलेक्टोमी, हाइड्रोसील, अपेंडिसाइटिस और सर्कम्सिशन जैसी सामान्य सर्जरी शामिल हैं। सरकारी अस्पतालों के पास पर्याप्त सर्जन और ऑपरेशन थिएटर तक नहीं हैं कि घुटना, हिप रिप्लेसमेंट, हर्निया या टॉन्सिल जैसी आम सर्जरी अब वहीं हों। जबकि निजी अस्पतालों में ये सभी सर्जरी लंबित होने के बावजूद की जा रही थी।
आईएमए प्रधान डॉ. दीपक प्रकाश का कहना है कि उन्होंने कहा कि जिले के 10 ऑर्थोपेडिक, 6 नेत्र और 34 जनरल सर्जरी वाले निजी अस्पतालों में रोजाना करीब 250 से 300 के करीब सर्जरियां होती थीं। वहीं एक दिन में हर तरह की सर्जरी करना भी मुमकिन नहीं तो फिर भी सरकारी ने बंद कर दीं। अगर इतने मरीज एक ही दिन सरकारी अस्पतालों की ओर रुख करेंगे, तो क्या वहां एक दिन में इतने ऑपरेशन संभव हैं।
डॉ. दीपक प्रकाश ने कहा कि सरकार ने छोटी सर्जरियां तो बंद कर दीं, लेकिन बड़ी सर्जरियां जैसे कार्डियक, बायपास, न्यूरो, ब्रेन ट्यूमर, स्टेंट, किडनी स्टोन और प्लास्टिक सर्जरी जारी रखी हैं। जब इन बड़ी सर्जरियों के डॉक्टर और उपकरण सरकारी अस्पतालों में नहीं हैं, तो इन्हें क्यों नहीं बंद किया गया? उन्होंने कहा कि सरकार के पास करीब छह से पांच करोड़ बकाया था जिसमें से सरकार ने आधा ही भुगतान किया है।
करनाल। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने सरकार के उस फैसले पर सवाल उठाए हैं, जिसके तहत जिले के आयुष्मान पैनल से जुड़े निजी अस्पतालों में 11 तरह की छोटी सर्जरी बंद कर दी गई हैं। आईएमए का कहना है कि जब सरकार के पास इन सर्जरियों के लिए न तो पर्याप्त डॉक्टर हैं और न ही संसाधन, तो मरीजों को सरकारी अस्पतालों में भेजकर उनकी मुश्किलें क्यों बढ़ाई जा रही हैं।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार ने आयुष्मान योजना के पैनल से जुड़े निजी अस्पतालों में 11 तरह की सर्जरी बंद करने का आदेश जारी किया है। इनमें घुटना बदलना, हिप रिप्लेसमेंट, हर्निया रिपेयर, एडिनॉयडेक्टोमी, टॉन्सिलेक्टोमी, हाइड्रोसील, अपेंडिसाइटिस और सर्कम्सिशन जैसी सामान्य सर्जरी शामिल हैं। सरकारी अस्पतालों के पास पर्याप्त सर्जन और ऑपरेशन थिएटर तक नहीं हैं कि घुटना, हिप रिप्लेसमेंट, हर्निया या टॉन्सिल जैसी आम सर्जरी अब वहीं हों। जबकि निजी अस्पतालों में ये सभी सर्जरी लंबित होने के बावजूद की जा रही थी।
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आईएमए प्रधान डॉ. दीपक प्रकाश का कहना है कि उन्होंने कहा कि जिले के 10 ऑर्थोपेडिक, 6 नेत्र और 34 जनरल सर्जरी वाले निजी अस्पतालों में रोजाना करीब 250 से 300 के करीब सर्जरियां होती थीं। वहीं एक दिन में हर तरह की सर्जरी करना भी मुमकिन नहीं तो फिर भी सरकारी ने बंद कर दीं। अगर इतने मरीज एक ही दिन सरकारी अस्पतालों की ओर रुख करेंगे, तो क्या वहां एक दिन में इतने ऑपरेशन संभव हैं।
डॉ. दीपक प्रकाश ने कहा कि सरकार ने छोटी सर्जरियां तो बंद कर दीं, लेकिन बड़ी सर्जरियां जैसे कार्डियक, बायपास, न्यूरो, ब्रेन ट्यूमर, स्टेंट, किडनी स्टोन और प्लास्टिक सर्जरी जारी रखी हैं। जब इन बड़ी सर्जरियों के डॉक्टर और उपकरण सरकारी अस्पतालों में नहीं हैं, तो इन्हें क्यों नहीं बंद किया गया? उन्होंने कहा कि सरकार के पास करीब छह से पांच करोड़ बकाया था जिसमें से सरकार ने आधा ही भुगतान किया है।