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'जोखिम' में सरकारी कर्मी: जनता की पूंजी, बेरोजगार युवाओं और आरक्षण के साथ हो रही खिलवाड़ की साजिश!

Jitendra Bhardwaj जितेंद्र भारद्वाज
Updated Fri, 03 Sep 2021 04:45 PM IST
सार

एआईडीईएफ महासचिव सी. श्रीकुमार ने कहा, मीडिया के जरिए दो बातें पता चली हैं। पहला समाचार कहता है कि केंद्र सरकार जल्द ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और एयर इंडिया के कर्मचारियों के लिए एक विशेष स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) की घोषणा करने जा रही है। यह फैसला नीति आयोग की सिफारिशों पर आधारित है। इसके लिए पृष्ठभूमि क्या तैयार की गई है, अभी कुछ नहीं बताया...

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AIDEF General Secretary C. Sreekumar said, central government is soon going to announce a special Voluntary Retirement Scheme for employees of Public Sector Banks and Air India
सरकारी कर्मचारी - फोटो : PTI (File Photo)
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विस्तार
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देश में बड़े स्तर पर अब निजीकरण का दौर शुरू हो गया है। आने वाला समय, खासतौर से सरकारी कर्मियों के लिए बड़े जोखिम वाला साबित होगा। आंख बद कर, निजीकरण की जो दौड़ शुरू की गई है, वह जनता की पूंजी, बेरोजगार युवाओं व आरक्षण की सामाजिक न्याय की व्यवस्था को खत्म कर देगी। एआईडीईएफ के महासचिव और एआईटीयूसी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सी. श्रीकुमार आगे कहते हैं, सरकार किसी भी विभाग को नहीं छोड़ेगी। बैंक, रेल और आयुद्ध कारखाने सहित बड़े एवं बुनियादी सरकारी विभागों को, निजीकरण की भेंट चढ़ाने की तैयारी की जा रही है। विशेष स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना 'वीआरएस' के जरिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की ताकत को बलपूर्वक नीचे लाने की साजिश रची जा रही है।

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कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, निजीकरण को लेकर कह चुके हैं कि देश के युवा अच्छी तरह जान लें कि जैसे-जैसे कंपनियों की मोनोपॉली बनती जाएगी, वैसे ही उतने रेट से रोजगार मिलना बंद हो जाएगा। युवा हल्ला बोल के राष्ट्रीय संयोजक अनुपम ने कहा, बेरोजगार युवा पीएम मोदी के जन्मदिन 17 सितंबर को 'जुमला' दिवस के तौर पर मनाएंगे। निजीकरण के जरिए राष्ट्रीय संपत्ति बेचने की मोदी सरकार की नीति के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आंदोलन का शंखनाद किया जाएगा।
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एआईडीईएफ महासचिव सी. श्रीकुमार ने कहा, मीडिया के जरिए दो बातें पता चली हैं। पहला समाचार कहता है कि केंद्र सरकार जल्द ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और एयर इंडिया के कर्मचारियों के लिए एक विशेष स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) की घोषणा करने जा रही है। यह फैसला नीति आयोग की सिफारिशों पर आधारित है। इसके लिए पृष्ठभूमि क्या तैयार की गई है, अभी कुछ नहीं बताया।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, हमारे देश की एक बड़ी ताकत रहे हैं। केंद्र सरकार आज उन बैंकों की पीठ थपथपाने की बजाए, उनकी ताकत को बलपूर्वक नीचे लाने का प्रयास कर रही है। यह सब इसलिए किया जा रहा है ताकि लाभ में चलने वाले बैंकों का आसानी से निजीकरण किया जा सके। निजी क्षेत्र, जो कभी से राष्ट्रीयकृत बैंकों को खरीदना चाहते थे, केंद्र सरकार ने उनकी इच्छा पूरी कर दी है। निजीकरण होते ही वे शर्तें लगाएंगे कि कर्मचारियों की संख्या आधी कर दी जानी चाहिए। ऐसे कई दूसरे विभागों में भी वीआरएस योजना लागू करने के लिए सरकार प्रयासरत है। यह वास्तव में एक अनिवार्य सेवानिवृत्ति योजना है। इस देश का पूरा ट्रेड यूनियन आंदोलन और आम जनता वर्तमान सरकार के इस कुटिल मंसूबों का विरोध करेगी।

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने विधानसभा में घोषणा की है कि उनकी सरकार, केंद्र सरकार की राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन नीति का कड़ा विरोध करेगी। श्रीकुमार ने कहा, एमके स्टालिन ने साफतौर पर कह दिया है कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे आग्रह करेंगे कि सार्वजनिक क्षेत्र के संगठनों को बेचना या उन्हें पट्टे पर देना बंद करें। चूंकि सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयां लोगों की हैं, इसलिए उन्हें निजी कंपनियों को सौंपने के प्रस्तावित कदम का विरोध किया जाना चाहिए। सार्वजनिक क्षेत्र की संस्था को करदाताओं के पैसे के आधार पर विकसित किया गया था। सरकारी क्षेत्र ने देश में औद्योगीकरण और सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों को विकसित करने में बड़ी मदद की है। इसके अलावा देश के आर्थिक विकास में मदद करने और रोजगार के अवसर पैदा करने में भी यह क्षेत्र सहायक सिद्ध हुआ है। अब केंद्र, सरकारी क्षेत्र को बर्बाद करने पर तुला है। ऐसे में आरक्षण का क्या औचित्य रहेगा। सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर व पिछड़े समुदायों के लिए नौकरियों में आरक्षण के संवैधानिक अधिकार का क्या होगा, इस दिशा में सरकार कुछ नहीं सोच रही। उसे तो एक ही चिंता है कि बस जल्द से जल्द निजीकरण कर दो। सार्वजनिक क्षेत्र के निजी क्षेत्र में परिवर्तित होने के बाद कर्मियों के सभी लाभ छीन लिए जाएंगे, यह तय है।

वर्तमान केंद्र सरकार सभी सरकारी संगठनों को खत्म करना चाहती है। रक्षा मंत्रालय और अन्य विभागों के तहत भारतीय रेलवे, रेलवे उत्पादन इकाइयों, आयुध कारखानों के खिलाफ पहले ही हमला शुरू कर दिया गया है। उनका एजेंडा पहले इन संगठनों को निगम/सार्वजनिक क्षेत्र में परिवर्तित करना है। उसके बाद इनका आसानी से निजीकरण किया जा सकता है। निजीकरण का अर्थ है, कोई रोजगार सृजन नहीं, कोई स्थायी नौकरी नहीं, हर नौकरी निश्चित अवधि के लिए होगी या अनुबंध के माध्यम से मिलेगी। उसमें भविष्य निधि और पेंशन जैसी कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं रहेगी। नौकरियों में आरक्षण भी खत्म हो जाएगा। निजीकरण के रूप में यह हमला इस देश के बेरोजगार युवाओं पर किया गया है। यह सामाजिक सुरक्षा के खिलाफ हमला है। यह सामाजिक न्याय के खिलाफ हमला है, इसलिए इस देश के प्रत्येक नागरिक को सरकार के इन बुरे मंसूबों के खिलाफ लड़ने के लिए सबसे आगे आना चाहिए। अगर अब नहीं आगे तो फिर मौका नहीं मिलेगा।

देश में बेरोजगारी को मुद्दा बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले युवा नेता अनुपम ने प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिवस 17 सितंबर के लिए बड़ा एलान किया है। 'युवा हल्ला बोल' के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुपम ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का जन्मदिन जुमलों और बेरोज़गारी को समर्पित होगा। ज्ञात हो कि पिछले वर्ष भी अनुपम की अपील पर 17 सितंबर को जुमला दिवस एवं बेरोजगार दिवस मनाया गया था। वह काफी चर्चा में भी रहा था। राष्ट्रीय प्रवक्ता ऋषव रंजन ने बताया कि बेरोज़गार युवाओं में इस अपील को लेकर उत्साह है। बेरोजगार युवाओं में 17 सितंबर को यादगार बना देने का जुनून है। हमारी कोशिश है कि प्रधानमंत्री, सरकार से लेकर राजनीतिक पार्टियां और मीडिया तक का ध्यान बेरोज़गारी के गंभीर मुद्दे पर लाया जाए। उल्लेखनीय है कि 'युवा हल्ला बोल' ने पढ़ाई-कमाई-दवाई के नारे पर देश भर में मुहिम छेड़ रखी है। आंदोलन के कार्यकारी अध्यक्ष गोविंद मिश्रा ने बताया कि 'युवा हल्ला बोल' की कोशिश है कि राजनीतिक पार्टियां भी चुनावों के दौरान इन्हीं मुद्दों पर सवाल जवाब और संवाद करें। 

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