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Panipat News: सैंड ऑफ आर्ट शो में दिखी चार साहिबजादों की बहादुरी की गाथा
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पानीपत। सैंड ऑफ आर्ट के माध्यम से गुरु गोबिंद सिंह के चार साहिबजादों की शहादत के साथ तत्कालीन शासकों के अत्याचार का दृश्य दिखाया गया। इस 40 मिनट के आर्ट शो में बच्चों समेत हर कोई भावुक हो गया।
यह आयोजन वीर बाल दिवस के उपलक्ष्य में हरियाणा कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग द्वारा मंगलवार को आर्य पीजी कॉलेज में किया गया। शो का शुभारंभ जिला शिक्षा अधिकारी राकेश बूरा ने किया। यह शो में एनएसबी के कलाकार ओमप्रकाश की अगुवाई में किया गया । कथानक के अनुसार 10वीं पातशाही गुरु गोबिंद सिंह के चार साहिबजादों के जन्म, खालसा पंथ की स्थापना के बाद मुगल शासकों, सरहिंद के सूबेदार वजीर खां द्वारा आक्रमण के बाद 20-21 दिसंबर 1704 को मुगल सेना से युद्ध करने के लिए गुरु गोबिंद सिंह ने परिवार सहित श्री आनंदपुर साहिब किले को छोड़ना और गुरु गोबिंद सिंह के परिवार को बिछड़ने का प्रसंग दिखाया गया।
शो में दिखाया गया कि गंगू ने लालच में आकर तुरंत वजीर खां को गोबिंद सिंह की माता और छोटे साहिबजादों के उसके यहां होने की खबर दे दी जिसके बदले में वजीर खां ने उसे सोने की मोहरें भेंट की। इसका पता मिलते ही वजीर के सैनिक माता गुजरी और सात वर्ष की आयु के साहिबजादा जोरावर सिंह और पांच वर्ष की आयु के साहिबजादे फतेह सिंह को गिरफ्तार करने गंगू के घर पहुंच गए।
उन्हें लाकर ठंडे बुर्ज में रखा गया। रातभर ठंड में ठिठुरने के बाद सुबह होते ही दोनों साहिबजादों को वजीर खां के सामने पेश किया गया। यहां उन्हें इस्लाम कबूल करने को कहा गया। वजीर खां ने दोनों साहिबजादों को काफी डराया, धमकाया और प्यार से भी इस्लाम कबूल करने के लिए राज़ी करना चाहा, लेकिन दोनों अपने इनकार के निर्णय पर अटल थे। आखिर में दोनों साहिबजादों को जिंदा दीवारों में चिनवाने का ऐलान किया गया।
27 दिसंबर 1704 को दोनों छोटे साहिबजादे और जोरावर सिंह व फतेह सिंह को दीवारों में चिनवा दिया गया। साहिबदाजों की शहीदी का पता लगने पर माता गुजरी ने प्राण त्याग दिए। इतना ही नहीं चमकौर साहिब के युद्ध में श्री गुरु गोबिंद सिंह साहिबजादे अजीत सिंह व जुझार सिंह ने वीरता का प्रदर्शन किया। उनकी शहादत को सैंड ऑफ आर्ट में दिखाया गया। इस दौरान जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी डाॅ. सुनील बसताडा, जिला समन्वयक संदीप रतेवाल, नोडल अधिकारी मीनाक्षी शर्मा आदि मौजूद रहे।
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यह आयोजन वीर बाल दिवस के उपलक्ष्य में हरियाणा कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग द्वारा मंगलवार को आर्य पीजी कॉलेज में किया गया। शो का शुभारंभ जिला शिक्षा अधिकारी राकेश बूरा ने किया। यह शो में एनएसबी के कलाकार ओमप्रकाश की अगुवाई में किया गया । कथानक के अनुसार 10वीं पातशाही गुरु गोबिंद सिंह के चार साहिबजादों के जन्म, खालसा पंथ की स्थापना के बाद मुगल शासकों, सरहिंद के सूबेदार वजीर खां द्वारा आक्रमण के बाद 20-21 दिसंबर 1704 को मुगल सेना से युद्ध करने के लिए गुरु गोबिंद सिंह ने परिवार सहित श्री आनंदपुर साहिब किले को छोड़ना और गुरु गोबिंद सिंह के परिवार को बिछड़ने का प्रसंग दिखाया गया।
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शो में दिखाया गया कि गंगू ने लालच में आकर तुरंत वजीर खां को गोबिंद सिंह की माता और छोटे साहिबजादों के उसके यहां होने की खबर दे दी जिसके बदले में वजीर खां ने उसे सोने की मोहरें भेंट की। इसका पता मिलते ही वजीर के सैनिक माता गुजरी और सात वर्ष की आयु के साहिबजादा जोरावर सिंह और पांच वर्ष की आयु के साहिबजादे फतेह सिंह को गिरफ्तार करने गंगू के घर पहुंच गए।
उन्हें लाकर ठंडे बुर्ज में रखा गया। रातभर ठंड में ठिठुरने के बाद सुबह होते ही दोनों साहिबजादों को वजीर खां के सामने पेश किया गया। यहां उन्हें इस्लाम कबूल करने को कहा गया। वजीर खां ने दोनों साहिबजादों को काफी डराया, धमकाया और प्यार से भी इस्लाम कबूल करने के लिए राज़ी करना चाहा, लेकिन दोनों अपने इनकार के निर्णय पर अटल थे। आखिर में दोनों साहिबजादों को जिंदा दीवारों में चिनवाने का ऐलान किया गया।
27 दिसंबर 1704 को दोनों छोटे साहिबजादे और जोरावर सिंह व फतेह सिंह को दीवारों में चिनवा दिया गया। साहिबदाजों की शहीदी का पता लगने पर माता गुजरी ने प्राण त्याग दिए। इतना ही नहीं चमकौर साहिब के युद्ध में श्री गुरु गोबिंद सिंह साहिबजादे अजीत सिंह व जुझार सिंह ने वीरता का प्रदर्शन किया। उनकी शहादत को सैंड ऑफ आर्ट में दिखाया गया। इस दौरान जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी डाॅ. सुनील बसताडा, जिला समन्वयक संदीप रतेवाल, नोडल अधिकारी मीनाक्षी शर्मा आदि मौजूद रहे।