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Una News: आपसी सहमति से पति-पत्नी में हुआ तलाक
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अदालत
अदालत ने सुनाया तलाक देने का फैसला
पति ने एक मुश्त दिया सात लाख गुजारा भत्ता
शादी के बाद बच्चे न होने पर नहीं बनती थी पति पत्नी में
संवाद न्यूज एजेंसी
ऊना। पारिवारिक न्यायालय ऊना के अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश एक राजिंदर कुमार की अदालत ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13-बी के तहत आपसी सहमति से विवाह विच्छेद के माध्यम से तलाक के लिए वर्तमान दायर याचिका को मंजूर कर लिया है। नेहा रानी ग्राम धर्मशाला महंता उप-तहसील भरवाईं जिला ऊना और मंदीप सिंह का विवाह 22-10-2023 को हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार हुआ था। विवाह के बाद कोई संतान पैदा नहीं हुई। यह तर्क दिया जाता कि विवाह की तिथि से ही दोनों पक्षों के बीच आपसी समझ का अभाव रहा और न तो याचिकाकर्ता नेहा और न ही सह-याचिकाकर्ता मंदीप सिंह ने पति-पत्नी के बीच नैतिक, सामाजिक, बौद्धिक और आर्थिक पारस्परिक संबंधों को समझने की कोशिश की। बाद में दोनों पक्षों के बीच गलतफहमियां चरम पर पहुंच गईं। जब एक ही छत के नीचे रहने का कोई रास्ता न मिलने पर दोनों पक्षों को अपनी सोच, जीवनशैली और पारिवारिक स्थिति के कारण अपूरणीय गलतफहमियों और मतभेदों के कारण अपनी-अपनी जीवन शैली चुनने के लिए मजबूर होना पड़ा। पिछले एक साल से भी अधिक समय से दोनों अलग-अलग रह रहे हैं। दोनों के बीच गलतफहमियां ऐसी स्थिति में पहुंच गई हैं, जहां दोनों पक्षों के बीच पुनर्मिलन की संभावना न केवल दूर है, बल्कि असंभव भी है। इसलिए दोनों ने आपसी सहमति से तय किया है कि उनकी शादी को आपसी सहमति से तलाक के आदेश के माध्यम से भंग कर दिया जाए। याचिकाकर्ता नेहा पहली दिसंबर, 2023 से सह-याचिकाकर्ता मंदीप सिंह से अलग अपने पिता के घर में रह रही हैं। यह तर्क दिया गया है कि सह-याचिकाकर्ता/ मंदीप सिंह ने याचिकाकर्ता नेहा को 7,00,000 रुपये की एकमुश्त स्थायी राशि का भुगतान करने पर सहमति व्यक्त की है। गुजारा भत्ता के लिए याचिकाकर्ता नेहा भी इसके लिए सहमत हो गई हैं और वह आगे उपरोक्त राशि के अलावा किसी और गुजारा भत्ता आदि का दावा नहीं करेगी। दोनों में पहली दिसंबर 2023 से पत्नी और पति के रूप में कोई संबंध नहीं रहा है। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आपसी सहमति से तलाक का आदेश का फैसला सुनाया।
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अदालत ने सुनाया तलाक देने का फैसला
पति ने एक मुश्त दिया सात लाख गुजारा भत्ता
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संवाद न्यूज एजेंसी
ऊना। पारिवारिक न्यायालय ऊना के अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश एक राजिंदर कुमार की अदालत ने हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13-बी के तहत आपसी सहमति से विवाह विच्छेद के माध्यम से तलाक के लिए वर्तमान दायर याचिका को मंजूर कर लिया है। नेहा रानी ग्राम धर्मशाला महंता उप-तहसील भरवाईं जिला ऊना और मंदीप सिंह का विवाह 22-10-2023 को हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार हुआ था। विवाह के बाद कोई संतान पैदा नहीं हुई। यह तर्क दिया जाता कि विवाह की तिथि से ही दोनों पक्षों के बीच आपसी समझ का अभाव रहा और न तो याचिकाकर्ता नेहा और न ही सह-याचिकाकर्ता मंदीप सिंह ने पति-पत्नी के बीच नैतिक, सामाजिक, बौद्धिक और आर्थिक पारस्परिक संबंधों को समझने की कोशिश की। बाद में दोनों पक्षों के बीच गलतफहमियां चरम पर पहुंच गईं। जब एक ही छत के नीचे रहने का कोई रास्ता न मिलने पर दोनों पक्षों को अपनी सोच, जीवनशैली और पारिवारिक स्थिति के कारण अपूरणीय गलतफहमियों और मतभेदों के कारण अपनी-अपनी जीवन शैली चुनने के लिए मजबूर होना पड़ा। पिछले एक साल से भी अधिक समय से दोनों अलग-अलग रह रहे हैं। दोनों के बीच गलतफहमियां ऐसी स्थिति में पहुंच गई हैं, जहां दोनों पक्षों के बीच पुनर्मिलन की संभावना न केवल दूर है, बल्कि असंभव भी है। इसलिए दोनों ने आपसी सहमति से तय किया है कि उनकी शादी को आपसी सहमति से तलाक के आदेश के माध्यम से भंग कर दिया जाए। याचिकाकर्ता नेहा पहली दिसंबर, 2023 से सह-याचिकाकर्ता मंदीप सिंह से अलग अपने पिता के घर में रह रही हैं। यह तर्क दिया गया है कि सह-याचिकाकर्ता/ मंदीप सिंह ने याचिकाकर्ता नेहा को 7,00,000 रुपये की एकमुश्त स्थायी राशि का भुगतान करने पर सहमति व्यक्त की है। गुजारा भत्ता के लिए याचिकाकर्ता नेहा भी इसके लिए सहमत हो गई हैं और वह आगे उपरोक्त राशि के अलावा किसी और गुजारा भत्ता आदि का दावा नहीं करेगी। दोनों में पहली दिसंबर 2023 से पत्नी और पति के रूप में कोई संबंध नहीं रहा है। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आपसी सहमति से तलाक का आदेश का फैसला सुनाया।