Seat ka samikaran: इस सीट पर आज तक नहीं हारी भाजपा, ऐसा है परिहार सीट का चुनावी इतिहास
बिहार की विधानसभा सीटों से जुड़ी खास सीरीज ‘सीट का समीकरण’ में आज परिहार विधानसभा सीट की बात करेंगे। इस सीट पर 2020 में भाजपा की गायत्री देवी को जीत मिली थी।

विस्तार
बिहार में चुनाव तारीखों का एलान कभी भी हो सकता है। इससे पहले राज्य को दोनों मुख्य गठबंधन जोर शोर से तैयारी में जुटे हैं। दोनों गठबंधनों में सीटों के बंटवारे को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। किसे कितनी सीट मिलेगी इसे लेकर भी लगातार पार्टियों में खिचतान जारी है। वहीं, प्रशांत किशोर बिहार की सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर रहे हैं। इस सियासी सरगर्मी के बीच अमर उजाला की बिहार की विधानसभा सीटों से जुड़ी खास सीरीज ‘सीट का समीकरण’ में आज परिहार विधानसभा सीट की बात।

पहले जानते है परिहार सीट के बारे में
बिहार के 38 जिलों में से एक सीतामढ़ी जिला भी है। जिले में कुल आठ विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें रीगा, बथनाहा (एससी), परिहार, सुरसंड, बाजपट्टी, सीतामढ़ी, रुन्नीसैदपुर, बेलसंड विधानसभा सीटें शामिल हैं। परिहार विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र सीतामढ़ी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है। इस लोकसभा क्षेत्र में कुल छह विधानसभा सीटें आती है, इसमें बथनाहा (एससी), परिहार, सुरसंड, बाजपट्टी, सीतामढ़ी और रुन्नीसैदपुर शामिल हैं। 2008 में हुए परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई थी। परिहार सीट पर सबसे पहले 2010 में चुनाव हुए थे।
सीट का समीकरण सीरीज की सभी खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
2010 में सीट पर पहली बार हुए चुनाव
2010 में परिहार सीट पर पहली बार चुनाव हुए थे। सीट पर सबसे पहले रामनरेश यादव ने जीत दर्ज की थी। भाजपा के रामनरेश प्रसाद यादव ने इस चुनाव में राजद के डॉ. रामचन्द्र पूर्वे को 4218 वोट से हरा दिया था। रामनरेश प्रसाद यादव को 32987 और रामचंद्र पूर्वे को 28769 वोट मिले थे।
2010 के बाद भाजपा के रामनरेश प्रसाद यादव ने चुनाव नहीं लड़ा था। उनके चुनाव नहीं लड़ने के पीछे 1998 की एक घटना है। 1998 में सीतामढ़ी कलेक्ट्रेट पर हमले और उसके बाद पुलिस की गोलीबारी हुई थी। इस गोलीबारी में पांच लोग मारे गए थे। उसी मामले में 2015 में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने एक विधायक और दो पूर्व सांसदों सहित 14 लोगों को 10 साल की जेल की सजा सुनाई। उसी में एक नाम परिहार से विधायक रामनरेश प्रसाद यादव का भी था।
दरअसल, 11 अगस्त 1998 में जिले में आई बाढ़ के बाद नेताओं ने भारी भीड़ के साथ सीतामढ़ी कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। देखते ही देखते यह प्रदर्शन हिंसक हो गया। प्रदर्शनकारियों ने परिसर में तोड़फोड़ की, पथराव किया और वहां मौजूद सरकारी अधिकारियों पर हमला किया। पुलिस ने हिंसा को शांत करने के लिए गोलियां चलाई इसी गोलीबारी में दो लोगों की मौत हो गई थी।
2015 में भी भाजपा को मिली जीत
2015 में भी भाजपा को ही इस सीट पर जीत मिली थी। लेकिन इस बार भाजपा ने सीट पर अपना उम्मीदवार बदल दिया था। भाजपा की गायत्री देवी ने राजद के रामचंद्र पूर्वे को 4017 वोट से हरा दिया था। गायत्री दवी को 66388 और रामचंद्र पूर्वे को 62371 वोट मिले थे।
2020 में गायत्री दवी की लगातार दूसरी जीत
2020 में एक बार फिर परिहार सीट से गायत्री देवी ने जीत दर्ज की। भाजपा की गायत्री देवी ने इस चुनाव में राजद की रितु कुमार को 1569 वोट से हरा दिया। गायत्री देवी को 73420 और रितु कुमार को 71851 वोट मिले थे।