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Rewari News: रेवाड़ी, नाहड़ और बावल ब्लॉक में स्थापित होगी प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट
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रेवाड़ी। स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण फेज-2 योजना के तहत जिले में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट स्थापित की जाएगी। यह योजना रेवाड़ी, नाहड़ और बावल ब्लॉक में लागू होगी और इसका मुख्य उद्देश्य प्लास्टिक कचरे के प्रभावी प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण को सुनिश्चित करना है।
प्लास्टिक कचरे का उचित प्रबंधन आज हर क्षेत्र के लिए गंभीर चुनौती बन चुका है। घरों, बाजारों और उद्योगों से निकलने वाला प्लास्टिक वेस्ट अक्सर खुले में फेंक दिया जाता है जिससे जलाशयों, नालियों और खेतों में जाम और प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए स्वच्छ भारत मिशन के तहत यह पायलट प्रोजेक्ट तैयार किया गया है।
इस परियोजना के तहत यूनिट की स्थापना के लिए संबंधित ब्लॉक के बीडीपीओ को जिम्मेदारी सौंपी गई है। बीडीपीओ को सुनिश्चित करना होगा कि यूनिट के लिए उपयुक्त स्थान का चयन, बिजली कनेक्शन, सड़क और वाहनों के आवागमन की व्यवस्था सही ढंग से की जाए।
यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि यूनिट तक प्लास्टिक कचरे की आवाजाही में कोई दिक्कत न हो और कचरे को सुरक्षित तरीके से इकट्ठा कर यूनिट में लाया जा सके।
यूनिट में प्लास्टिक कचरे का संग्रहण और वर्गीकरण किया जाएगा। मशीनों की सहायता से प्लास्टिक को पुनर्चक्रण या अन्य उपयुक्त तकनीक के माध्यम से निस्तारित किया जाएगा। इससे न केवल प्लास्टिक वेस्ट का सही प्रबंधन होगा बल्कि इसके दोबारा उपयोग के अवसर भी पैदा होंगे। इस प्रक्रिया से पर्यावरण में प्लास्टिक के कारण होने वाले प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकेगा।
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स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे
यूनिट स्थापित होने के बाद ब्लॉक के सभी गांवों से प्लास्टिक कचरा यूनिट में भेजा जाएगा जिससे ग्रामीण स्तर पर भी स्वच्छता और कचरे के प्रबंधन में सुधार होगा। यह कदम स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण फेज-2 की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। ग्रामीण और स्थानीय निकायों को इस प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा ताकि प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट केवल सरकारी परियोजना न रहकर सामूहिक जिम्मेदारी के रूप में अपनाई जा सके।
स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। यूनिट में काम करने वाले लोग कचरा संग्रहण, मशीन संचालन, वर्गीकरण और पुनर्चक्रण की तकनीकी जानकारी प्राप्त करेंगे।
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पर्यावरण संरक्षण के प्रति बढ़ेगी जागरूकता
पर्यावरण विशेषज्ञ रामपाल सिंह ने बताया कि इस तरह की यूनिटों की स्थापना से लंबे समय में प्लास्टिक कचरे का स्थायी समाधान संभव है और पर्यावरणीय सुरक्षा के साथ-साथ इसके कई लाभ भी मिलेंगे। इससे गांवों के वातावरण में साफ-सफाई बढ़ेगी, जलाशयों और नालियों में जाम की समस्या कम होगी। साथ ही यह परियोजना अन्य जिलों के लिए भी मॉडल प्रोजेक्ट के रूप में कार्य करेगी।
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यह होता है प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट का काम
कचरा संग्रह : घरों, दुकानों, उद्योगों और सार्वजनिक स्थानों से प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा करना।
वर्गीकरण :
अलग-अलग प्रकार के प्लास्टिक को अलग करना। इससे उन्हें सही तरीके से पुनर्चक्रण या अन्य प्रक्रियाओं के लिए तैयार किया जाता है।
सफाई और प्रसंस्करण :
प्लास्टिक को साफ करना, काटना या पीसना। इसे नए उत्पाद बनाने, ईंधन बनाने या अन्य उपयोग में लाने के लिए तैयार करना।
पुनर्चक्रण: प्लास्टिक कचरे को नए उत्पादों (जैसे प्लास्टिक पाइप, बिन, टोकरी) में बदलना। यह प्राकृतिक संसाधनों की बचत और कचरे को कम करने में मदद करता है।
पर्यावरण सुरक्षा : खुले में प्लास्टिक जलाने या उसे कूड़ेदान में छोड़ने से होने वाले प्रदूषण को कम करना। पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक प्रभावों को रोकना।
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डीसी ने यूनिट स्थापित करने को लेकर दिए बीडीपीओ को निर्देश
रेवाड़ी। इस योजना को लेकर लघु सचिवालय में वीरवार को डीसी अभिषेक मीणा ने संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक भी की है। बैठक में बताया गया कि रेवाड़ी, नाहड़ और बावल ब्लॉक में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट स्थापित करने पर निर्णय लिया गया है। डीसी ने यूनिट स्थापित करने को लेकर पंचायत विभाग सहित संबंधित विभागों के अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं। संवाद
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प्लास्टिक कचरे का उचित प्रबंधन आज हर क्षेत्र के लिए गंभीर चुनौती बन चुका है। घरों, बाजारों और उद्योगों से निकलने वाला प्लास्टिक वेस्ट अक्सर खुले में फेंक दिया जाता है जिससे जलाशयों, नालियों और खेतों में जाम और प्रदूषण की समस्या उत्पन्न होती है। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए स्वच्छ भारत मिशन के तहत यह पायलट प्रोजेक्ट तैयार किया गया है।
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इस परियोजना के तहत यूनिट की स्थापना के लिए संबंधित ब्लॉक के बीडीपीओ को जिम्मेदारी सौंपी गई है। बीडीपीओ को सुनिश्चित करना होगा कि यूनिट के लिए उपयुक्त स्थान का चयन, बिजली कनेक्शन, सड़क और वाहनों के आवागमन की व्यवस्था सही ढंग से की जाए।
यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि यूनिट तक प्लास्टिक कचरे की आवाजाही में कोई दिक्कत न हो और कचरे को सुरक्षित तरीके से इकट्ठा कर यूनिट में लाया जा सके।
यूनिट में प्लास्टिक कचरे का संग्रहण और वर्गीकरण किया जाएगा। मशीनों की सहायता से प्लास्टिक को पुनर्चक्रण या अन्य उपयुक्त तकनीक के माध्यम से निस्तारित किया जाएगा। इससे न केवल प्लास्टिक वेस्ट का सही प्रबंधन होगा बल्कि इसके दोबारा उपयोग के अवसर भी पैदा होंगे। इस प्रक्रिया से पर्यावरण में प्लास्टिक के कारण होने वाले प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकेगा।
स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे
यूनिट स्थापित होने के बाद ब्लॉक के सभी गांवों से प्लास्टिक कचरा यूनिट में भेजा जाएगा जिससे ग्रामीण स्तर पर भी स्वच्छता और कचरे के प्रबंधन में सुधार होगा। यह कदम स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण फेज-2 की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है। ग्रामीण और स्थानीय निकायों को इस प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा ताकि प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट केवल सरकारी परियोजना न रहकर सामूहिक जिम्मेदारी के रूप में अपनाई जा सके।
स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। यूनिट में काम करने वाले लोग कचरा संग्रहण, मशीन संचालन, वर्गीकरण और पुनर्चक्रण की तकनीकी जानकारी प्राप्त करेंगे।
पर्यावरण संरक्षण के प्रति बढ़ेगी जागरूकता
पर्यावरण विशेषज्ञ रामपाल सिंह ने बताया कि इस तरह की यूनिटों की स्थापना से लंबे समय में प्लास्टिक कचरे का स्थायी समाधान संभव है और पर्यावरणीय सुरक्षा के साथ-साथ इसके कई लाभ भी मिलेंगे। इससे गांवों के वातावरण में साफ-सफाई बढ़ेगी, जलाशयों और नालियों में जाम की समस्या कम होगी। साथ ही यह परियोजना अन्य जिलों के लिए भी मॉडल प्रोजेक्ट के रूप में कार्य करेगी।
यह होता है प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट का काम
कचरा संग्रह : घरों, दुकानों, उद्योगों और सार्वजनिक स्थानों से प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा करना।
वर्गीकरण :
अलग-अलग प्रकार के प्लास्टिक को अलग करना। इससे उन्हें सही तरीके से पुनर्चक्रण या अन्य प्रक्रियाओं के लिए तैयार किया जाता है।
सफाई और प्रसंस्करण :
प्लास्टिक को साफ करना, काटना या पीसना। इसे नए उत्पाद बनाने, ईंधन बनाने या अन्य उपयोग में लाने के लिए तैयार करना।
पुनर्चक्रण: प्लास्टिक कचरे को नए उत्पादों (जैसे प्लास्टिक पाइप, बिन, टोकरी) में बदलना। यह प्राकृतिक संसाधनों की बचत और कचरे को कम करने में मदद करता है।
पर्यावरण सुरक्षा : खुले में प्लास्टिक जलाने या उसे कूड़ेदान में छोड़ने से होने वाले प्रदूषण को कम करना। पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक प्रभावों को रोकना।
डीसी ने यूनिट स्थापित करने को लेकर दिए बीडीपीओ को निर्देश
रेवाड़ी। इस योजना को लेकर लघु सचिवालय में वीरवार को डीसी अभिषेक मीणा ने संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक भी की है। बैठक में बताया गया कि रेवाड़ी, नाहड़ और बावल ब्लॉक में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट स्थापित करने पर निर्णय लिया गया है। डीसी ने यूनिट स्थापित करने को लेकर पंचायत विभाग सहित संबंधित विभागों के अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं। संवाद