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Rewari News: बेवजह चेन पुलिंग करने के दोषी पर कोर्ट ने लगाया 500 रुपये जुर्माना
संवाद न्यूज एजेंसी, रेवाड़ी
Updated Sun, 28 Dec 2025 11:51 PM IST
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रेवाड़ी। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जोगिंद्री की अदालत ने चेन पुलिंग कर ट्रेन रोकने के मामले में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद निवासी सतीश कुमार को दोषी ठहराते हुए 500 रुपये जुर्माना लगाया है। दोषी ने जुर्माना अदा कर दिया जिससे उसे रिहा कर दिया गया।
16 सितंबर को रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने शिकायत दर्ज की कि सतीश कुमार ने रेवाड़ी क्षेत्र में बेवजह चेनपुलिंग कर ट्रेन नंबर 15014 को रोक दिया। इससे ट्रेन संचालन प्रभावित हुआ बल्कि यात्रियों को असुविधा हुई। चेन पुलिंग कर रेलवे नियमों का उल्लंघन करने पर आरपीएफ ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज किया।
मामला अदालत में प्रस्तुत होने पर आरोपी को नोटिस दिया गया। इस दौरान आरोपी पुलिस जमानत पर उपस्थित था और उसे लीगल एड काउंसल के माध्यम से प्रतिनिधित्व प्रदान किया गया। अदालत की कार्यवाही के दौरान आरोपी ने अपना दोष स्वीकार कर लिया और किसी प्रकार का ट्रायल नहीं चाहा।
आरोपी के दोष स्वीकार करने के बाद अदालत ने रिकॉर्ड पर उपलब्ध तथ्यों और परिस्थितियों का अवलोकन किया। अदालत ने माना कि आरोपी की ओर से किया गया कृत्य रेलवे अधिनियम की धारा 141 के अंतर्गत दंडनीय अपराध है। अभियोजन पक्ष की ओर से रेलवे के सहायक लोक अभियोजक ने अपना पक्ष रखा, जबकि बचाव पक्ष की ओर से लीगल एड काउंसल ने आरोपी की परिस्थितियों को ध्यान में रखने का अनुरोध किया।
सभी तथ्यों पर विचार करते हुए अदालत ने आरोपी को 500 का जुर्माना लगाने का आदेश दिया।
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16 सितंबर को रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने शिकायत दर्ज की कि सतीश कुमार ने रेवाड़ी क्षेत्र में बेवजह चेनपुलिंग कर ट्रेन नंबर 15014 को रोक दिया। इससे ट्रेन संचालन प्रभावित हुआ बल्कि यात्रियों को असुविधा हुई। चेन पुलिंग कर रेलवे नियमों का उल्लंघन करने पर आरपीएफ ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज किया।
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मामला अदालत में प्रस्तुत होने पर आरोपी को नोटिस दिया गया। इस दौरान आरोपी पुलिस जमानत पर उपस्थित था और उसे लीगल एड काउंसल के माध्यम से प्रतिनिधित्व प्रदान किया गया। अदालत की कार्यवाही के दौरान आरोपी ने अपना दोष स्वीकार कर लिया और किसी प्रकार का ट्रायल नहीं चाहा।
आरोपी के दोष स्वीकार करने के बाद अदालत ने रिकॉर्ड पर उपलब्ध तथ्यों और परिस्थितियों का अवलोकन किया। अदालत ने माना कि आरोपी की ओर से किया गया कृत्य रेलवे अधिनियम की धारा 141 के अंतर्गत दंडनीय अपराध है। अभियोजन पक्ष की ओर से रेलवे के सहायक लोक अभियोजक ने अपना पक्ष रखा, जबकि बचाव पक्ष की ओर से लीगल एड काउंसल ने आरोपी की परिस्थितियों को ध्यान में रखने का अनुरोध किया।
सभी तथ्यों पर विचार करते हुए अदालत ने आरोपी को 500 का जुर्माना लगाने का आदेश दिया।