Budget 2023: उत्तर-पूर्वी राज्यों में कुछ ऐसे असर करेगा बजट का सियासी दांव! अस्पतालों को मिली बंपर रकम
Budget 2023: रीजनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस से रिटायर्ड प्रोफेसर सरत देब कहते हैं कि नार्थ-ईस्ट के मेघालय, मणिपुर, मिजोरम और असम के मेडिकल इंस्टिट्यूट को मिला बजट निश्चित तौर पर यहां के लोगों की बेहतर चिकित्सा सुविधा को बेहतर करेगा...
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नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में इस साल होने वाले विधानसभा के चुनावों में अस्पतालों के मिले बजट का सियासी असर भी दिखेगा। जिस तरीके से नॉर्थ-ईस्ट के चार सबसे बड़े मेडिकल इंस्टिट्यूट को बजट जारी हुआ है, उससे इस इलाके की न सिर्फ चिकित्सा सुविधा और स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होंगी, बल्कि हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में भी बढ़ावा मिलेगा। सियासी जानकार भी मानते हैं कि नॉर्थ-ईस्ट की तमाम समस्याओं में चिकित्सा सुविधा और हेल्थ एक बड़ा इशू शुरुआती दौर से रहा है। सियासी जानकारों का मानना है कि ऐसे में यहां के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधा का लाभ देखकर सियासी तौर पर भारतीय जनता पार्टी को फायदा मिलने का पूरा अनुमान भी लगाया जा रहा है।
बजट में जिस तरीके से नार्थ-ईस्ट के राज्य मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, और आसाम के बड़े चिकित्सा संस्थानों और पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट को बजट जारी किया गया है, वह लोगों की सेहत में सुधार तो करेगा ही, बल्कि सियासत की मजबूत नींव भी रखेगा। इस बार के बजट में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से शिलांग स्थित नॉर्थ ईस्ट इंदिरा गांधी रीजनल इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ एंड मेडिकल साइंस को 528 करोड़ रुपये का बजट जारी किया गया है। जो पिछले साल की तुलना में तकरीबन 50 करोड़ रुपये ज्यादा है। इसी तरह मणिपुर के इंफाल स्थित रीजनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस को 629 करोड़ रुपये का बजट जारी किया गया है, जो पिछले साल की तुलना में दस करोड़ रुपये ज्यादा है। इसी तरह मिजोरम के रीजनल इंस्टीट्यूट आफ पैरामेडिकल एंड नर्सिंग साइंस को 125 करोड़ रुपये का बजट जारी किया गया है। पिछले बजट में इस संस्थान को 108 करोड रुपये जारी हुए थे। इसी तरह तेजपुर के एलजीबी रीजनल इंस्टीट्यूट आफ मेंटल हेल्थ साइंस को 64 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं, जो पिछले साल की तुलना में 6 करोड़ रुपया ज्यादा है।
रीजनल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस से रिटायर्ड प्रोफेसर सरत देब कहते हैं कि नार्थ-ईस्ट के मेघालय, मणिपुर, मिजोरम और असम के मेडिकल इंस्टिट्यूट को मिला बजट निश्चित तौर पर यहां के लोगों की बेहतर चिकित्सा सुविधा को बेहतर करेगा। देव कहते हैं कि लंबे समय से इस इलाके में इंस्टीट्यूशंस में बजट को बढ़ाने की मांग भी हो रही थी, ताकि और चिकित्सा सुविधाओं को मजबूत किया जा सके। नॉर्थ-ईस्ट में भाजपा के चिकित्सा प्रकोष्ठ से ताल्लुक रखने वाले डॉक्टर भौमिक बर्मन कहते हैं कि उनकी सरकार हर तबके के लोगों का न सिर्फ ध्यान रख रही है, बल्कि उसके लिए हर संभव प्रयास भी करती है। बर्मन कहते हैं कि अस्पतालों को मिलने वाले बजट का सियासी ताल्लुक बिल्कुल नहीं होता है। लेकिन वह जरूर कहते हैं कि जब लोगों को सुविधाएं मिलती हैं, तो वह सरकार की योजनाओं से लाभान्वित होते हैं और उसी सरकार को फिर से वापस लाना चाहते हैं जो उनकी देखरेख करती है।
नॉर्थ-ईस्ट की सियासत को करीब से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार दमन सिंह कहते हैं कि इस बजट में अगर आप बारीकी से अध्ययन करें, तो पता चलेगा केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना से नॉर्थ-ईस्ट के लोगों को भी बहुत फायदा होने वाला है। इसके अलावा केंद्र सरकार की फ्री राशन योजना भी नॉर्थ-ईस्ट के लोगों को सीधे तौर पर लाभान्वित करेगी। दमन कहते हैं कि आदिवासियों के लिए जारी किए गए बजट का एक बड़ा हिस्सा नॉर्थ ईस्ट के क्षेत्रों पर भी खर्च होगा। वह कहते हैं कि बजट में नॉर्थ-ईस्ट के लोगों को बेहतर तरीके से साधा गया है। सियासी विश्लेषक भी मानते हैं कि इस साल के विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा के चुनावों में इस बजट का सीधे तौर पर असर पड़ेगा।
राजनीतिक विश्लेषक ओपी मिश्रा कहते हैं कि नॉर्थ-ईस्ट में चिकित्सा सुविधाओं के लिहाज से जारी किए गए ज्यादा से ज्यादा बजट का असर निश्चित तौर पर पड़ेगा। नार्थ-ईस्ट के एक विश्वविद्यालय में लंबे समय तक राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर रहे ओपी मिश्रा कहते हैं कि केंद्र सरकार की वह योजनाएं, जो सीधे तौर पर लोगों को लाभान्वित करती है उसका असर नॉर्थ-ईस्ट के लोगों पर भी पड़ेगा। उनका कहना है जिस तरीके से इन योजनाओं का लाभ लेकर बीते कुछ समय में भारतीय जनता पार्टी को सियासी तौर पर फायदा हुआ है, अंदाजा लगाया जा रहा है कि ठीक उसी तर्ज पर आने वाले चुनावों में भी भारतीय जनता पार्टी इसे जनता के बीच में ले जाएगी और उसका सियासी लाभ भी लेगी।