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Karnal News: गुरु गोबिंद सिंह के साहिबजादों की शौर्यगाथा को देखकर दर्शकों की आंखें नम
संवाद न्यूज एजेंसी, करनाल
Updated Wed, 17 Dec 2025 01:48 AM IST
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वीर बाल दिवस के उपलक्ष्य में डॉ. मंगलसेन सभागार में आयोजित सैंड आर्ट शो के दौरान मुंबई के सर्वम
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संवाद न्यूज एजेंसी
करनाल। हरियाणा सरकार की ओर से गुरु गोबिंद सिंह के चार साहिबजादों के बलिदान व वीरता के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से वीर बाल दिवस के उपलक्ष्य में मंगलवार को डॉ. मंगलसेन सभागार में सैंड आर्ट शो तथा जिला स्तरीय निबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में एनएसबी प्रोडक्शन मुंबई की ओर से आए कलाकार सवर्म पटेल ने रेत की कला के माध्यम से गुरु गोबिंद सिंह के वीर साहिबजादों बाबा अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह के जीवन, शौर्यगाथा को बेहतरीन ढंग पेश किया, जिससे सभी की आंखें नम हो गईं।
सैंड आर्ट शो में दिखाया गया कि गंगू ने लालच में आकर तुरंत वजीर खान को गोबिंद सिंह की माता गुजरी और छोटे साहिबजादों के उसके यहां होने की खबर दे दी। इसके बदले में वजीर खान ने उसे सोने की मोहरें भेंट की। खबर मिलते ही वजीर खान के सैनिक माता गुजरी और 7 वर्ष की आयु के साहिबजादे जोरावर सिंह और पांच वर्ष की आयु के साहिबजादे फतेह सिंह को गिरफ्तार करने गंगू के घर पहुंच गए। उन्हें लाकर ठंडे बुर्ज में रखा गया और उस ठिठुरती ठंड से बचने के लिए कपड़े का एक टुकड़ा तक न देना, रात भर ठंड में ठिठुरने के बाद सुबह होते ही दोनों साहिबजादों को वजीर खान के सामने पेश किया गया, जहां भरी सभा में उन्हें इस्लाम धर्म कबूल करने को कहा गया।
साहिबजादों को दीवारों में चिनवाया
सभा में पहुंचते ही बिना किसी हिचकिचाहट के दोनों साहिबजादों ने जोर से जयकारा लगाया जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल। यह देख सब दंग रह गए, वजीर खान की मौजूदगी में कोई ऐसा करने की हिम्मत नहीं कर सकता लेकिन गुरु की नन्हीं जिंदगियां ऐसा करते समय एक पल के लिए भी नहीं डरीं। कलाकार ने इतिहास को अपनी कला के माध्यम से युवा पीढ़ी के समक्ष रखा। आखिर में दोनों साहिबजादों को जिंदा दीवारों में चुनवाने का एलान किया गया। दोनों साहिबजादों को जब दीवार में चुनना आरंभ किया गया। तब उन्होंने ‘जपुजी साहिब’ का पाठ करना शुरू कर दिया। 27 दिसम्बर 1704 को दोनों छोटे साहिबजादे और जोरावर सिंह व फतेह सिंह को दीवारों में चिनवा दिया गया।
माता गुजरी ने त्याग दिए प्राण
दूसरी ओर साहिबदाजों की शहीदी की खबर सुनकर माता गुजरी ने अकाल पुरख को इस शहादत के लिए शुक्रिया किया और अपने प्राण त्याग दिए। इतना ही नहीं चमकौर साहिब के युद्ध में गुरु गोबिंद सिंह, साहिबजादे अजीत सिंह व जुझार सिंह की वीरता का प्रदर्शन करते हुए वीरगति को प्राप्त होने की शहादत को सेंड आर्ट में दिखाया गया। इस शो में जिला के 132 स्कूलों से 382 छात्र व छात्राओं ने निबंध लेखन प्रतियोगिता में भाग लेकर उपस्थिति दर्ज करवाई। विभिन्न स्कूलों से आए बच्चों ने चार भाषाओं-हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी व संस्कृत भाषा में निबंध लेखन प्रतियोगिता में भाग लिया। इसके अलावा इस सैंड आर्ट शो को 700 से अधिक विद्यार्थियों ने देखा।
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करनाल। हरियाणा सरकार की ओर से गुरु गोबिंद सिंह के चार साहिबजादों के बलिदान व वीरता के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से वीर बाल दिवस के उपलक्ष्य में मंगलवार को डॉ. मंगलसेन सभागार में सैंड आर्ट शो तथा जिला स्तरीय निबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में एनएसबी प्रोडक्शन मुंबई की ओर से आए कलाकार सवर्म पटेल ने रेत की कला के माध्यम से गुरु गोबिंद सिंह के वीर साहिबजादों बाबा अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह के जीवन, शौर्यगाथा को बेहतरीन ढंग पेश किया, जिससे सभी की आंखें नम हो गईं।
सैंड आर्ट शो में दिखाया गया कि गंगू ने लालच में आकर तुरंत वजीर खान को गोबिंद सिंह की माता गुजरी और छोटे साहिबजादों के उसके यहां होने की खबर दे दी। इसके बदले में वजीर खान ने उसे सोने की मोहरें भेंट की। खबर मिलते ही वजीर खान के सैनिक माता गुजरी और 7 वर्ष की आयु के साहिबजादे जोरावर सिंह और पांच वर्ष की आयु के साहिबजादे फतेह सिंह को गिरफ्तार करने गंगू के घर पहुंच गए। उन्हें लाकर ठंडे बुर्ज में रखा गया और उस ठिठुरती ठंड से बचने के लिए कपड़े का एक टुकड़ा तक न देना, रात भर ठंड में ठिठुरने के बाद सुबह होते ही दोनों साहिबजादों को वजीर खान के सामने पेश किया गया, जहां भरी सभा में उन्हें इस्लाम धर्म कबूल करने को कहा गया।
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साहिबजादों को दीवारों में चिनवाया
सभा में पहुंचते ही बिना किसी हिचकिचाहट के दोनों साहिबजादों ने जोर से जयकारा लगाया जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल। यह देख सब दंग रह गए, वजीर खान की मौजूदगी में कोई ऐसा करने की हिम्मत नहीं कर सकता लेकिन गुरु की नन्हीं जिंदगियां ऐसा करते समय एक पल के लिए भी नहीं डरीं। कलाकार ने इतिहास को अपनी कला के माध्यम से युवा पीढ़ी के समक्ष रखा। आखिर में दोनों साहिबजादों को जिंदा दीवारों में चुनवाने का एलान किया गया। दोनों साहिबजादों को जब दीवार में चुनना आरंभ किया गया। तब उन्होंने ‘जपुजी साहिब’ का पाठ करना शुरू कर दिया। 27 दिसम्बर 1704 को दोनों छोटे साहिबजादे और जोरावर सिंह व फतेह सिंह को दीवारों में चिनवा दिया गया।
माता गुजरी ने त्याग दिए प्राण
दूसरी ओर साहिबदाजों की शहीदी की खबर सुनकर माता गुजरी ने अकाल पुरख को इस शहादत के लिए शुक्रिया किया और अपने प्राण त्याग दिए। इतना ही नहीं चमकौर साहिब के युद्ध में गुरु गोबिंद सिंह, साहिबजादे अजीत सिंह व जुझार सिंह की वीरता का प्रदर्शन करते हुए वीरगति को प्राप्त होने की शहादत को सेंड आर्ट में दिखाया गया। इस शो में जिला के 132 स्कूलों से 382 छात्र व छात्राओं ने निबंध लेखन प्रतियोगिता में भाग लेकर उपस्थिति दर्ज करवाई। विभिन्न स्कूलों से आए बच्चों ने चार भाषाओं-हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी व संस्कृत भाषा में निबंध लेखन प्रतियोगिता में भाग लिया। इसके अलावा इस सैंड आर्ट शो को 700 से अधिक विद्यार्थियों ने देखा।

वीर बाल दिवस के उपलक्ष्य में डॉ. मंगलसेन सभागार में आयोजित सैंड आर्ट शो के दौरान मुंबई के सर्वम