{"_id":"6946abffce0c6346bc0ae4d7","slug":"bilaspur-aiims-is-taking-care-of-the-health-of-the-patients-bilaspur-news-c-92-1-ssml1001-150607-2025-12-20","type":"story","status":"publish","title_hn":"Bilaspur News: मरीजों के स्वास्थ्य का ख्याल रख रहा है बिलासपुर एम्स","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Bilaspur News: मरीजों के स्वास्थ्य का ख्याल रख रहा है बिलासपुर एम्स
संवाद न्यूज एजेंसी, बिलासपुर
Updated Sat, 20 Dec 2025 11:29 PM IST
विज्ञापन
विज्ञापन
मरीज को घर भेजने के बाद भी डॉक्टर फोन पर पूछ रहे हैं हाल
तबीयत ठीक न होने पर ओपीडी विजिट की भी दे रहे हैं सलाह
संस्थान की पहल ने मरीजों, तीमारदारों का बढ़ाया भरोसा
संवाद न्यूज एजेंसी
बिलासपुर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) बिलासपुर मरीजों के बेहतर इलाज और स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर लगातार नई मिसाल कायम कर रहा है। यहां इलाज केवल अस्पताल में भर्ती रहने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि मरीज के डिस्चार्ज होने के बाद भी उसकी सेहत पर पूरी नजर रखी जा रही है। एम्स के डॉक्टर छुट्टी के बाद भी मरीजों से फोन पर संपर्क कर उनका हालचाल पूछ रहे हैं और स्वास्थ्य से जुड़ी जरूरी सलाह दे रहे हैं।
एम्स बिलासपुर में यह व्यवस्था खास तौर पर उन मरीजों के लिए की गई है, जिन्हें गंभीर बीमारी, सर्जरी या लंबे इलाज के बाद छुट्टी दी जाती है। वहीं, आपातकाल में पहुंचने के बाद आईपीडी में भर्ती होने वाले मरीजों का भी इसी तरह ख्याल रखा जा रहा है। डॉक्टर मरीजों से बातचीत कर यह जान रहे हैं कि दवाइयों का सही असर हो रहा है या नहीं, कोई दिक्कत तो नहीं आ रही, बुखार, दर्द, कमजोरी या अन्य लक्षण तो नहीं हैं। यदि मरीज की तबीयत सामान्य नहीं लगती या कोई समस्या सामने आती है तो डॉक्टर उन्हें तुरंत ओपीडी में आकर दिखाने की सलाह भी दे रहे हैं, ताकि समय रहते उचित इलाज किया जा सके। बताते चलें कि कुछ माह पहले कार्यकारी निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल डॉक्टर दलजीत सिंह ने एम्स में अपना पदभार संभाला। उसके बाद उन्होंने संस्थान में मरीजों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण इलाज के लिए कई सुधार किए हैं। इनमें से एक यह भी है। एम्स के बाल रोग विभाग में भर्ती एक मरीज के तीमारदार ने बताया कि उनका बच्चा एम्स में भर्ती रहा। उसके बाद उसे छुट्टी मिली। लेकिन विभाग के विशेषज्ञों ने घर पर भी मरीज बच्चे की हालत पूछने के लिए फोन किया। इससे उन्हें बड़ी राहत मिली। वहीं ,एम्स प्रबंधन का कहना है कि मरीजों की सेहत एम्स की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इलाज के बाद मरीज को अकेला छोड़ देना सही नहीं है। डिस्चार्ज के बाद की अवधि बेहद महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इसी दौरान जटिलताएं सामने आ सकती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों को निर्देश दिए गए हैं कि वे मरीजों से नियमित फॉलो-अप करें और आवश्यकता पड़ने पर तुरंत चिकित्सकीय हस्तक्षेप करें। इस पहल का उद्देश्य मरीजों में विश्वास पैदा करना और इलाज की गुणवत्ता को और बेहतर बनाना है। फोन कॉल के जरिए मरीजों को यह महसूस होता है कि डॉक्टर और संस्थान उनके साथ हैं। इससे मरीजों का आत्मविश्वास बढ़ता है और वे अपनी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को खुलकर साझा कर पाते हैं।
Trending Videos
तबीयत ठीक न होने पर ओपीडी विजिट की भी दे रहे हैं सलाह
संस्थान की पहल ने मरीजों, तीमारदारों का बढ़ाया भरोसा
संवाद न्यूज एजेंसी
बिलासपुर। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) बिलासपुर मरीजों के बेहतर इलाज और स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर लगातार नई मिसाल कायम कर रहा है। यहां इलाज केवल अस्पताल में भर्ती रहने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि मरीज के डिस्चार्ज होने के बाद भी उसकी सेहत पर पूरी नजर रखी जा रही है। एम्स के डॉक्टर छुट्टी के बाद भी मरीजों से फोन पर संपर्क कर उनका हालचाल पूछ रहे हैं और स्वास्थ्य से जुड़ी जरूरी सलाह दे रहे हैं।
एम्स बिलासपुर में यह व्यवस्था खास तौर पर उन मरीजों के लिए की गई है, जिन्हें गंभीर बीमारी, सर्जरी या लंबे इलाज के बाद छुट्टी दी जाती है। वहीं, आपातकाल में पहुंचने के बाद आईपीडी में भर्ती होने वाले मरीजों का भी इसी तरह ख्याल रखा जा रहा है। डॉक्टर मरीजों से बातचीत कर यह जान रहे हैं कि दवाइयों का सही असर हो रहा है या नहीं, कोई दिक्कत तो नहीं आ रही, बुखार, दर्द, कमजोरी या अन्य लक्षण तो नहीं हैं। यदि मरीज की तबीयत सामान्य नहीं लगती या कोई समस्या सामने आती है तो डॉक्टर उन्हें तुरंत ओपीडी में आकर दिखाने की सलाह भी दे रहे हैं, ताकि समय रहते उचित इलाज किया जा सके। बताते चलें कि कुछ माह पहले कार्यकारी निदेशक लेफ्टिनेंट जनरल डॉक्टर दलजीत सिंह ने एम्स में अपना पदभार संभाला। उसके बाद उन्होंने संस्थान में मरीजों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण इलाज के लिए कई सुधार किए हैं। इनमें से एक यह भी है। एम्स के बाल रोग विभाग में भर्ती एक मरीज के तीमारदार ने बताया कि उनका बच्चा एम्स में भर्ती रहा। उसके बाद उसे छुट्टी मिली। लेकिन विभाग के विशेषज्ञों ने घर पर भी मरीज बच्चे की हालत पूछने के लिए फोन किया। इससे उन्हें बड़ी राहत मिली। वहीं ,एम्स प्रबंधन का कहना है कि मरीजों की सेहत एम्स की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इलाज के बाद मरीज को अकेला छोड़ देना सही नहीं है। डिस्चार्ज के बाद की अवधि बेहद महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इसी दौरान जटिलताएं सामने आ सकती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों को निर्देश दिए गए हैं कि वे मरीजों से नियमित फॉलो-अप करें और आवश्यकता पड़ने पर तुरंत चिकित्सकीय हस्तक्षेप करें। इस पहल का उद्देश्य मरीजों में विश्वास पैदा करना और इलाज की गुणवत्ता को और बेहतर बनाना है। फोन कॉल के जरिए मरीजों को यह महसूस होता है कि डॉक्टर और संस्थान उनके साथ हैं। इससे मरीजों का आत्मविश्वास बढ़ता है और वे अपनी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को खुलकर साझा कर पाते हैं।
विज्ञापन
विज्ञापन