{"_id":"6919047ad3b80c2d280289e4","slug":"bihar-election-result-rjd-congress-s-vote-adhikar-yatra-also-failed-to-charm-voters-2025-11-16","type":"story","status":"publish","title_hn":"Bihar Election Result: वरदान नहीं, अभिशाप साबित हुई महागठबंधन की वोट अधिकार यात्रा, मतदाताओं को नहीं लुभा सकी","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
Bihar Election Result: वरदान नहीं, अभिशाप साबित हुई महागठबंधन की वोट अधिकार यात्रा, मतदाताओं को नहीं लुभा सकी
हिमांशु मिश्र, अमर उजाला
Published by: लव गौर
Updated Sun, 16 Nov 2025 04:24 AM IST
सार
बिहार चुनाव के नतीजों में दस जिलों में खाता भी नहीं खोल पाया महागठबंधन एसआईआर के खिलाफ विपक्ष का दांव चारों खाने चित हो गया। जिन 25 जिलों में घूमे राहुल-तेजस्वी वहीं महागठबंधन की नाव डूबी। 170 सीटों में से कांग्रेस को महज 6 और महागठबंधन को 19 सीटें मिली हैं।
विज्ञापन
बिहार में वोट अधिकार यात्रा (फाइल फोटो)
- फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन
विस्तार
वोट चोर गद्दी छोड़ के नारे के साथ रोहतास से शुरू हुई विपक्षी महागठबंधन की वोट अधिकार यात्रा को बिहार चुनाव से पहले गेमचेंजर माना जा रहा था। चुनाव आयोग के एसआईआर के खिलाफ इस यात्रा के खिलाफ विपक्ष के एक-एक नेता ने बिहार में दबिश दी थी। हालांकि नतीजे बताते हैं कि जिन 21 जिलों से 1,300 किमी लंबी यात्रा गुजरी, उन जिलों के मतदाताओं ने विपक्ष के वोट चोरी के आरोप को सिरे से नकार दिया। चुनाव नतीजे बताते हैं कि यह यात्रा जिन 21 जिलों से गुजरी, उनमें विधानसभा की 170 सीटें हैं। इन 170 सीटों में से विपक्षी महागठबंधन को महज 19 सीटें हाथ लगी।
इस यात्रा के माध्यम से सत्तारूढ़ राजग पर बढ़त हासिल करना तो दूर विपक्ष का 10 जिलों में खाता तक नहीं खुला। इन जिलों में इस यात्रा के सूत्रधार राहुल गांधी की पार्टी को महज छह और विपक्षी महागठबंधन को महज 19 सीटें ही हाथ लगी।
यह यात्रा रोहतास जिले से शुरू हुई। इस जिले की 7 में से 6 सीटें राजग के हाथ लगी। इसके अलावा शेखपुरा, नालंदा, लखीसराय, मुंगेर, सुपौल, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज और भोजपुर में विपक्षी महागठबंधन का खाता भी नहीं खुला। रोहतास, औरंगाबाद, नवादा, कटिहार, पूर्णिया, मधुबनी, पूर्वी चंपारण, सीवान और रोहतास जिले में महागठबंधन को महज 1-1 सीट ही नसीब हुई। इन जिलों में विधानसभा सीटों की संख्या 69 है जिसमें महागठबंधन को महज नौ सीटें ही हासिल हुई।
ये भी पढ़ें: बिहार चुनाव: ओवैसी की सेंधमारी से टूटा राजद का MY समीकरण, 23% वोट पाकर भी सीटों में पीछे क्यों रह गया विपक्ष?
जनसुराज ने तीन सीटों पर पहुंचाया नुकसान
यात्रा वाली रूट वाले जिलों में अगर जनसुराज पार्टी नहीं होती तो विपक्ष के सीटों का आंकड़ा 19 की जगह 16 होता। दरअसल तीन सीटों पर जनसुराज और भाजपा के उम्मीदवार स्वजातीय थे। नजदीकी मुकाबले वाली इन सीटों पर जनसुराज के उम्मीदवार को हार-जीत के अंतर से अधिक मत मिले। इन सभी सीटों पर भाजपा के मुकाबले राजद के उम्मीदवारों को सफलता मिली।
कहीं नहीं दिखा यात्रा का असर
इस यात्रा के रूट वाली महज तीन जिलों में महागठबंधन का औसत असर दिखा। मसलन उसे गया की 10 में से 2, पश्चिम चंपारण की 9 में से 2, सारण की 10 में से महज तीन सीटों पर सफलता हाथ लगी। रोहतास, औरंगाबाद, नवादा, कटिहार, पूर्णिया, मधुबनी, पूर्वी चंपारण, सीवान और रोहतास में विपक्षी महागठबंधन बमुश्किल खाता ही खोल पाया।
ये भी पढ़ें: Bihar Result: राजग की तूफानी जीत ने बदला विधानसभा का जातीय समीकरण, दशकों बाद सदन में दिखेंगे एक तिहाई अगड़े
विपक्ष की रणनीति पर ग्रहण
विपक्ष की रणनीति वोट चोरी के मुद्दे को अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु में भुनाने की थी। हालांकि इस मुद्दे की बिहार में पूरी तरह से हवा निकलने के बाद विपक्ष की रणनीति पर ग्रहण लग गया है। विपक्ष विशेषकर पश्चिम बंगाल में टीएमसी को भाजपा के खिलाफ अब नया मुद्दा ढूंढना होगा। जाहिर तौर पर इन तीन राज्यों में से भाजपा की निगाहें सबसे अधिक पश्चिम बंगाल पर टिकी हैं, जहां एसआईआर का मुद्दा बिहार की तरह ही गरमाया हुआ है।
Trending Videos
इस यात्रा के माध्यम से सत्तारूढ़ राजग पर बढ़त हासिल करना तो दूर विपक्ष का 10 जिलों में खाता तक नहीं खुला। इन जिलों में इस यात्रा के सूत्रधार राहुल गांधी की पार्टी को महज छह और विपक्षी महागठबंधन को महज 19 सीटें ही हाथ लगी।
विज्ञापन
विज्ञापन
यह यात्रा रोहतास जिले से शुरू हुई। इस जिले की 7 में से 6 सीटें राजग के हाथ लगी। इसके अलावा शेखपुरा, नालंदा, लखीसराय, मुंगेर, सुपौल, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज और भोजपुर में विपक्षी महागठबंधन का खाता भी नहीं खुला। रोहतास, औरंगाबाद, नवादा, कटिहार, पूर्णिया, मधुबनी, पूर्वी चंपारण, सीवान और रोहतास जिले में महागठबंधन को महज 1-1 सीट ही नसीब हुई। इन जिलों में विधानसभा सीटों की संख्या 69 है जिसमें महागठबंधन को महज नौ सीटें ही हासिल हुई।
ये भी पढ़ें: बिहार चुनाव: ओवैसी की सेंधमारी से टूटा राजद का MY समीकरण, 23% वोट पाकर भी सीटों में पीछे क्यों रह गया विपक्ष?
जनसुराज ने तीन सीटों पर पहुंचाया नुकसान
यात्रा वाली रूट वाले जिलों में अगर जनसुराज पार्टी नहीं होती तो विपक्ष के सीटों का आंकड़ा 19 की जगह 16 होता। दरअसल तीन सीटों पर जनसुराज और भाजपा के उम्मीदवार स्वजातीय थे। नजदीकी मुकाबले वाली इन सीटों पर जनसुराज के उम्मीदवार को हार-जीत के अंतर से अधिक मत मिले। इन सभी सीटों पर भाजपा के मुकाबले राजद के उम्मीदवारों को सफलता मिली।
कहीं नहीं दिखा यात्रा का असर
इस यात्रा के रूट वाली महज तीन जिलों में महागठबंधन का औसत असर दिखा। मसलन उसे गया की 10 में से 2, पश्चिम चंपारण की 9 में से 2, सारण की 10 में से महज तीन सीटों पर सफलता हाथ लगी। रोहतास, औरंगाबाद, नवादा, कटिहार, पूर्णिया, मधुबनी, पूर्वी चंपारण, सीवान और रोहतास में विपक्षी महागठबंधन बमुश्किल खाता ही खोल पाया।
ये भी पढ़ें: Bihar Result: राजग की तूफानी जीत ने बदला विधानसभा का जातीय समीकरण, दशकों बाद सदन में दिखेंगे एक तिहाई अगड़े
विपक्ष की रणनीति पर ग्रहण
विपक्ष की रणनीति वोट चोरी के मुद्दे को अगले साल होने वाले पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु में भुनाने की थी। हालांकि इस मुद्दे की बिहार में पूरी तरह से हवा निकलने के बाद विपक्ष की रणनीति पर ग्रहण लग गया है। विपक्ष विशेषकर पश्चिम बंगाल में टीएमसी को भाजपा के खिलाफ अब नया मुद्दा ढूंढना होगा। जाहिर तौर पर इन तीन राज्यों में से भाजपा की निगाहें सबसे अधिक पश्चिम बंगाल पर टिकी हैं, जहां एसआईआर का मुद्दा बिहार की तरह ही गरमाया हुआ है।