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Karnal News: भूख हड़ताल पर बैठे किसान, बोले- जल्द शुरू हो धान खरीद
संवाद न्यूज एजेंसी, करनाल
Updated Fri, 19 Sep 2025 02:10 AM IST
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53....लघु सचिवालय के सामने प्रदर्शन करते किसान। संवाद
- फोटो : स्रोत कार्डियोलोजी
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संवाद न्यूज एजेंसी
करनाल। धान की खरीद शुरू करवाने के लिए भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के सदस्यों ने वीरवार सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक लघु सचिवालय के बाहर बैठकर भूख हड़ताल की। मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को मांगपत्र सौंपा।
किसान नेता मंजीत ने बताया कि 10 जून को भारतीय किसान यूनियन चढूनी के सदस्यों ने मुख्यमंत्री से मिलकर इस मुद्दे पर वार्ता की थी और उन्होंने आश्वासन दिया था कि 15 सितंबर तक धान की खरीद शुरू कर दी जाएगी, लेकिन अभी तक खरीद शुरू नहीं हुई।
उन्होंने बताया कि पूरे प्रदेश में धान की फसल तैयार है, लेकिन मंडियों में अभी तक सरकारी खरीद शुरू नहीं की गई। सरकार का रवैया किसानों के प्रति ठीक नहीं है, वह देखना चाहते हैं किसान किस हद तक जा सकते हैं। किसानों को अपने हक के लिए हर बार सड़कों पर आना पड़ता है। मंडियों में धान पहुंच गया है, लेकिन निजी राइस मिलर किसानों की धान को अपनी मर्जी के रेट पर खरीद रहे हैं। जिसे किसानों को काफी नुकसान हो रहा है।
उन्होंने बताया कि एमएसपी का रेट 2400 है, लेकिन मंडियों में किसानों को 2000 रुपये का रेट दिया जा रहा है। इस बार किसान पर प्राकृतिक मार पहले ही हो चुकी है। बारिश के दिनों में खेतों में यमुना का पानी आने से किसानों को पहले ही काफी नुकसान हो चुका है और जो फसल बची है उसमें भी 30 प्रतिशत से लेकर 40 प्रतिशत तक बारिश के कारण फसल खराब हो चुकी है।

करनाल। धान की खरीद शुरू करवाने के लिए भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के सदस्यों ने वीरवार सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक लघु सचिवालय के बाहर बैठकर भूख हड़ताल की। मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को मांगपत्र सौंपा।
किसान नेता मंजीत ने बताया कि 10 जून को भारतीय किसान यूनियन चढूनी के सदस्यों ने मुख्यमंत्री से मिलकर इस मुद्दे पर वार्ता की थी और उन्होंने आश्वासन दिया था कि 15 सितंबर तक धान की खरीद शुरू कर दी जाएगी, लेकिन अभी तक खरीद शुरू नहीं हुई।
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उन्होंने बताया कि पूरे प्रदेश में धान की फसल तैयार है, लेकिन मंडियों में अभी तक सरकारी खरीद शुरू नहीं की गई। सरकार का रवैया किसानों के प्रति ठीक नहीं है, वह देखना चाहते हैं किसान किस हद तक जा सकते हैं। किसानों को अपने हक के लिए हर बार सड़कों पर आना पड़ता है। मंडियों में धान पहुंच गया है, लेकिन निजी राइस मिलर किसानों की धान को अपनी मर्जी के रेट पर खरीद रहे हैं। जिसे किसानों को काफी नुकसान हो रहा है।
उन्होंने बताया कि एमएसपी का रेट 2400 है, लेकिन मंडियों में किसानों को 2000 रुपये का रेट दिया जा रहा है। इस बार किसान पर प्राकृतिक मार पहले ही हो चुकी है। बारिश के दिनों में खेतों में यमुना का पानी आने से किसानों को पहले ही काफी नुकसान हो चुका है और जो फसल बची है उसमें भी 30 प्रतिशत से लेकर 40 प्रतिशत तक बारिश के कारण फसल खराब हो चुकी है।