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हिंदी शब्दों की चयन प्रक्रिया शुरू: राजस्व शब्दावली से बाहर होंगे अरबी-फारसी के शब्द, विशेषज्ञ बोले...

गगन तलवार, करनाल (हरियाणा) Published by: नवीन दलाल Updated Tue, 04 Nov 2025 10:39 AM IST
सार

इतिहास के प्रोफेसर विनय का कहना है कि 16वीं शताब्दी में मुगल शासक अकबर के वित्त मंत्री टोडरमल के समय में जमीन के रिकॉर्ड के संबंध में फारसी के शब्द प्रयोग किए गए थे। ब्रिटिश शासन ने भी इन शब्दों का प्रयोग जारी रखा। वर्तमान में भी यही शब्द जमीन संबंधित दस्तावेजों में चल रहे हैं।

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process of selecting Hindi words begun Arabic and Persian words removed from the revenue terminology
सांकेतिक - फोटो : संवाद
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विस्तार
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बैनामा मकान एक आबादी देह करनाल नगर निगम फरीक अव्वल द्वारा फरीक दोयम को दिया जाता है, इसके बदले में मुबलिग इतने रुपये हुआ है। मकान भार व तनाजा से मुक्त है। किसी रजिस्ट्री में लिखा यह वाक्य आपको उलझा रहा होगा। बहुत कम लोग होंगे, जो इस वाक्य को समझ पाएंगे। हर व्यक्ति ऐसे वाक्यों को आसानी से समझ सके इसके लिए सरकार की ओर से प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

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राजस्व शब्दावली में तरमीम यानी संशोधन किया जा रहा है। ऐसे में आने वाले समय में जमीन खरीद फरोख्त की नई रजिस्ट्री में बैनामा की जगह विक्रय पत्र, आबादी देह की जगह बसा हुआ क्षेत्र, फरीक अव्वल व दोयम की जगह खरीद फरोख्त करने वाला पहला व दूसरा पक्ष, मुबलिग की जगह रकम व बार व तनाज से मुक्त यानी सभी झगड़े और विवाद से मुक्त है, लिखा होगा।
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राजस्व शब्दावली से अरबी, फारसी और उर्दू के शब्दों को बाहर किया जाएगा। इन भाषाओं के ऐसे करीब 900 से ज्यादा शब्द हैं, जिनका इस्तेमाल राजस्व अभिलेखों में होता और आमजन को इनका अर्थ भी नहीं पता है। ऐसे में इन शब्दों को हटाकर इनकी जगह हिंदी व अंग्रेजी से हिंदी में आए शब्दों का इस्तेमाल किया जाएगा। हिंदी विशेषज्ञ भी सरकार के इस कदम को सही बता रहे हैं।

उनका कहना है कि मातृभाषा में शब्दों का भंडार है, राजस्व शब्दावली लाने और इसे समझने वालों का जमाना बीत चुका है। वर्तमान में भी ज्यादातर लोग रजिस्ट्री सहित अन्य राजस्व संबंधित दस्तावेजों को समझ नहीं पाते। ऐसे में आने वाली पीढ़ियों के लिए इसमें भाषायी संशोधन जरूरी है। पेपरलेस रजिस्ट्री के बाद सरकार का यह भी बड़ा कदम होगा।

आज बदलाव जरूरी, तभी 50 वर्ष बाद लोग समझ पाएंगे : डॉ. प्रवीण

पंडित चिंरजीलाल शर्मा राजकीय पीजी कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. प्रवीण भारद्वाज का कहना है कि हिंदी शब्दकोश के शब्द समझने में भी काफी आसान हैं। राजस्व विभाग की शब्दावली में जो शब्द अभी तक प्रचलित हैं, उनका युग जा चुका है। इन शब्दों का इस्तेमाल जब कागजों में किया जाने लगा था, तब यह आम बोलचाल का हिस्सा थे। अब इन्हें लाने वाले और समझने वाले दोनों ही नहीं हैं। केवल राजस्व विभाग के अधिकारी, कर्मचारी या रजिस्ट्री लिखने वाले ही इन्हे जानते हैं। आमजन को कोई संशोधन कराना हो तो भी इन्हीं का सहारा लिया जाता है। यदि अब इसमें बदलाव होगा तभी 40 से 50 वर्ष बाद की पीढ़ी इन दस्तावेजों को आसानी से समझ सकेगी।

बीते युग के शब्दों के कारण लोगों के साथ होती है धोखाधड़ी : विनय

इतिहास के प्रोफेसर विनय का कहना है कि 16वीं शताब्दी में मुगल शासक अकबर के वित्त मंत्री टोडरमल के समय में जमीन के रिकॉर्ड के संबंध में फारसी के शब्द प्रयोग किए गए थे। ब्रिटिश शासन ने भी इन शब्दों का प्रयोग जारी रखा। वर्तमान में भी यही शब्द जमीन संबंधित दस्तावेजों में चल रहे हैं। जमीन से संबंधित कागजात में प्रयोग होने वाले वाहिब, मुतबन्ना, माहूना, मालगुजारी, वसीका, रफा-ए-आम, तरमीम, जद्दी, बारानी और फरीक अव्वल जैसे शब्द आमजन की समझ से परे हैं। इस कारण लोगों के साथ धोखाधड़ी भी होती है।

राजस्व शब्दावली के इन शब्दों का यह है हिंदी अर्थ

  • अरबी और फारसी में शब्द हिंदी अर्थ
  • बैनामा विक्रय पत्र
  • मुख्तयारनामा अधिकारपत्र (पॉवर ऑफ अटॉर्नी)
  • इकरारनामा सहमतिपत्र
  • वसीयतनामा इच्छापत्र
  • दस्तबरदारी नामा हक छोड़ना या ट्रांसफर
  • इंतकाल मालिकाना हक बदलना
  • मकबूजा अधिकृत
  • गैर मकबूजा लावारिस
  • जायदाद मुंतकिल जमीन ट्रांसफर
  • मुबलिग रकम
  • तरमीम संशोधन
  • फरीक अव्वल प्रथम पक्ष
  • फरीक दोयम द्वितीय पक्ष
  • पड़त पटवार पटवारी का रिकॉर्ड
  • पड़त सरकार सरकार का रिकॉर्ड
  • मुवाहिब दान करने वाला
  • मोहूबदूला दान लेने वाला
  • आबादी देह बसा हुआ क्षेत्र
  • रहन बाकब्जा कब्जे के साथ गिरवी
  • बार व तनाजा मुक्त झगड़े व विवाद से मुक्त


अधिकारी के अनुसार
आज से 40 साल पहले हुई रजिस्ट्री की तुलना में आज होने वाली रजिस्ट्री में अरबी और फारसी के काफी शब्द हट चुके हैं। कई शब्दों को डीड लिखने वालों ने ही बंद कर दिया है तो कुछ नए आए अधिकारियों ने परिवर्तन किया है। अब राजस्व रिकॉर्ड में इस्तेमाल होने वाले फारसी, अरबी शब्दों को हटाने के लिए सरकार के निर्देश हैं। हिंदी व वर्तमान में प्रचलित शब्दों के इस्तेमाल से प्रक्रिया भी आसान होगी। - राजेश खुराना, तहसीलदार करनाल।

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