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क्या जांच एजेंसी को सलाह देना मीडिया का काम है : बॉम्बे हाईकोर्ट

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Published by: Jeet Kumar Updated Fri, 09 Oct 2020 01:44 AM IST
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Bombay High Court asked that Is it the job of the media to advise the investigating agency
bombay high court
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बॉम्बे हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार को सवाल किया कि क्या किसी जांच एजेंसी को सलाह देना मीडिया का काम है कि उसे कैसे जांच करनी चाहिए? बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले में ‘मीडिया ट्रायल’ के खिलाफ दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी की पीठ ने यह टिप्पणी की। 

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पीठ ने कहा कि क्या जांच एजेंसी को सलाह देना मीडिया का काम है? यह जांच अधिकारी का काम है कि वह जांच करते वक्त अपना दिमाग लगाए। पीठ ने यह बात उस वक्त की जब वकील मालविका त्रिवेदी एक न्यूज चैनल की ओर से अपना पक्ष रख रही थीं।
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उन्होंने पीआईएल का विरोध किया। साथ ही उन्होंने वरिष्ठ वकील अस्पी चिनॉय की दलीलों पर भी आपत्ति जताई। पूर्व पुलिस अधिकारियों के एक समूह ने सुशांत मामले में मीडिया ट्रायल को लेकर पीआईएल दायर की गई है। इनका आरोप है कि इस मामले में मीडिया द्वारा मुंबई पुलिस को बदनाम किया जा रहा है।

मालविका ने कहा कि रिपोर्टिंग पर रोक लगाने का कोई आदेश नहीं दिया जा सकता है। मीडिया की भूमिका पर सवाल कैसे उठाया जा सकता है। हाथरस मामले के बारे में क्या? क्या इस मामले में मीडिया की भूमिका अहम नहीं है?

इस पर पीठ ने कहा कि पीआईएल किसी आदेश के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि यह केवल जिम्मेदारपूर्ण पत्रकारिता को लेकर है। पीठ ने कहा कि चिनॉय का कहना है कि मीडिया जांच में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है या यह घोषित नहीं कर सकता कि कौन दोषी है, कौन नहीं है।

चिनॉय की दलील थी कि प्रेस खासकर न्यूज चैनल किसी के अपराध को पूर्व निर्धारित नहीं कर सकते हैं। राजपूत मामले में रिया चक्रवर्ती की गिरफ्तारी के लिए समाचार चैनल द्वारा हैशटैग अभियान चलाया गया। क्या आप सोच सकते हैं कि इस तरह के हैशटैग से नुकसान हो सकता है?

अपराध पर फैसला लेने या गिरफ्तारी का सुझाव देना किसी न्यूज चैनल का काम नहीं है। पीठ ने पूछा कि क्या न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी (एनबीएसए) ने न्यूज चैनलों के खिलाफ मिली शिकायतों पर कोई आदेश जारी किया है।

एनबीएसए की वकील एडवोकेट निशा भंभानी ने कहा कि ज्यादातर शिकायतें सुनी गईं और चैनलों से माफी मांगने के लिए कहा गया। इस पर कोर्ट ने पूछा कि क्या माफी मांगना काफी है। इस पर निशा ने कहा कि एनबीएसए जरूरी होने पर गाइडलाइंस भी जमा करेगा लेकिन एक अन्य याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इनमें से ज्यादातर न्यूज चैनल एनबीएसए के सदस्य नहीं थे।

कोर्ट ने इस मामले में सोमवार को केंद्र सरकार से जवाब मांगा है और मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। 

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