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Kurukshetra News: दो युवतियां जेल से परिवीक्षा पर रिहा
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कुरुक्षेत्र। ज्योतिसर के समीप एक महिला महाविद्यालय में वर्ष 2017 की बीए प्रथम सेमेस्टर अंग्रेजी परीक्षा के दौरान दोषी ठहराई गईं दोनों युवतियों को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार मित्तल की अदालत ने जेल की सजा से राहत दी। परीक्षा के दौरान विद्यार्थी की जगह दूसरी युवती की ओर से पेपर देने के लिए बैठाया गया था। कोर्ट ने युवतियों पर दोष सिद्धि बरकरार रखी लेकिन परिवीक्षा अधिनियम-1958 के तहत दो वर्ष की परिवीक्षा पर रिहा करने का आदेश दिया।
4 दिसंबर 2017 को कॉलेज में ड्यूटी के दौरान निरीक्षक डॉ. अनीता गोदारा ने पाया कि रोल नंबर 4342731 की जगह दूसरी युवती परीक्षा दे रही थी। प्रिंसिपल की शिकायत पर 27 दिसंबर 2017 को थाना केयूके में धारा 419 / 420 आईपीसी के तहत कस दर्ज हुआ। एफएसएल रिपोर्ट ने पुष्टि हुई कि उत्तर पुस्तिका दूसरी युवती ने लिखी है।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट डॉ. मोहिनी ने 21 अक्तूबर 2024 को दोनों को धारा 419, 34 आईपीसी में दोषी ठहराया और 23 अक्तूबर को दो-दो वर्ष साधारण कारावास की सजा सुनाई। धारा 420 से बरी किया। अपील में अधिवक्ता ने सजा पर रहम मांगा। बताया कि एक युवती नाबालिग बच्चे की मां और बुजुर्ग सास-ससुर की देखभाल करती है। वहीं दूसरी युवती ग्रामीण गरीब परिवार से है, बुजुर्ग माता-पिता पर निर्भर है। कोर्ट ने व्यक्तिगत बाॅन्ड, अच्छा आचरण, परिवीक्षा अधिकारी को रिपोर्ट पर मूल सजा को बरकरार रखते हुए जेल में रहने से राहत देते हुए परिवीक्षा प्रदान की।
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4 दिसंबर 2017 को कॉलेज में ड्यूटी के दौरान निरीक्षक डॉ. अनीता गोदारा ने पाया कि रोल नंबर 4342731 की जगह दूसरी युवती परीक्षा दे रही थी। प्रिंसिपल की शिकायत पर 27 दिसंबर 2017 को थाना केयूके में धारा 419 / 420 आईपीसी के तहत कस दर्ज हुआ। एफएसएल रिपोर्ट ने पुष्टि हुई कि उत्तर पुस्तिका दूसरी युवती ने लिखी है।
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मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट डॉ. मोहिनी ने 21 अक्तूबर 2024 को दोनों को धारा 419, 34 आईपीसी में दोषी ठहराया और 23 अक्तूबर को दो-दो वर्ष साधारण कारावास की सजा सुनाई। धारा 420 से बरी किया। अपील में अधिवक्ता ने सजा पर रहम मांगा। बताया कि एक युवती नाबालिग बच्चे की मां और बुजुर्ग सास-ससुर की देखभाल करती है। वहीं दूसरी युवती ग्रामीण गरीब परिवार से है, बुजुर्ग माता-पिता पर निर्भर है। कोर्ट ने व्यक्तिगत बाॅन्ड, अच्छा आचरण, परिवीक्षा अधिकारी को रिपोर्ट पर मूल सजा को बरकरार रखते हुए जेल में रहने से राहत देते हुए परिवीक्षा प्रदान की।