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Bilaspur News: मंडी माणवां में भाखड़ा डैम विस्थापित परिवारों के लिए उठी नई पॉलिसी की मांग
संवाद न्यूज एजेंसी, बिलासपुर
Updated Sun, 21 Dec 2025 09:51 PM IST
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आपातकालीन स्थिति में अपने बच्चों के साथ मंडी माणवां में बसे थे लोग
परिवारों को दी थी मात्र पांच बीघा जमीन, घर बनाने के लिए लिया था कर्ज
परिवारों की संख्या बढ़ने के कारण पांच बीघा जमीन पर्याप्त नहीं।
संवाद न्यूज एजेंसी
बिलासपुर। जिले की सदर विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत नौणी के गांव मंडी माणवां में बसे भाखड़ा डैम विस्थापित परिवारों ने अपनी बुरी दशा और नई पॉलिसी की आवश्यकता को लेकर मांग उठाई है।
वर्ष 1952 में भाखड़ा डैम बनने के दौरान पुराने बिलासपुर शहर और आसपास के गांवों के लोग अपने घरों को पानी की बलि चढ़ते देख विस्थापित हुए। उन्हें तत्कालीन प्रशासन की ओर से केवल प्रतीकात्मक जमीन (मौजा) दी गई, जो लगभग ऊंट के मुंह में जीरा के बराबर थी। गरीब परिवारों को उस समय अपनी जमीन और आशियाने छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। उस आपात स्थिति में लोग अपने बच्चों के साथ गांव मंडी माणवां में बसाए गए। बच्चों की पढ़ाई बाधित हुई और उन्हें मजदूरी करना पड़ी। भाखड़ा डैम आने से उन परिवारों की जिंदगी में अंधेरा छा गया, जो आज तक पीढ़ियों तक प्रभावित है। सरकार ने उस समय घर बनाने के लिए पांच बीघा जमीन दी और परिवारों को घर बनाने के लिए कर्ज लेना पड़ा, जिसे बाद में हिमाचल प्रदेश सरकार ने माफ किया। आज, उन परिवारों की चौथी पीढ़ी उसी पांच बीघा जमीन पर जीवन यापन कर रही है। परिवारों की संख्या में वृद्धि होने के कारण जीवन यापन करना कठिन हो गया है। सरकार की ओर से अगर कुछ परिवारों को नई भूमि दी गई है, तो वह जंगलों में है, जहां घर बनाना संभव नहीं है।
कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष रमेश कौंडल ने कहा कि इस स्थिति में भाखड़ा डैम विस्थापित परिवारों ने अपने मकानों के आस-पास सरकारी भूमि पर कब्जा किया है, जिससे उनका जीवन यापन उसी जमीन के बिना मुश्किल हो गया है। इसलिए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू से मांग की जाती है कि गांव मंडी माणवां में भाखड़ा डैम विस्थापित परिवारों के लिए नई पॉलिसी बनाई जाए। नई पॉलिसी में मकानों के आस-पास सरकारी भूमि को वर्ग मीटर के हिसाब से परिवारों के नाम पर दर्ज किया जाए। विस्थापित परिवारों को उनकी आवश्यकताओं और परिवार संख्या के अनुसार पर्याप्त भूमि प्रदान की जाए। विस्थापित परिवारों के लिए जीवन यापन में राहत देने वाले अन्य उपाय किए जाएं। इस पॉलिसी के लागू होने से भाखड़ा डैम विस्थापित परिवारों को न्याय मिलेगा और उन्हें सुखद जीवन यापन की सुविधा प्राप्त होगी।
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परिवारों को दी थी मात्र पांच बीघा जमीन, घर बनाने के लिए लिया था कर्ज
परिवारों की संख्या बढ़ने के कारण पांच बीघा जमीन पर्याप्त नहीं।
संवाद न्यूज एजेंसी
बिलासपुर। जिले की सदर विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत नौणी के गांव मंडी माणवां में बसे भाखड़ा डैम विस्थापित परिवारों ने अपनी बुरी दशा और नई पॉलिसी की आवश्यकता को लेकर मांग उठाई है।
वर्ष 1952 में भाखड़ा डैम बनने के दौरान पुराने बिलासपुर शहर और आसपास के गांवों के लोग अपने घरों को पानी की बलि चढ़ते देख विस्थापित हुए। उन्हें तत्कालीन प्रशासन की ओर से केवल प्रतीकात्मक जमीन (मौजा) दी गई, जो लगभग ऊंट के मुंह में जीरा के बराबर थी। गरीब परिवारों को उस समय अपनी जमीन और आशियाने छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। उस आपात स्थिति में लोग अपने बच्चों के साथ गांव मंडी माणवां में बसाए गए। बच्चों की पढ़ाई बाधित हुई और उन्हें मजदूरी करना पड़ी। भाखड़ा डैम आने से उन परिवारों की जिंदगी में अंधेरा छा गया, जो आज तक पीढ़ियों तक प्रभावित है। सरकार ने उस समय घर बनाने के लिए पांच बीघा जमीन दी और परिवारों को घर बनाने के लिए कर्ज लेना पड़ा, जिसे बाद में हिमाचल प्रदेश सरकार ने माफ किया। आज, उन परिवारों की चौथी पीढ़ी उसी पांच बीघा जमीन पर जीवन यापन कर रही है। परिवारों की संख्या में वृद्धि होने के कारण जीवन यापन करना कठिन हो गया है। सरकार की ओर से अगर कुछ परिवारों को नई भूमि दी गई है, तो वह जंगलों में है, जहां घर बनाना संभव नहीं है।
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कांग्रेस अनुसूचित जाति विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष रमेश कौंडल ने कहा कि इस स्थिति में भाखड़ा डैम विस्थापित परिवारों ने अपने मकानों के आस-पास सरकारी भूमि पर कब्जा किया है, जिससे उनका जीवन यापन उसी जमीन के बिना मुश्किल हो गया है। इसलिए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू से मांग की जाती है कि गांव मंडी माणवां में भाखड़ा डैम विस्थापित परिवारों के लिए नई पॉलिसी बनाई जाए। नई पॉलिसी में मकानों के आस-पास सरकारी भूमि को वर्ग मीटर के हिसाब से परिवारों के नाम पर दर्ज किया जाए। विस्थापित परिवारों को उनकी आवश्यकताओं और परिवार संख्या के अनुसार पर्याप्त भूमि प्रदान की जाए। विस्थापित परिवारों के लिए जीवन यापन में राहत देने वाले अन्य उपाय किए जाएं। इस पॉलिसी के लागू होने से भाखड़ा डैम विस्थापित परिवारों को न्याय मिलेगा और उन्हें सुखद जीवन यापन की सुविधा प्राप्त होगी।