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Una News: मिलेट और हस्तनिर्मित चीजों ने दी नई उड़ान
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रेलवे स्टेशन ऊना में स्थापित किया आउटलेट
बटूही की माला रानी हर माह कमा रही 30 से 35 हजार
20 समूहों की 150 महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर
रागी के बिस्कुट, चाय, लड्डू और आटा कर रहीं तैयार
संवाद न्यूज एजेंसी
ऊना। जिले के बटूही क्षेत्र की माला रानी प्रतिदिन 5 से 6 घंटे आउटलेट पर कार्य कर अच्छी आय कमा रही हैं। रेलवे स्टेशन ऊना में स्थापित आउटलेट पर वे 20 स्वयं सहायता समूहों की 150 महिलाओं की ओर से तैयार किए गए उत्पादों को बेचकर उन्हें भी आत्मनिर्भर बना रही हैं।
हर माह 30 से 35 हजार रुपये की आय अर्जित हो रही है। सर्दी के मौसम में मिलेट, अचार और हैंडलूम उत्पादों की मांग बढ़ने से उनकी बिक्री तेजी से बढ़ी है।
माला रानी बताती हैं कि पहले वे साधारण खेतीबाड़ी करती थीं, लेकिन विकास खंड कार्यालय में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ने और प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उन्होंने अपने खेतों में रागी की खेती शुरू की। बिना रासायनिक खाद और स्प्रे के रागी उगाने के बाद वे अब रागी के बिस्कुट, चाय, लड्डू और आटा तैयार कर रही हैं। उनका कहना है कि रागी की खेती में न पानी की अधिक आवश्यकता होती है और न ही ज्यादा खर्च आता है।
माला रानी का मानना है कि यदि महिलाएं घर-गृहस्थी से बाहर निकलकर कुछ करने की ठान लें, तो कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। सामूहिक प्रयास हमेशा सफलता दिलाते हैं। महिलाओं के हुनर को पहचान देने के लिए विकास खंड कार्यालय ने ‘हिम इरा’ के तहत रेलवे स्टेशन पर आउटलेट स्थापित किया है, जहां स्थानीय महिलाओं के उत्पाद बेचे जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इन दिनों बूलन, बड़ियां, सवेइयां, मोरिंगा पाउडर (जो शुगर के लिए लाभकारी माना जाता है) और अर्जुन छाल पाउडर (जो कोलेस्ट्रॉल और हार्ट ब्लॉकेज में सहायक माना जाता है) की खास मांग है। माला रानी रोज सुबह 10 बजे दुकान पहुंचती हैं और 3:30 बजे तक काम करती हैं। इसी दौरान वे स्वयं सहायता समूहों की अन्य महिलाओं के उत्पाद भी बेचती हैं, जिससे उनकी और अन्य महिलाओं की आर्थिकी मजबूत हो रही है।
करीब छह साल से इस क्षेत्र से जुड़ी माला रानी बताती हैं कि एनआरएलएम की जिला समन्वयक ज्योति शर्मा और ब्लॉक समन्वयक सोनिया महाजन के मार्गदर्शन तथा प्रशासन की ओर से आउटलेट उपलब्ध कराए जाने से उनके कार्य को एक नया मंच मिला है। स्थानीय लोग हाथों-हाथ उत्पाद खरीद रहे हैं और उनकी आय लगातार बढ़ रही है।
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20 समूहों की 150 महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर
रागी के बिस्कुट, चाय, लड्डू और आटा कर रहीं तैयार
संवाद न्यूज एजेंसी
ऊना। जिले के बटूही क्षेत्र की माला रानी प्रतिदिन 5 से 6 घंटे आउटलेट पर कार्य कर अच्छी आय कमा रही हैं। रेलवे स्टेशन ऊना में स्थापित आउटलेट पर वे 20 स्वयं सहायता समूहों की 150 महिलाओं की ओर से तैयार किए गए उत्पादों को बेचकर उन्हें भी आत्मनिर्भर बना रही हैं।
हर माह 30 से 35 हजार रुपये की आय अर्जित हो रही है। सर्दी के मौसम में मिलेट, अचार और हैंडलूम उत्पादों की मांग बढ़ने से उनकी बिक्री तेजी से बढ़ी है।
माला रानी बताती हैं कि पहले वे साधारण खेतीबाड़ी करती थीं, लेकिन विकास खंड कार्यालय में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ने और प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उन्होंने अपने खेतों में रागी की खेती शुरू की। बिना रासायनिक खाद और स्प्रे के रागी उगाने के बाद वे अब रागी के बिस्कुट, चाय, लड्डू और आटा तैयार कर रही हैं। उनका कहना है कि रागी की खेती में न पानी की अधिक आवश्यकता होती है और न ही ज्यादा खर्च आता है।
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माला रानी का मानना है कि यदि महिलाएं घर-गृहस्थी से बाहर निकलकर कुछ करने की ठान लें, तो कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। सामूहिक प्रयास हमेशा सफलता दिलाते हैं। महिलाओं के हुनर को पहचान देने के लिए विकास खंड कार्यालय ने ‘हिम इरा’ के तहत रेलवे स्टेशन पर आउटलेट स्थापित किया है, जहां स्थानीय महिलाओं के उत्पाद बेचे जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इन दिनों बूलन, बड़ियां, सवेइयां, मोरिंगा पाउडर (जो शुगर के लिए लाभकारी माना जाता है) और अर्जुन छाल पाउडर (जो कोलेस्ट्रॉल और हार्ट ब्लॉकेज में सहायक माना जाता है) की खास मांग है। माला रानी रोज सुबह 10 बजे दुकान पहुंचती हैं और 3:30 बजे तक काम करती हैं। इसी दौरान वे स्वयं सहायता समूहों की अन्य महिलाओं के उत्पाद भी बेचती हैं, जिससे उनकी और अन्य महिलाओं की आर्थिकी मजबूत हो रही है।
करीब छह साल से इस क्षेत्र से जुड़ी माला रानी बताती हैं कि एनआरएलएम की जिला समन्वयक ज्योति शर्मा और ब्लॉक समन्वयक सोनिया महाजन के मार्गदर्शन तथा प्रशासन की ओर से आउटलेट उपलब्ध कराए जाने से उनके कार्य को एक नया मंच मिला है। स्थानीय लोग हाथों-हाथ उत्पाद खरीद रहे हैं और उनकी आय लगातार बढ़ रही है।