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Rewari News: मारपीट व अपहरण के प्रयास मामले में कोर्ट में मुख्य गवाह मुकरे, सभी आरोपी बरी

Rohtak Bureau रोहतक ब्यूरो
Updated Wed, 10 Dec 2025 11:32 PM IST
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Key witness turns hostile in court in assault and attempted kidnapping case, all accused acquitted
फोटो: 01रेवाड़ी। जिला न्यायालय रेवाड़ी। संवाद - फोटो : मेडिकल कॉलेज में युवक को एंटीरेबीज का टीका लगाते फॉर्मासिस्ट।
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रेवाड़ी। दुकान किराया विवाद से जुड़े मारपीट, धमकी और अपहरण के प्रयास के आरोपों में फंसे तीनों आरोपियों गांव खिजुरी निवासी अनिल कुमार, कुलदीप और अंकित को अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जोगिंद्री की अदालत ने बरी कर दिया।
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अदालत ने कहा कि जब तक यह पूरी तरह से साबित नहीं हो जाता कि आरोपी ने ही शिकायतकर्ता का अपहरण किया, उसे चोटें पहुंचाईं और जान से मारने की धमकी दी, तब तक आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोप किसी भी तरह से सिद्ध नहीं हो सकते।
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परिणामस्वरूप, शेष अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान निरर्थक साक्ष्य बन गए और किसी भी तरह से आरोपी के अपराध को साबित नहीं करते। अभियोजन पक्ष द्वारा यह भी सिद्ध नहीं किया गया है कि आरोपी ने ही शिकायतकर्ता का अपहरण किया, उसे चोटें पहुंचाईं और जान से मारने की धमकी दी।
उपरोक्त चर्चा और निष्कर्षों के आधार पर न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि अभियोजन पक्ष अभियुक्तों के विरुद्ध अपने मामले को संदेह से परे साबित करने में बुरी तरह विफल रहा है। अभियुक्तों को उनके विरुद्ध लगाए गए आरोपों से बरी किया जाता है।
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14 अप्रैल 2024 को दर्ज कराई थी एफआईआर
यह मामला 14 अप्रैल 2024 को दर्ज एफआईआर से संबंधित था जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 365, 506, 511 और 34 के तहत आरोप लगे थे। शिकायतकर्ता ओमप्रकाश ने पुलिस को दी शिकायत में बताया था कि उन्होंने कान्हवास चौक पर एनएच-8 के पास अनिल कुमार की दुकान किराये पर ली थी। इसके लिए उन्होंने 50 हजार रुपये एडवांस और 17 हजार रुपये बिजली बिल के नाम पर दिए थे। आरोप था कि दुकान मालिक और उसके साथी लगातार परेशान करते थे, मुफ्त में खाना-पीना करवाते थे और झगड़ा कर उनसे पैसे मांगते थे। जब वह अपनी दूसरी दुकान पर गए, तभी अनिल और उसके साथी 4-5 लोग वहां आए और उनसे मारपीट की। उन्होंने जबरदस्ती गाड़ी में बैठाकर ले जाने का प्रयास किया और जान से मारने की धमकी दी।
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तीन मुख्य गवाह अदालत में अपने बयानों से पलटे

पुलिस ने मामले की जांच के बाद चालान कोर्ट में पेश किया और 10 दिसंबर 2024 को आरोप तय किए गए। मुकदमे के दौरान कुल आठ गवाहों को पेश किया गया, जिनमें शिकायतकर्ता ओमप्रकाश, उनका बेटा और कथित प्रत्यक्षदर्शी मुख्य गवाह थे लेकिन तीनों गवाह अदालत में अपने बयानों से पलट गए और कहा कि आरोपियों ने न तो मारपीट की, न अपहरण का प्रयास किया और न धमकी दी। अदालत द्वारा सरकारी वकील की अनुमति से उनका क्रॉस-एग्ज़ामिनेशन भी करवाया गया लेकिन उनसे कोई महत्वपूर्ण तथ्य सामने नहीं आया।
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