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Kullu News: अटल सदन में याद किए चंद्रधर गुलेरी, कविताओं से दी श्रद्धांजलि
संवाद न्यूज एजेंसी, कुल्लू
Updated Mon, 07 Jul 2025 11:00 PM IST
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भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा अटल सदन सभागार में चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी की जयंती के अवसर पर ए
बहुभाषी कवि सम्मेलन एवं साहित्यिक गोष्ठी में कवियों से साझा किए अनुभव
चंद्रधर शर्मा गुलेरी की जयंती पर सम्मेलन में जिले के 18 कवियों ने लिया भाग
संवाद न्यूज एजेंसी
कुल्लू। भाषा एवं संस्कृति विभाग ने अटल सदन सभागार में चंद्रधर शर्मा गुलेरी की जयंती पर बहुभाषी कवि सम्मेलन एवं साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन किया। सम्मेलन में जिले के 18 कवियों ने भाग लिया।
विभिन्न वरिष्ठ एवं युवा कवियों ने हिंदी, पहाड़ी, संस्कृत और उर्दू भाषाओं में कविताएं सुनाईं। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता जिला भाषाधिकारी प्रोमिला गुलेरिया ने की। दिवंगत चंद्रधर शर्मा गुलेरी की ओर से हिमाचल की संस्कृति को सहेजने के लिए दिए गए योगदानों को याद किया गया। उन्हें श्रद्धांजलि भी दी गई।
कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सूरत ठाकुर ने संस्कृति मानव आत्मा नामक कविता सुनाकर एक मनोवैज्ञानिक संदेश दिया। अजय ने गुलेरी के जीवन पर प्रकाश डाला और अपने विचार व अनुभव साझा किए। तुम कुछ साल बाद आना नामक कविता का पाठ किया। इशिता गिरीश ने पहाड़ से प्रेम नामक कविता पढ़ी। पल्लवी ने एक पहाड़ी कविता सुना कर प्राकृतिक आपदा से हुए विनाश का वर्णन किया। ओजस्विनी ने गुलेरी की कहानी उसने कहा था को कविता के रूप में प्रस्तुत किया। रूपिंद्र पुनीत पटियाल ने मैं ही तो महाकाल कालों का काल नामक कविता पढ़ी। इसी प्रकार शबनम, मोनिका, ईशा कुमारी, सुनीता, श्रुति, मेनका, सरला चंबियाल, गणेश गणी, जय प्रकाश शर्मा, दोतराम पहाड़िया, ज्योति प्रकाश ने अपनी प्रस्तुतियों से सबको भाव विभोर किया।
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चंद्रधर शर्मा गुलेरी की जयंती पर सम्मेलन में जिले के 18 कवियों ने लिया भाग
संवाद न्यूज एजेंसी
कुल्लू। भाषा एवं संस्कृति विभाग ने अटल सदन सभागार में चंद्रधर शर्मा गुलेरी की जयंती पर बहुभाषी कवि सम्मेलन एवं साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन किया। सम्मेलन में जिले के 18 कवियों ने भाग लिया।
विभिन्न वरिष्ठ एवं युवा कवियों ने हिंदी, पहाड़ी, संस्कृत और उर्दू भाषाओं में कविताएं सुनाईं। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता जिला भाषाधिकारी प्रोमिला गुलेरिया ने की। दिवंगत चंद्रधर शर्मा गुलेरी की ओर से हिमाचल की संस्कृति को सहेजने के लिए दिए गए योगदानों को याद किया गया। उन्हें श्रद्धांजलि भी दी गई।
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कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. सूरत ठाकुर ने संस्कृति मानव आत्मा नामक कविता सुनाकर एक मनोवैज्ञानिक संदेश दिया। अजय ने गुलेरी के जीवन पर प्रकाश डाला और अपने विचार व अनुभव साझा किए। तुम कुछ साल बाद आना नामक कविता का पाठ किया। इशिता गिरीश ने पहाड़ से प्रेम नामक कविता पढ़ी। पल्लवी ने एक पहाड़ी कविता सुना कर प्राकृतिक आपदा से हुए विनाश का वर्णन किया। ओजस्विनी ने गुलेरी की कहानी उसने कहा था को कविता के रूप में प्रस्तुत किया। रूपिंद्र पुनीत पटियाल ने मैं ही तो महाकाल कालों का काल नामक कविता पढ़ी। इसी प्रकार शबनम, मोनिका, ईशा कुमारी, सुनीता, श्रुति, मेनका, सरला चंबियाल, गणेश गणी, जय प्रकाश शर्मा, दोतराम पहाड़िया, ज्योति प्रकाश ने अपनी प्रस्तुतियों से सबको भाव विभोर किया।