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Rohtak News: बारिश का मौसम बीतने के बाद भी पीजीआई आ रहे सर्पदंश के मरीज
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रोहतक। बारिश का मौसम गुजर जाने के बाद भी पीजीआई के आपात विभाग में रोजाना सर्पदंश का एक मरीज पहुंच रहा है। सितंबर से पहले रोजाना चार से पांच सर्पदंश के मरीज पीजीआई पहुंच रहे थे। पिछले माह 55 मरीजों को आईसीयू में भर्ती कर उनकी जान बचाई गई है। अधिकतर लोगों को खेतों में काम के दौरान सांप ने डसा है।
डॉ. देवऋषि ने बताया कि सर्पदंश के मामले पहले इमरजेंसी में पहुंचते हैं। वहां से गंभीर मामलों को आईसीयू में भर्ती किया जाता है। मामले की गंभीरता मरीज के शारीरिक स्वास्थ्य पर निर्भर करती है।
घटना के शुरुआती पांच घंटे गोल्डन पीरियड यानी जान बचाने वाले होते हैं। सात घंटे तक मरीज को इलाज मिल जाए तो जान बचाई जा सकती है। ऐसे में झाड़-फूंक में समय बर्बाद करने के बजाय अस्पताल पहुंचकर इलाज करा लेना चाहिए।
स्वस्थ व्यक्ति 24 घंटे के अंदर ठीक हो जाता है। मरीज को सही होने में अधिकतर दो दिन का समय लगता है। सर्पदंश के बाद जितनी जल्दी मरीज इलाज के लिए पहुंच जाता है, वह उतनी जल्दी सही हो जाता है।
घर, खेल का मैदान, सड़क व अन्य जगहों पर सर्पदंश के मामले भी सामने आए हैं। बारिश के मौसम में सांप बिल से निकलकर लोगों के घरों तक पहुंच जाते हैं। इस बार बरसाती मौसम में सर्पदंश के बाद इलाज के लिए पहुंचे सभी मरीजों के बाद जान बचाई गई है।

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डॉ. देवऋषि ने बताया कि सर्पदंश के मामले पहले इमरजेंसी में पहुंचते हैं। वहां से गंभीर मामलों को आईसीयू में भर्ती किया जाता है। मामले की गंभीरता मरीज के शारीरिक स्वास्थ्य पर निर्भर करती है।
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घटना के शुरुआती पांच घंटे गोल्डन पीरियड यानी जान बचाने वाले होते हैं। सात घंटे तक मरीज को इलाज मिल जाए तो जान बचाई जा सकती है। ऐसे में झाड़-फूंक में समय बर्बाद करने के बजाय अस्पताल पहुंचकर इलाज करा लेना चाहिए।
स्वस्थ व्यक्ति 24 घंटे के अंदर ठीक हो जाता है। मरीज को सही होने में अधिकतर दो दिन का समय लगता है। सर्पदंश के बाद जितनी जल्दी मरीज इलाज के लिए पहुंच जाता है, वह उतनी जल्दी सही हो जाता है।
घर, खेल का मैदान, सड़क व अन्य जगहों पर सर्पदंश के मामले भी सामने आए हैं। बारिश के मौसम में सांप बिल से निकलकर लोगों के घरों तक पहुंच जाते हैं। इस बार बरसाती मौसम में सर्पदंश के बाद इलाज के लिए पहुंचे सभी मरीजों के बाद जान बचाई गई है।