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मरीज और चिकित्सक के बीच संवेदना और समझ होना जरूरी : देविंद्र सिंह

Shimla Bureau शिमला ब्यूरो
Updated Wed, 24 Dec 2025 11:49 PM IST
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आनी (कुल्लू)। आनी के समाजसेवी देवेंद्र सिंह प्रेमी ने कहा कि अस्पताल में मरीज और चिकित्सक का रिश्ता केवल उपचार तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह विश्वास, संवेदना और आपसी सम्मान पर आधारित एक मानवीय संबंध होता है। जब कोई व्यक्ति अस्पताल आता है, तो वह शारीरिक पीड़ा के साथ मानसिक तनाव, भय और असहायता की स्थिति में होता है। वहीं, चिकित्सक अत्यधिक जिम्मेदारी, समय के दबाव और सीमित संसाधनों के बीच काम कर रहे होते हैं। ऐसे में यदि दोनों पक्ष एक-दूसरे की स्थिति को समझें, तो टकराव की संभावना काफी कम हो सकती है। हाल ही में आईजीएमसी शिमला में मरीज और चिकित्सक के बीच उत्पन्न तनाव बताता है कि संवाद और संयम की कमी कैसे स्थिति को बिगाड़ सकती है। मरीज और उनके परिजनों का यह दायित्व है कि वे चिकित्सक को एक पेशेवर और सेवा-भाव से काम करने वाला व्यक्ति समझें, न कि अपनी निराशा या गुस्से का माध्यम। वहीं, चिकित्सकों से भी अपेक्षा की जाती है कि वे मरीज को केवल केस या फाइल न समझें, बल्कि एक संवेदनशील इंसान के रूप में देखें। अस्पताल प्रशासन की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्पष्ट नियम, शिकायत निवारण की प्रभावी व्यवस्था, सुरक्षा प्रबंध और संवाद के लिए निर्धारित प्रक्रिया तनाव को कम कर सकती है। अस्पताल को एक सहयोगात्मक और मानवीय स्थान बनाए रखने के लिए दोनों पक्षों को संयम बरतना होगा। मरीज पक्ष को धैर्य, मर्यादा और विश्वास रखना चाहिए, जबकि चिकित्सकों को संवेदना, स्पष्ट संवाद और सम्मानजनक व्यवहार अपनाना चाहिए। जब अहंकार की जगह समझदारी और संवाद ले लेते हैं, तब न केवल अप्रिय घटनाओं से बचा जा सकता है, बल्कि उपचार की प्रक्रिया भी अधिक सफल और सकारात्मक बनती है।
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