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टोक्यो पैरालंपिक में तीसरी बार देश का प्रतिनिधित्व करेंगे अमित सरोहा
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टोक्यो पैरालंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करने जा रहे अमित सरोहा का परिवार ।
- फोटो : Sonipat
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सोनीपत के गांव बैंयापुर निवासी अंतरराष्ट्रीय क्लब थ्रोअर अमित सरोहा टोक्यो पैरालंपिक में तीसरी बार देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। 24 अगस्त से शुरू होने वाले टोक्यो पैरालंपिक में भाग लेने के लिए रवाना हो रहे भारतीय दल में अर्जुन अवॉर्डी अमित सरोहा सबसे अनुभवी खिलाड़ियों में से एक हैं। अमित इससे पहले वर्ष 2012 में लंदन पैरालंपिक व 2016 रियो पैरालंपिक में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वह हरियाणा के अकेले ऐसे खिलाड़ी हैं जो तीसरी बार पैरांलंपिक में हिस्सा लेंगे। अमित सरोहा 24 अगस्त से 5 सितंबर तक आयोजित होने वाले पैरालंपिक में देश की झोली में पदक डालने के लिए लगातार मेहनत कर रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 21 से ज्यादा और राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 19 पदक हासिल करने वाले अर्जुन अवॉर्डी अमित सरोहा का सफर बहुत जुझारू रहा है। सड़क दुर्घटना में दिव्यांग होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत व जुनून से नई बुलंदिया हासिल की। अमित सरोहा ने अपनी प्रतिभा को खुद तक सीमित नहीं रखा। उन्होंने दिव्यांग होने के बावजूद कई खिलाड़ी तैयार किए। युवाओं की उभरती पीढ़ी के यूथ आइकन बने अमित सरोहा काफी खिलाड़ियों को तराश चुके हैं। अमित सरोहा ने खुद के दो एशियन रिकॉर्ड डिस्कश थ्रो और क्लब थ्रो बनाए हैं। क्लब थ्रो में खेलते हुए पैरालंपिक के टोक्यो में हिस्सा लेने जा रहे हैं। इतना ही नहीं उनके कई शिष्य भी पैरा ओलंपिक में खेलेंगे।
अमित सरोहा ने वर्ष 1998 में हॉकी खेलना शुरू किया था। खेल के प्रति पूरी तरह समर्पित अमित का खेल निरंतर निखरता जा रहा था। वर्ष 2007 में हुई कार दुर्घटना ने इस खिलाड़ी को न सिफ हॉकी से दूर कर दिया, बल्कि उसके सारे सपने ही तोड़ कर रख दिए। अमित कहते हैं कि दिव्यांग होने के बाद उसे आत्महत्या जैसे विचार भी आने लगे थे। छाती से नीचे का हिस्सा निष्क्रिय हो गया। पूरा दिन घर में बेचैनी से रोता रहता था। परिवार बेटे के दर्द से दुखी था। इन सबके बीच अमित ने पारिवारिक सहयोग और खुद के आत्मविश्वास ने खुद को काफी मजबूत बनाया। वर्ष 2009 में अमित को पैरालंपिक खेलों के बारे में जानकारी मिली। जिसके बाद खुद को पैरालंपिक एथलेटिक्स के लिए तैयार किया।
दुर्घटना में दिव्यांग होने के बाद अधिकतर लोग टूट जाते हैं, लेकिन अमित सरोहा ने एक जिद की और दिव्यांगता को पराजित करने की ठान ली। घर पर अमित सरोहा व्हील चेयर से उतरने में भी असमर्थ था। वहीं अमित ने घर मे रखे सीलबट्टे को शॉटपुट के रूप में इस्तेमाल करना शुरू किया। सिलबट्टे को कंधे के ऊपर से फैंकने के प्रयास में कई बार चोट भी लगी। लेकिन अमित ने जिंदगी हारने से बेहतर चोट खाना उचित समझा और निरंतर प्रयास करते रहे। इसी दौरान अमित के बड़े भाई सुमित ने देखा कि अमित खेलने के लिए बहुत मेहनत कर रहा है तो सुमित ने खेलने के लिए सामान लाकर दिया। इसके बाद अमित सरोहा ने कभी पलट कर वापस नहीं देखा।
यह हैं उपलब्धियां
-वर्ष 2010 के एशियन गेम में रजत पदक जीता।
-वर्ष 2012 में लंदन पैरालंपिक में भाग लिया।
-वर्ष 2013 में फ्रांस में विश्व चैंपियनशिप में भाग लिया। इसी वर्ष अमित को अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
-वर्ष 2014 में अमित को भीम अवॉर्ड से नवाजा गया।
-वर्ष 2015 में इंचियोन में हुए पैरा एशियाड में डिस्कस थ्रो में रजत व क्लब थ्रो में स्वर्ण पदक जीता।
-वर्ष 2017 के लंदन वर्ल्ड चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल किया।
-वर्ष 2018 के एशियन गेम में एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक हासिल किया।
अमित सरोहा का कहना है कि इस बार उन्होंने अपनी तैयारियां बहुत अच्छी की हैं। हालांकि कोविड-19 के कारण उन्हें दिक्कत आई थी, लेकिन वह अब पूरी मेहनत कर रहे हैं। दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में 29-30 जून को आयोजित पैरालंपिक के चयन ट्रायल में अमित ने 29.87 मीटर थ्रो कर ओलंपिक का टिकट कटाया। पिछले तीन सालों में यह अमित का सबसे बेहतर थ्रो है। अमित का कहना है कि वह इस बार अपना बेस्ट देने का प्रयास करेंगे, ताकि वह देशवासियों की उम्मीदों पर खरा उतर सकेंगे। इसके लिए उन्होंने अब मोबाइल व सोशल मीडिया से भी दूरी बना ली है।
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अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 21 से ज्यादा और राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 19 पदक हासिल करने वाले अर्जुन अवॉर्डी अमित सरोहा का सफर बहुत जुझारू रहा है। सड़क दुर्घटना में दिव्यांग होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत व जुनून से नई बुलंदिया हासिल की। अमित सरोहा ने अपनी प्रतिभा को खुद तक सीमित नहीं रखा। उन्होंने दिव्यांग होने के बावजूद कई खिलाड़ी तैयार किए। युवाओं की उभरती पीढ़ी के यूथ आइकन बने अमित सरोहा काफी खिलाड़ियों को तराश चुके हैं। अमित सरोहा ने खुद के दो एशियन रिकॉर्ड डिस्कश थ्रो और क्लब थ्रो बनाए हैं। क्लब थ्रो में खेलते हुए पैरालंपिक के टोक्यो में हिस्सा लेने जा रहे हैं। इतना ही नहीं उनके कई शिष्य भी पैरा ओलंपिक में खेलेंगे।
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अमित सरोहा ने वर्ष 1998 में हॉकी खेलना शुरू किया था। खेल के प्रति पूरी तरह समर्पित अमित का खेल निरंतर निखरता जा रहा था। वर्ष 2007 में हुई कार दुर्घटना ने इस खिलाड़ी को न सिफ हॉकी से दूर कर दिया, बल्कि उसके सारे सपने ही तोड़ कर रख दिए। अमित कहते हैं कि दिव्यांग होने के बाद उसे आत्महत्या जैसे विचार भी आने लगे थे। छाती से नीचे का हिस्सा निष्क्रिय हो गया। पूरा दिन घर में बेचैनी से रोता रहता था। परिवार बेटे के दर्द से दुखी था। इन सबके बीच अमित ने पारिवारिक सहयोग और खुद के आत्मविश्वास ने खुद को काफी मजबूत बनाया। वर्ष 2009 में अमित को पैरालंपिक खेलों के बारे में जानकारी मिली। जिसके बाद खुद को पैरालंपिक एथलेटिक्स के लिए तैयार किया।
दुर्घटना में दिव्यांग होने के बाद अधिकतर लोग टूट जाते हैं, लेकिन अमित सरोहा ने एक जिद की और दिव्यांगता को पराजित करने की ठान ली। घर पर अमित सरोहा व्हील चेयर से उतरने में भी असमर्थ था। वहीं अमित ने घर मे रखे सीलबट्टे को शॉटपुट के रूप में इस्तेमाल करना शुरू किया। सिलबट्टे को कंधे के ऊपर से फैंकने के प्रयास में कई बार चोट भी लगी। लेकिन अमित ने जिंदगी हारने से बेहतर चोट खाना उचित समझा और निरंतर प्रयास करते रहे। इसी दौरान अमित के बड़े भाई सुमित ने देखा कि अमित खेलने के लिए बहुत मेहनत कर रहा है तो सुमित ने खेलने के लिए सामान लाकर दिया। इसके बाद अमित सरोहा ने कभी पलट कर वापस नहीं देखा।
यह हैं उपलब्धियां
-वर्ष 2010 के एशियन गेम में रजत पदक जीता।
-वर्ष 2012 में लंदन पैरालंपिक में भाग लिया।
-वर्ष 2013 में फ्रांस में विश्व चैंपियनशिप में भाग लिया। इसी वर्ष अमित को अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
-वर्ष 2014 में अमित को भीम अवॉर्ड से नवाजा गया।
-वर्ष 2015 में इंचियोन में हुए पैरा एशियाड में डिस्कस थ्रो में रजत व क्लब थ्रो में स्वर्ण पदक जीता।
-वर्ष 2017 के लंदन वर्ल्ड चैंपियनशिप में रजत पदक हासिल किया।
-वर्ष 2018 के एशियन गेम में एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक हासिल किया।
अमित सरोहा का कहना है कि इस बार उन्होंने अपनी तैयारियां बहुत अच्छी की हैं। हालांकि कोविड-19 के कारण उन्हें दिक्कत आई थी, लेकिन वह अब पूरी मेहनत कर रहे हैं। दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में 29-30 जून को आयोजित पैरालंपिक के चयन ट्रायल में अमित ने 29.87 मीटर थ्रो कर ओलंपिक का टिकट कटाया। पिछले तीन सालों में यह अमित का सबसे बेहतर थ्रो है। अमित का कहना है कि वह इस बार अपना बेस्ट देने का प्रयास करेंगे, ताकि वह देशवासियों की उम्मीदों पर खरा उतर सकेंगे। इसके लिए उन्होंने अब मोबाइल व सोशल मीडिया से भी दूरी बना ली है।