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Rampur Bushahar News: पोषक तत्व प्रबंधन और मिट्टी संरक्षण से अधिक टिकाऊ होती है बागवानी

Shimla Bureau शिमला ब्यूरो
Updated Tue, 25 Nov 2025 11:58 PM IST
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Horticulture department's five-day training camp begins in Bajaura
कुल्लू के बजौरा में सेब उत्पादन की उन्नत तकनीक सीख रहे आनी और निरमंड के बागवान। संवाद - फोटो : credit
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आनी और निरमंड के बागवान सीख रहे सेब बागवानी की नई तकनीक
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बजौरा में बागवानी विभाग का पांच दिवसीय प्रशिक्षण शिविर शुरू
संवाद न्यूज एजेंसी
आनी (कुल्लू)। प्राकृतिक तरीके से पोषक तत्व प्रबंधन और मिट्टी संरक्षण न सिर्फ लागत कम करता है, बल्कि सेब की बागवानी को अधिक टिकाऊ और लाभकारी भी बनाता है। डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय बागवानी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र बजौरा में बागवानी विभाग ने पांच दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ किया। शिविर के पहले दिन विषय विशेषज्ञ डॉ. विजय भारद्वाज ने प्राकृतिक खेती में बगीचा प्रबंधन के महत्व पर जानकारी दी। शिविर में आनी और निरमंड खंड के 15 बागवानों को सेब की उच्च घनत्व (हाई डेंसिटी) बागवानी से संबंधित नई तकनीकों की जानकारी दी जा रही है। इसके माध्यम से बागवान आधुनिक बागवानी पद्धतियों को अपनाकर उत्पादन और गुणवत्ता में वृद्धि कर सकेंगे। मंगलवार को शिविर में अनुसंधान केंद्र में विकसित विभिन्न सेब किस्मों की जानकारी दी। बागवानों को उनकी विशेषताओं, उत्पादन क्षमता और स्थानीय जलवायु में उनकी अनुकूलता के बारे में समझाया। विशेषज्ञ दिशा ठाकुर ने सेब की पारंपरिक और उन्नत किस्मों के साथ-साथ अन्य फलों की किस्मों पर भी व्यापक जानकारी दी। उन्होंने फलों के पौधों के चयन, पौधशाला प्रबंधन और उद्यान प्रबंधन की आधुनिक तकनीकों पर जोर दिया, जिससे बागवान वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाकर बेहतर उत्पादन पा सकें। विभाग के सह निदेशक डॉ. भूपेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि बजौरा केंद्र में तैयार की गई विभिन्न उन्नत किस्मों के पौधे अब बिक्री के लिए तैयार हैं। बागवानों को इन पौधों का वितरण दिसंबर के दूसरे सप्ताह में पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर किया जाएगा। उपलब्ध पौधों में सेब, कीवी फल, जापानी फल (पर्शिमन), नाशपाती, आड़ू, प्लम, खुबानी, अखरोट और अनार सहित अनेक फलदार प्रजातियां शामिल हैं।
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