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Karnal News: निजी अस्पतालों की स्त्री रोग विशेषज्ञ 3 दिन सरकारी अस्पतालों में देंगी सेवाएं
संवाद न्यूज एजेंसी, करनाल
Updated Wed, 05 Nov 2025 01:26 AM IST
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संवाद न्यूज एजेंसी
करनाल। नागरिक अस्पताल में हर दस में छह गर्भवती महिलाओं के प्रसव उच्च जोखिम की श्रेणी में हो रहे हैं। इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर आ गया है। अब निजी अस्पतालों की स्त्री रोग विशेषज्ञ सप्ताह में तीन दिन सरकारी अस्पतालों की स्त्री रोग ओपीडी में सेवाएं देंगी।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार नागरिक अस्पताल में हर महीने करीब 300 प्रसव होते हैं। इनमें से लगभग 60 प्रतिशत महिलाएं उच्च जोखिम की श्रेणी में आ रही हैं। पिछले 12 महीनों में 2160 के करीब महिलाओं के उच्च जोखिम प्रसव दर्ज किए गए हैं। हर दस में से छह गर्भवती महिलाएं ऐसी हैं जिनमें प्रसव के दौरान जटिलताओं की संभावना अधिक रही है। जिला नागरिक अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अंजू गर्ग का कहना है कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में महिलाओं का खानपान असंतुलित है, जिससे एनीमिया के मामले बढ़ रहे हैं।स्वास्थ्य विभाग के अनुसार सरकारी अस्पतालों में हर माह 9, 23 और 30 तारीख को निजी अस्पतालों में सेवा देंगी। ब्लड रिपोर्ट, हीमोग्लोबिन लेवल और अल्ट्रासाउंड की जानकारी जिला स्तर पर ट्रैक की जाएगी ताकि समय रहते उपचार सुनिश्चित किया जा सके।
छह से सात ग्राम तक गिरा हीमोग्लोबिन स्तर
नागरिक अस्पताल में दर्ज आंकड़ों के अनुसार जिन महिलाओं की उच्च जोखिम वाली डिलीवरी हुई हैं उनमें से कई गर्भवती महिलाओं का हीमोग्लोबिन स्तर मात्र छह से सात ग्राम तक पाया गया है, जबकि सामान्य स्तर 11 ग्राम होना चाहिए। यह कमी गर्भस्थ शिशु के विकास पर असर डाल रही है और प्रसव के समय रक्त की भारी आवश्यकता बढ़ा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा महिलाओं में जागरूकता की कमी और नियमित जांच न कराने के कारण हो रहा है।
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करनाल। नागरिक अस्पताल में हर दस में छह गर्भवती महिलाओं के प्रसव उच्च जोखिम की श्रेणी में हो रहे हैं। इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर आ गया है। अब निजी अस्पतालों की स्त्री रोग विशेषज्ञ सप्ताह में तीन दिन सरकारी अस्पतालों की स्त्री रोग ओपीडी में सेवाएं देंगी।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार नागरिक अस्पताल में हर महीने करीब 300 प्रसव होते हैं। इनमें से लगभग 60 प्रतिशत महिलाएं उच्च जोखिम की श्रेणी में आ रही हैं। पिछले 12 महीनों में 2160 के करीब महिलाओं के उच्च जोखिम प्रसव दर्ज किए गए हैं। हर दस में से छह गर्भवती महिलाएं ऐसी हैं जिनमें प्रसव के दौरान जटिलताओं की संभावना अधिक रही है। जिला नागरिक अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अंजू गर्ग का कहना है कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में महिलाओं का खानपान असंतुलित है, जिससे एनीमिया के मामले बढ़ रहे हैं।स्वास्थ्य विभाग के अनुसार सरकारी अस्पतालों में हर माह 9, 23 और 30 तारीख को निजी अस्पतालों में सेवा देंगी। ब्लड रिपोर्ट, हीमोग्लोबिन लेवल और अल्ट्रासाउंड की जानकारी जिला स्तर पर ट्रैक की जाएगी ताकि समय रहते उपचार सुनिश्चित किया जा सके।
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छह से सात ग्राम तक गिरा हीमोग्लोबिन स्तर
नागरिक अस्पताल में दर्ज आंकड़ों के अनुसार जिन महिलाओं की उच्च जोखिम वाली डिलीवरी हुई हैं उनमें से कई गर्भवती महिलाओं का हीमोग्लोबिन स्तर मात्र छह से सात ग्राम तक पाया गया है, जबकि सामान्य स्तर 11 ग्राम होना चाहिए। यह कमी गर्भस्थ शिशु के विकास पर असर डाल रही है और प्रसव के समय रक्त की भारी आवश्यकता बढ़ा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा महिलाओं में जागरूकता की कमी और नियमित जांच न कराने के कारण हो रहा है।