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Karnal News: प्लाट की पूरी राशि लेकर नहीं दी एनओसी, 15 हजार जुर्माना
संवाद न्यूज एजेंसी, करनाल
Updated Wed, 17 Dec 2025 01:45 AM IST
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संवाद न्यूज एजेंसी
करनाल। जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को प्लाट की कीमत लेने के बावजूद एनओसी जारी न करने के मामले में दोषी पाया है। आयोग ने प्राधिकरण को आदेश जारी किए कि वह ग्राहक को 45 दिनों के अंदर प्लाट की एनओसी जारी करे। साथ ही प्राधिकरण पर मानसिक उत्पीड़न और मुकदमे में खर्च के तौर पर 15 हजार रुपये जुर्माना लगाया है। आयोग ने आदेश दिया है कि तकनीकी गड़बड़ियों का बहाना बनाकर किसी आवंटी को नो ड्यूज सर्टिफिकेट देने से मना नहीं किया जा सकता। यह प्राधिकरण की सेवा में कमी के अंतर्गत आता है।
अर्बन एस्टेट निवासी शिकायतकर्ता समरजीत समरान ने बताया कि उनके पास एक प्लाट (नंबर 1361) था। उन्होंने प्लाट की पूरी लागत और ब्याज का भुगतान समय पर कर दिया था। इसके बावजूद हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के ऑनलाइन सिस्टम में उनकी तरफ 44 हजार 967 रुपये का बकाया दिखाया जा रहा था। इसी कारण उन्हें एनओसी जारी नहीं की गई। मुकदमे में प्राधिकरण ने आयोग के समक्ष माना कि शिकायतकर्ता ने 14 जून 2023 को 2 लाख रुपये और फरवरी 2024 में 1.20 लाख रुपये और 45,824 रुपये जमा कराए थे। हालांकि, अधिकारियों ने तर्क दिया कि उनके पीपीएम सिस्टम (सॉफ्टवेयर) ने इन भुगतानों को सही हेड (किस्त बनाम ब्याज) में समायोजित नहीं किया। उन्होंने कहा कि डेटा सुधार के लिए पंचकूला मुख्यालय को पत्र लिखा गया है और मंजूरी मिलने तक एनओसी जारी नहीं की जा सकती। जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष जसवंत सिंह और सदस्यों ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की दलील को खारिज कर दिया।
शिकायतकर्ता को परेशान नहीं किया जाना चाहिए
आयोग ने कहा कि अगर भुगतान पीपीएम सिस्टम में सही हेड में समायोजित नहीं हुआ तो विभाग की गलती के लिए शिकायतकर्ता को परेशान नहीं किया जाना चाहिए। आयोग ने स्पष्ट किया कि खाता विवरण से यह साबित हो चुका है कि शिकायतकर्ता ने कब्जा ब्याज और मूल राशि का पूरा भुगतान कर दिया है और उन पर कोई बकाया नहीं है। आयोग ने प्राधिकरण करनाल के संपदा अधिकारी और मुख्य प्रशासक, पंचकूला को प्लाट के संबंध में तुरंत ड्यूज सर्टिफिकेट जारी करने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा उपभोक्ता को हुई मानसिक परेशानी और अदालती खर्च के लिए प्राधिकरण 15 हजार रुपये का जुर्माना देगा। प्राधिकरण को आदेश का पालन 45 दिन के भीतर करना होगा।
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करनाल। जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को प्लाट की कीमत लेने के बावजूद एनओसी जारी न करने के मामले में दोषी पाया है। आयोग ने प्राधिकरण को आदेश जारी किए कि वह ग्राहक को 45 दिनों के अंदर प्लाट की एनओसी जारी करे। साथ ही प्राधिकरण पर मानसिक उत्पीड़न और मुकदमे में खर्च के तौर पर 15 हजार रुपये जुर्माना लगाया है। आयोग ने आदेश दिया है कि तकनीकी गड़बड़ियों का बहाना बनाकर किसी आवंटी को नो ड्यूज सर्टिफिकेट देने से मना नहीं किया जा सकता। यह प्राधिकरण की सेवा में कमी के अंतर्गत आता है।
अर्बन एस्टेट निवासी शिकायतकर्ता समरजीत समरान ने बताया कि उनके पास एक प्लाट (नंबर 1361) था। उन्होंने प्लाट की पूरी लागत और ब्याज का भुगतान समय पर कर दिया था। इसके बावजूद हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के ऑनलाइन सिस्टम में उनकी तरफ 44 हजार 967 रुपये का बकाया दिखाया जा रहा था। इसी कारण उन्हें एनओसी जारी नहीं की गई। मुकदमे में प्राधिकरण ने आयोग के समक्ष माना कि शिकायतकर्ता ने 14 जून 2023 को 2 लाख रुपये और फरवरी 2024 में 1.20 लाख रुपये और 45,824 रुपये जमा कराए थे। हालांकि, अधिकारियों ने तर्क दिया कि उनके पीपीएम सिस्टम (सॉफ्टवेयर) ने इन भुगतानों को सही हेड (किस्त बनाम ब्याज) में समायोजित नहीं किया। उन्होंने कहा कि डेटा सुधार के लिए पंचकूला मुख्यालय को पत्र लिखा गया है और मंजूरी मिलने तक एनओसी जारी नहीं की जा सकती। जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष जसवंत सिंह और सदस्यों ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण की दलील को खारिज कर दिया।
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शिकायतकर्ता को परेशान नहीं किया जाना चाहिए
आयोग ने कहा कि अगर भुगतान पीपीएम सिस्टम में सही हेड में समायोजित नहीं हुआ तो विभाग की गलती के लिए शिकायतकर्ता को परेशान नहीं किया जाना चाहिए। आयोग ने स्पष्ट किया कि खाता विवरण से यह साबित हो चुका है कि शिकायतकर्ता ने कब्जा ब्याज और मूल राशि का पूरा भुगतान कर दिया है और उन पर कोई बकाया नहीं है। आयोग ने प्राधिकरण करनाल के संपदा अधिकारी और मुख्य प्रशासक, पंचकूला को प्लाट के संबंध में तुरंत ड्यूज सर्टिफिकेट जारी करने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा उपभोक्ता को हुई मानसिक परेशानी और अदालती खर्च के लिए प्राधिकरण 15 हजार रुपये का जुर्माना देगा। प्राधिकरण को आदेश का पालन 45 दिन के भीतर करना होगा।