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    Karnal News: ठंडी हवा से सोरायसिस मरीजों की बढ़ी पीड़ा, हर दिन आ रहे हैं 30 तक मरीज
 
            	    संवाद न्यूज एजेंसी, करनाल             
                        
       Updated Thu, 30 Oct 2025 01:59 AM IST
        
       
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                संवाद न्यूज एजेंसी
                                
                
                
                 
                    
                                                                                                        
                                                
                        
                        
 
                        
                                                                                      
                   
    
                                                                        
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                                
                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
करनाल। बदलते मौसम के साथ सोरायसिस के मरीजों की पीड़ा बढ़ गई है। नागरिक अस्पताल की त्वचा रोग ओपीडी में रोजाना 25 से 30 लोग रूखेपन, खुजली, लाल चकत्ते और पपड़ीदार त्वचा की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि ठंड में समस्या उभर आती है। त्वचा में नमी कम हो जाती है।
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
जिला नागरिक अस्पताल के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप ने बताया कि सोरायसिस की समस्या ठंड में बढ़ जाती है। क्योंकि यह खुश्क मौसम होता है। मरीजों को दवा के साथ-साथ नियमित माॅश्चराइजर का प्रयोग करना चाहिए। तनाव से दूरी बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि ठंड में शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर मोटी, सूखी और पपड़ीदार परतें बन जाती हैं। परतें आमतौर पर कोहनी, घुटनों, सिर की त्वचा, पीठ और पैरों पर ज्यादा दिखती हैं। इन जगहों पर लालिमा और खुजली रहती है, कई बार दर्द और जलन भी होती है।    
             
                                                    
                                 
                                
                               
                                                                
                                                 
                
उन्होंने बताया कि यह बीमारी तब बढ़ती है जब त्वचा की कोशिकाएं सामान्य से कई गुना तेजी से बनने लगती हैं। त्वचा की मृत कोशिकाएं झड़ नहीं पातीं, जिससे परतें जमा हो जाती हैं। उन्होंने कहा पांच से दस साल तक अगर इलाज न कराया जाए, तो सोरायसिस सोरियाटिक आर्थराइटिस का रूप ले लेता है, जिससे जोड़ों में दर्द और अकड़न बढ़ जाती है।
                                
                
                
                                
                
                                                                                     
            
                            
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                
तनाव से और बढ़ जाती है समस्या
मनोचिकित्सक डॉ. सौभाग्य कौशिक ने बताया कि मानसिक तनाव इस बीमारी के लक्षणों को दोगुना कर देता है। जब व्यक्ति चिंता में रहता है तो शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ता है, जिससे इम्यून सिस्टम और कमजोर पड़ जाता है और घाव तेजी से उभरते हैं। उन्होंने कहा कि योग, ध्यान, सुबह की धूप, अच्छा आहार और संतुलित नींद सोरायसिस रोगियों के लिए दवा जितनी ही जरूरी हैं।
क्यों होती है बीमारी
सोरायसिस इम्यून सिस्टम की गड़बड़ी से होती है। शरीर गलती से अपनी ही स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करने लगता है। यह बीमारी आनुवांशिक नहीं है, लेकिन परिवार में किसी को होने पर जोखिम थोड़ा बढ़ सकता है। डॉ. प्रदीप ने बताया कि सोरायसिस छूने से फैलने वाला रोग नहीं है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली की कमजोरी से जुड़ा जटिल त्वचा विकार है।
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                                 
                 
                                
                                
                
                
                                
                
                                                                                        
                                 
                                
                               
                                
                                
                                
                
                                                                
                               
                                                        
         
करनाल। बदलते मौसम के साथ सोरायसिस के मरीजों की पीड़ा बढ़ गई है। नागरिक अस्पताल की त्वचा रोग ओपीडी में रोजाना 25 से 30 लोग रूखेपन, खुजली, लाल चकत्ते और पपड़ीदार त्वचा की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि ठंड में समस्या उभर आती है। त्वचा में नमी कम हो जाती है।
जिला नागरिक अस्पताल के त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप ने बताया कि सोरायसिस की समस्या ठंड में बढ़ जाती है। क्योंकि यह खुश्क मौसम होता है। मरीजों को दवा के साथ-साथ नियमित माॅश्चराइजर का प्रयोग करना चाहिए। तनाव से दूरी बहुत जरूरी है। उन्होंने बताया कि ठंड में शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर मोटी, सूखी और पपड़ीदार परतें बन जाती हैं। परतें आमतौर पर कोहनी, घुटनों, सिर की त्वचा, पीठ और पैरों पर ज्यादा दिखती हैं। इन जगहों पर लालिमा और खुजली रहती है, कई बार दर्द और जलन भी होती है।
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            उन्होंने बताया कि यह बीमारी तब बढ़ती है जब त्वचा की कोशिकाएं सामान्य से कई गुना तेजी से बनने लगती हैं। त्वचा की मृत कोशिकाएं झड़ नहीं पातीं, जिससे परतें जमा हो जाती हैं। उन्होंने कहा पांच से दस साल तक अगर इलाज न कराया जाए, तो सोरायसिस सोरियाटिक आर्थराइटिस का रूप ले लेता है, जिससे जोड़ों में दर्द और अकड़न बढ़ जाती है।
तनाव से और बढ़ जाती है समस्या
मनोचिकित्सक डॉ. सौभाग्य कौशिक ने बताया कि मानसिक तनाव इस बीमारी के लक्षणों को दोगुना कर देता है। जब व्यक्ति चिंता में रहता है तो शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन बढ़ता है, जिससे इम्यून सिस्टम और कमजोर पड़ जाता है और घाव तेजी से उभरते हैं। उन्होंने कहा कि योग, ध्यान, सुबह की धूप, अच्छा आहार और संतुलित नींद सोरायसिस रोगियों के लिए दवा जितनी ही जरूरी हैं।
क्यों होती है बीमारी
सोरायसिस इम्यून सिस्टम की गड़बड़ी से होती है। शरीर गलती से अपनी ही स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करने लगता है। यह बीमारी आनुवांशिक नहीं है, लेकिन परिवार में किसी को होने पर जोखिम थोड़ा बढ़ सकता है। डॉ. प्रदीप ने बताया कि सोरायसिस छूने से फैलने वाला रोग नहीं है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली की कमजोरी से जुड़ा जटिल त्वचा विकार है।