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Kullu News: बाढ़ ने पुल तोड़ा, सिस्टम ने भरोसा, सुरक्षा दीवार लगाने का दावा भी बहा
संवाद न्यूज एजेंसी, कुल्लू
Updated Sun, 30 Nov 2025 10:47 PM IST
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दुर्गम गांव शाक्टी, जहां बाढ़ का खतरा बना रहता है। घरों को सुरक्षित करने के लिए सुरक्षा दीवार
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आपदा के तीन महीने बाद भी दिक्कतें झेल रहे कुल्लू के दुर्गम गांवों शाक्टी-मरोड़ के बाशिंदे
न आपदा में बहा पुल बन पाया और न ही बाढ़ से बचाव के लिए लगी सुरक्षा दीवार
दुर्गम गांवों को जोड़ने वाला रास्ता भी कई जगह टूटा, अभी तक नहीं बदले हालात
महेंद्र पालसरा
न्यूली/सैंज (कुल्लू)। जिले के दुर्गम गांवों शाक्टी और मरोड़ में आज भी हर कदम जोखिम पर रखा जाता है। टूटा रास्ता, बहे पुल के अवशेष और नदी के किनारे खड़ा स्कूल बताता है कि आपदा बीत चुकी है, पर खतरा नहीं।
प्रशासन की चुप्पी अब गांवों की पीड़ा बन चुकी है। लोगाें को आपदा के तीन माह भी दिक्कतें पेश आ रही हैं। चेनगा नामक जगह पर आपदा में पुल बह गया था। अभी तक यहां पुल नहीं बना है। बाढ़ में मरोड़-शाक्टी और शुगाड़ में आधा दर्जन से अधिक घरों और कई बीघा जमीनों को नुकसान हुआ था। अभी तक सुरक्षा दीवार भी नहीं लग सकी है। शाक्टी गांव को जोड़ने वाला रास्ता भी कई जगह से क्षतिग्रस्त है। इससे ग्रामीणों में रोष है।
गौर रहे कि सैंज घाटी के तहत पिन पार्वती नदी में बाढ़ आई थी। इसमें शाक्टी-मरोड़ गांवों के लोगों की जमीन और घरों को नुकसान हुआ था। आपदा के बाद ग्रामीणों ने सुरक्षा दीवार लगाने की मांग की थी। अभी भी स्थिति जस की तस है। भूस्खलन रोकने और सुरक्षा के लिए दीवार अभी तक नहीं लग पाई है। पिन पार्वती नदी के किनारे ही मिडल स्कूल शाक्टी है। ऐसे में बाढ़ से स्कूल को भी खतरा है। शाक्टी और मरोड़ गांव कुल्लू के सबसे दुर्गम गांव हैं। गांव तक पहुंचने के लिए रोपा नामक जगह से पैदल करीब 18 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। पैदल रास्ता भी चार माह पहले आई आपदा में क्षतिग्रस्त हुआ था। अभी भी रास्ता पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ है। ऐसे में ग्रामीणों में सरकार के प्रति रोष है।
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बाढ़ के बाद लोगों की जमीनों और घरों को नुकसान हुआ था। प्रभावितों को सरकार से उम्मीद थी लेकिन अभी तक सुरक्षा दीवार नहीं लग पाई है। आपदा में बहे पुल की जगह नए ब्रिज का निर्माण किया जाए जिससे लोगों काे परेशानियों का सामना न करना पड़े। - राजवीर ठाकुर
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स्नो बाउंड एरिया होने के कारण सर्दियों में पहले ही यहां के लोग कई तरह की परेशानियों से घिर जाते हैं। सरकार और प्रशासन समय रहते गांव के लिए पुनर्वास कार्य शुरू करें। बर्फबारी होने की सूरत में कार्य के लिए ग्रामीणों को इंतजार करना होगा। - निर्मला देवी
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जिला प्रशासन को आपदा में हुए नुकसान के बारे में अवगत करवा दिया गया है। सुरक्षा दीवार लगने से गांवों में आने वाले समय में बाढ़ का खतरा कम होगा। - यमुना देवी, प्रधान, ग्राम पंचायत गाड़ापारली
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दुर्गम गांवों को जोड़ने वाला रास्ता भी कई जगह टूटा, अभी तक नहीं बदले हालात
महेंद्र पालसरा
न्यूली/सैंज (कुल्लू)। जिले के दुर्गम गांवों शाक्टी और मरोड़ में आज भी हर कदम जोखिम पर रखा जाता है। टूटा रास्ता, बहे पुल के अवशेष और नदी के किनारे खड़ा स्कूल बताता है कि आपदा बीत चुकी है, पर खतरा नहीं।
प्रशासन की चुप्पी अब गांवों की पीड़ा बन चुकी है। लोगाें को आपदा के तीन माह भी दिक्कतें पेश आ रही हैं। चेनगा नामक जगह पर आपदा में पुल बह गया था। अभी तक यहां पुल नहीं बना है। बाढ़ में मरोड़-शाक्टी और शुगाड़ में आधा दर्जन से अधिक घरों और कई बीघा जमीनों को नुकसान हुआ था। अभी तक सुरक्षा दीवार भी नहीं लग सकी है। शाक्टी गांव को जोड़ने वाला रास्ता भी कई जगह से क्षतिग्रस्त है। इससे ग्रामीणों में रोष है।
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गौर रहे कि सैंज घाटी के तहत पिन पार्वती नदी में बाढ़ आई थी। इसमें शाक्टी-मरोड़ गांवों के लोगों की जमीन और घरों को नुकसान हुआ था। आपदा के बाद ग्रामीणों ने सुरक्षा दीवार लगाने की मांग की थी। अभी भी स्थिति जस की तस है। भूस्खलन रोकने और सुरक्षा के लिए दीवार अभी तक नहीं लग पाई है। पिन पार्वती नदी के किनारे ही मिडल स्कूल शाक्टी है। ऐसे में बाढ़ से स्कूल को भी खतरा है। शाक्टी और मरोड़ गांव कुल्लू के सबसे दुर्गम गांव हैं। गांव तक पहुंचने के लिए रोपा नामक जगह से पैदल करीब 18 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। पैदल रास्ता भी चार माह पहले आई आपदा में क्षतिग्रस्त हुआ था। अभी भी रास्ता पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ है। ऐसे में ग्रामीणों में सरकार के प्रति रोष है।
बाढ़ के बाद लोगों की जमीनों और घरों को नुकसान हुआ था। प्रभावितों को सरकार से उम्मीद थी लेकिन अभी तक सुरक्षा दीवार नहीं लग पाई है। आपदा में बहे पुल की जगह नए ब्रिज का निर्माण किया जाए जिससे लोगों काे परेशानियों का सामना न करना पड़े। - राजवीर ठाकुर
स्नो बाउंड एरिया होने के कारण सर्दियों में पहले ही यहां के लोग कई तरह की परेशानियों से घिर जाते हैं। सरकार और प्रशासन समय रहते गांव के लिए पुनर्वास कार्य शुरू करें। बर्फबारी होने की सूरत में कार्य के लिए ग्रामीणों को इंतजार करना होगा। - निर्मला देवी
जिला प्रशासन को आपदा में हुए नुकसान के बारे में अवगत करवा दिया गया है। सुरक्षा दीवार लगने से गांवों में आने वाले समय में बाढ़ का खतरा कम होगा। - यमुना देवी, प्रधान, ग्राम पंचायत गाड़ापारली