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Bihar: जाति और आरक्षण का चलेगा दांव या महाकुंभ में उमड़ा सैलाब बदलेगा बयार? बिहार में इन मुद्दों पर होगा चुनाव
सार
भाजपा ने बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है। विधानसभा चुनावों में जहां भाजपा महाकुंभ जैसे मुद्दों के सहारे चुनावी मैदान में होगी। वहीं राजद जाति जनगणना और आरक्षण जैसे मुद्दे उठाने की तैयारी में है।
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। भाजपा समेत अन्य राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा अपने मुद्दों में महाकुंभ को शामिल कर सकती है। पार्टी को लग रहा है कि जिस तरह हिंदुत्व कार्ड के सहारे वह हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली को जीतने में सफल रही है। इस कार्ड के सहारे जातिगत समीकरणों को पीछे छोड़ते हुए बिहार में भी जीत हासिल करने की तैयारी में है। इसी रणनीति के अंतर्गत भाजपा ने अभी से जनता को धार्मिक मुद्दों के इर्द गिर्द एकजुट करना शुरू कर दिया है। महाकुंभ के बाद बाबा बागेश्वर, श्रीश्री रविशंकर और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का एक साथ बिहार पहुंचना अनायास नहीं माना जा रहा है। यह भाजपा की एक रणनीति का संकेत हो सकता है। हालांकि, राजद का मानना है कि बिहार में भाजपा की यह कोशिश सफल नहीं होगी और वह अपने मूल मुद्दों के सहारे वर्तमान सरकार को हटाने में सफल रहेगी।
यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार का दावा है कि 45 दिनों तक चले प्रयागराज महाकुंभ में 66 करोड़ से अधिक सनातनियों ने अमृत स्नान किया है। प्रयागराज से नजदीकी, जनसंख्या के आकार और हिंदू धर्म के मानने वालों की बहुलता के आधार पर यही माना जा रहा है कि इस 66 करोड़ में सबसे अधिक संख्या यूपी-बिहार के लोगों की ही रही है। बिहार से प्रयागराज आने वाली ट्रेनों में जिस तरह की भीड़ देखी गई थी, वह भी इस बात को प्रमाणित करती है कि कुंभ आने वालों में बिहार के लोगों की संख्या बहुत अधिक रही है।
लंबे समय तक की राजनीति में हो सकता है बदलाव
बिहार का जातीय गणित भाजपा के हिंदुत्व कार्ड को अब तक रोकने में सफल रहा है। लेकिन महाकुंभ में उमड़ी भीड़ देख भाजपा उत्साहित है। भाजपा नेताओं का मानना है कि अब परिस्थितियां पूरी तरह बदल चुकी हैं। अब लालू यादव और रामविलास पासवान जैसे करिश्माई नेता विपक्ष के पास नहीं हैं और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों को देखते हुए बिहारी जनता का मानस भी बहुत हद तक बदला है। भाजपा का मानना है कि हिंदुत्व का कार्ड उसे केवल इस चुनाव में ही सफलता नहीं दिलाएगा, बल्कि यह बिहार के राजनीतिक समीकरणों में लंबे समय तक के लिए परिवर्तन करने में सफल होगा।
भाजपा इसी फॉर्मूले पर आगे बढ़ती दिखाई दे रही है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने जिस तरह बिहार में एक नई राजनीति के उदय होने की बात कही है, श्री श्री रविशंकर ने जिस तरह बिहार को विकास के रास्ते पर आगे बढ़ने की बात कही, और बाबा बागेश्वर ने जिस तरह हिंदुओं को एकजुट करने का शंखनाद फूंका है, ये सारे तथ्य भाजपा के राजनीतिक गणित को आगे बढ़ाते हुए दिखाई देते हैं।
महाकुंभ से जनता के मन में उपजा सनातन प्रेम कमजोर न पड़ने पाए, इसके लिए आने वाले समय में बिहार में बाबा बागेश्वर जैसे धार्मिक गुरुओं की भूमिका ज्यादा सक्रिय रह सकती है। इसकी शुरुआत अभी से दिख रही है।
राहुल गांधी-तेजस्वी को रोकने के लिए भी काम कर सकता है ये प्लान
कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार जातिगत जनगणना और आरक्षण की सीमा बढ़ाने की बात करते रहते हैं। बिहार में उनकी यह मांग ज्यादा प्रखर हो सकती है। तेजस्वी यादव भी इससे ताल मिलाते हुए ही दिखाई देंगे। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदैव यह बात कहते रहते हैं कि सनातनियों को जातियों में बांटकर उन्हें कमजोर करने का काम किया जाता रहा है। बिहार में इन दोनों धाराओं का स्पष्ट टकराव देखने को मिल सकता है। लेकिन यदि भाजपा हिंदुत्व के सहारे जनता को साधने में सफल रही तो यह बिहार की राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत भी हो सकता है।
ज्यादा आक्रामक भी नहीं हो सकती भाजपा
लेकिन यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि बिहार में भाजपा एक सीमा से ज्यादा आक्रामक नहीं हो सकती। उसकी ऐसी कोशिश नीतीश कुमार की राजनीति को सूट नहीं करती जो मुसलमानों को भी अपने साथ लेकर चलती है। भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार में हिंदू स्वाभिमान यात्रा निकालकर हिंदुओं की एकता को ही टेस्ट करने का प्रयास किया था। लेकिन इसका सबसे ज्यादा विरोध जदयू की तरफ से ही हुआ था।
भाजपा और जदयू की राजनीतिक जमीन का यह अंतर हाल ही में औरंगजेब विवाद में भी दिखाई दिया था जब अबू आजमी के औरंगजेब के महिमामंडन करने पर भाजपा नेता उसके पीछे पड़ गए थे, वहीं जदयू के विधायक ने उनका बचाव किया था। यदि भाजपा बिहार में हिंदुत्व कार्ड पर ज्यादा आक्रामक होती है तो यह टकराव बढ़ भी सकता है। लिहाजा यही माना जा रहा है कि भाजपा बिहार में सॉफ्ट तरीके से ही आगे बढ़ने की कोशिश करेगी।
'जाति प्रभावी, लेकिन भाजपा के पास यही इकलौता हथियार'
राजनीतिक विश्लेषक सुनील पांडेय ने अमर उजाला से कहा कि महाकुंभ में उमड़ी आस्था की भीड़ भाजपा का वोटर हो, इस बात की कोई गारंटी नहीं दे सकता। बिहार में जातिगत विभाजन आज भी सबसे बड़ी सच्चाई है। कुंभ में स्नान करना अलग बात है, लेकिन चुनाव में जब स्थानीय मुद्दे और प्रत्याशियों की भूमिका सामने आएगी, तब जनता की प्राथमिकताएं बदल सकती हैं और उस परिस्थिति में राजद एक बार फिर बड़ी राजनीतिक ताकत के रूप में दिखाई देगी।
लेकिन यह बात भी सही है कि भाजपा के पास हिंदुत्व और सनातन का कार्ड ही एकलौता हथियार है जिसके सहारे वह बिहार के जातिगत गणित को कमजोर करने की कोशिश कर सकती है। बाबा बागेश्वर सहित सभी हिंदू संत जिस तरह पूरे सनातनी समुदाय को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं, उससे भाजपा को लाभ मिल सकता है। बाबा बागेश्वर और श्री श्री रविशंकर की अपील महाकुंभ से उपजी भावनाओं को कमजोर न होने देने का प्रयास हो सकती हैं।
विकास और हिंदुत्व हमारा मूल मंत्र- जयराम विप्लव
भाजपा प्रवक्ता जयराम विप्लव ने अमर उजाला से कहा कि विकास और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद हमेशा से उनकी पार्टी की राजनीति का मूल मंत्र रहा है। केंद्र से लेकर जिस राज्य में भी भाजपा सत्ता में आई है, उसने वहां समाज के सभी वर्गों को समान रूप से आगे बढ़ाते हुए राज्य का आर्थिक विकास करने का प्रयास किया है। इसके साथ-साथ भाजपा हमेशा से राष्ट्रवाद को आगे बढ़ाने का काम करती रही है। उन्होंने कहा कि आज भी बिहार में यही काम हो रहा है और 2025 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में जीत हासिल करने के बाद भी यही काम होगा।
मूल विषयों से भटकने नहीं देंगे- डॉ. नवल किशोर
राष्ट्रीय जनता दल नेता डॉ. नवल किशोर ने कहा कि भाजपा मूल मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए हमेशा से धार्मिक कार्ड का इस्तेमाल करती रही है। आज बिहार के सामने विषय बेरोजगारी और पिछड़ापन है। उनके नेता तेजस्वी यादव ने युवाओं को नौकरी देने और किसानों का विकास करने के मुद्दे पर ही चुनाव लड़ा था। कुछ समय के लिए सत्ता में आने पर भी तेजस्वी यादव ने युवाओं को सरकारी नौकरी दिलाने का काम किया और अपने वादे को निभाया।
उन्होंने कहा कि जनता के इन्हीं मुद्दों की राजनीति करते हुए पिछली बार हमने राजद को सबसे बड़ी पार्टी बनाने में सफलता पाई थी। इस बार भी हम अपने मूल मुद्दों से नहीं भटकेंगे और इन्हीं जमीनी मुद्दों पर जनता को अपने साथ जोड़कर सफलता हासिल करेंगे।
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यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार का दावा है कि 45 दिनों तक चले प्रयागराज महाकुंभ में 66 करोड़ से अधिक सनातनियों ने अमृत स्नान किया है। प्रयागराज से नजदीकी, जनसंख्या के आकार और हिंदू धर्म के मानने वालों की बहुलता के आधार पर यही माना जा रहा है कि इस 66 करोड़ में सबसे अधिक संख्या यूपी-बिहार के लोगों की ही रही है। बिहार से प्रयागराज आने वाली ट्रेनों में जिस तरह की भीड़ देखी गई थी, वह भी इस बात को प्रमाणित करती है कि कुंभ आने वालों में बिहार के लोगों की संख्या बहुत अधिक रही है।
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लंबे समय तक की राजनीति में हो सकता है बदलाव
बिहार का जातीय गणित भाजपा के हिंदुत्व कार्ड को अब तक रोकने में सफल रहा है। लेकिन महाकुंभ में उमड़ी भीड़ देख भाजपा उत्साहित है। भाजपा नेताओं का मानना है कि अब परिस्थितियां पूरी तरह बदल चुकी हैं। अब लालू यादव और रामविलास पासवान जैसे करिश्माई नेता विपक्ष के पास नहीं हैं और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों को देखते हुए बिहारी जनता का मानस भी बहुत हद तक बदला है। भाजपा का मानना है कि हिंदुत्व का कार्ड उसे केवल इस चुनाव में ही सफलता नहीं दिलाएगा, बल्कि यह बिहार के राजनीतिक समीकरणों में लंबे समय तक के लिए परिवर्तन करने में सफल होगा।
भाजपा इसी फॉर्मूले पर आगे बढ़ती दिखाई दे रही है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने जिस तरह बिहार में एक नई राजनीति के उदय होने की बात कही है, श्री श्री रविशंकर ने जिस तरह बिहार को विकास के रास्ते पर आगे बढ़ने की बात कही, और बाबा बागेश्वर ने जिस तरह हिंदुओं को एकजुट करने का शंखनाद फूंका है, ये सारे तथ्य भाजपा के राजनीतिक गणित को आगे बढ़ाते हुए दिखाई देते हैं।
महाकुंभ से जनता के मन में उपजा सनातन प्रेम कमजोर न पड़ने पाए, इसके लिए आने वाले समय में बिहार में बाबा बागेश्वर जैसे धार्मिक गुरुओं की भूमिका ज्यादा सक्रिय रह सकती है। इसकी शुरुआत अभी से दिख रही है।
राहुल गांधी-तेजस्वी को रोकने के लिए भी काम कर सकता है ये प्लान
कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार जातिगत जनगणना और आरक्षण की सीमा बढ़ाने की बात करते रहते हैं। बिहार में उनकी यह मांग ज्यादा प्रखर हो सकती है। तेजस्वी यादव भी इससे ताल मिलाते हुए ही दिखाई देंगे। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदैव यह बात कहते रहते हैं कि सनातनियों को जातियों में बांटकर उन्हें कमजोर करने का काम किया जाता रहा है। बिहार में इन दोनों धाराओं का स्पष्ट टकराव देखने को मिल सकता है। लेकिन यदि भाजपा हिंदुत्व के सहारे जनता को साधने में सफल रही तो यह बिहार की राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत भी हो सकता है।
ज्यादा आक्रामक भी नहीं हो सकती भाजपा
लेकिन यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि बिहार में भाजपा एक सीमा से ज्यादा आक्रामक नहीं हो सकती। उसकी ऐसी कोशिश नीतीश कुमार की राजनीति को सूट नहीं करती जो मुसलमानों को भी अपने साथ लेकर चलती है। भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बिहार में हिंदू स्वाभिमान यात्रा निकालकर हिंदुओं की एकता को ही टेस्ट करने का प्रयास किया था। लेकिन इसका सबसे ज्यादा विरोध जदयू की तरफ से ही हुआ था।
भाजपा और जदयू की राजनीतिक जमीन का यह अंतर हाल ही में औरंगजेब विवाद में भी दिखाई दिया था जब अबू आजमी के औरंगजेब के महिमामंडन करने पर भाजपा नेता उसके पीछे पड़ गए थे, वहीं जदयू के विधायक ने उनका बचाव किया था। यदि भाजपा बिहार में हिंदुत्व कार्ड पर ज्यादा आक्रामक होती है तो यह टकराव बढ़ भी सकता है। लिहाजा यही माना जा रहा है कि भाजपा बिहार में सॉफ्ट तरीके से ही आगे बढ़ने की कोशिश करेगी।
'जाति प्रभावी, लेकिन भाजपा के पास यही इकलौता हथियार'
राजनीतिक विश्लेषक सुनील पांडेय ने अमर उजाला से कहा कि महाकुंभ में उमड़ी आस्था की भीड़ भाजपा का वोटर हो, इस बात की कोई गारंटी नहीं दे सकता। बिहार में जातिगत विभाजन आज भी सबसे बड़ी सच्चाई है। कुंभ में स्नान करना अलग बात है, लेकिन चुनाव में जब स्थानीय मुद्दे और प्रत्याशियों की भूमिका सामने आएगी, तब जनता की प्राथमिकताएं बदल सकती हैं और उस परिस्थिति में राजद एक बार फिर बड़ी राजनीतिक ताकत के रूप में दिखाई देगी।
लेकिन यह बात भी सही है कि भाजपा के पास हिंदुत्व और सनातन का कार्ड ही एकलौता हथियार है जिसके सहारे वह बिहार के जातिगत गणित को कमजोर करने की कोशिश कर सकती है। बाबा बागेश्वर सहित सभी हिंदू संत जिस तरह पूरे सनातनी समुदाय को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं, उससे भाजपा को लाभ मिल सकता है। बाबा बागेश्वर और श्री श्री रविशंकर की अपील महाकुंभ से उपजी भावनाओं को कमजोर न होने देने का प्रयास हो सकती हैं।
विकास और हिंदुत्व हमारा मूल मंत्र- जयराम विप्लव
भाजपा प्रवक्ता जयराम विप्लव ने अमर उजाला से कहा कि विकास और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद हमेशा से उनकी पार्टी की राजनीति का मूल मंत्र रहा है। केंद्र से लेकर जिस राज्य में भी भाजपा सत्ता में आई है, उसने वहां समाज के सभी वर्गों को समान रूप से आगे बढ़ाते हुए राज्य का आर्थिक विकास करने का प्रयास किया है। इसके साथ-साथ भाजपा हमेशा से राष्ट्रवाद को आगे बढ़ाने का काम करती रही है। उन्होंने कहा कि आज भी बिहार में यही काम हो रहा है और 2025 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में जीत हासिल करने के बाद भी यही काम होगा।
मूल विषयों से भटकने नहीं देंगे- डॉ. नवल किशोर
राष्ट्रीय जनता दल नेता डॉ. नवल किशोर ने कहा कि भाजपा मूल मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए हमेशा से धार्मिक कार्ड का इस्तेमाल करती रही है। आज बिहार के सामने विषय बेरोजगारी और पिछड़ापन है। उनके नेता तेजस्वी यादव ने युवाओं को नौकरी देने और किसानों का विकास करने के मुद्दे पर ही चुनाव लड़ा था। कुछ समय के लिए सत्ता में आने पर भी तेजस्वी यादव ने युवाओं को सरकारी नौकरी दिलाने का काम किया और अपने वादे को निभाया।
उन्होंने कहा कि जनता के इन्हीं मुद्दों की राजनीति करते हुए पिछली बार हमने राजद को सबसे बड़ी पार्टी बनाने में सफलता पाई थी। इस बार भी हम अपने मूल मुद्दों से नहीं भटकेंगे और इन्हीं जमीनी मुद्दों पर जनता को अपने साथ जोड़कर सफलता हासिल करेंगे।