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CRPF: श्रीनगर से पुलवामा शिफ्ट होगा बल का ट्रेनिंग सेंटर, आतंकियों के गढ़ में प्रशिक्षण केंद्र ले जाने पर अफसरों में टकराव

Jitendra Bhardwaj जितेंद्र भारद्वाज
Updated Sat, 16 Jul 2022 05:45 PM IST
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सार

सीआरपीएफ के पूर्व एडीजी एचआर सिंह कहते हैं, श्रीनगर में सीआरपीएफ का ये तीस साल पुराना ट्रेनिंग सेंटर है। केंद्रीय गृह मंत्रालय और सीआरपीएफ हेडक्वार्टर को अपने इस निर्णय पर दोबारा से विचार करना चाहिए। इस तरह का केंद्र तो मुख्य सड़क पर ही ठीक रहता है। लेथपोरा का सेंटर चार किलोमीटर अंदर है। वह आतंक प्रभावित क्षेत्र है...

Central Paramilitary Force humhama Recruitment Training Center  is shifting to Lethpora in Pulwama, officers are opposing
श्रीनगर में सीआरपीएफ के जवान - फोटो : अमर उजाला (फाइल फोटो)

विस्तार
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श्रीनगर के हमहामा स्थित केंद्रीय अर्धसैनिक बल 'सीआरपीएफ' भर्ती प्रशिक्षण केंद्र 'आरटीसी' को पुलवामा के लेथपोरा में शिफ्ट करने को लेकर अफसरों के बीच टकराव के आसार बनते जा रहे हैं। अभी तक ये ट्रेनिंग सेंटर एक महफूज इलाके में रहा है। वहां कोई आतंकी हमला भी नहीं हुआ, जबकि पुलवामा को आतंकियों का गढ़ माना जाता है। साल 2019 के दौरान पुलवामा में हुए आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। अब वहीं पर ट्रेनिंग सेंटर स्थापित करना, किसी बड़े जोखिम से कम नहीं है। देश की दूसरी यूनिटों से जिन अधिकारियों या जवानों ने यह सोचकर श्रीनगर के इस सेंटर पर तबादला कराया था कि वहां कुछ साल बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल जाएगी, अब उन्हें यह डर सता रहा है कि वे पुलवामा में कहां पर बच्चों को पढ़ाएंगे। लेथपोरा में न तो कोई बेहतर स्कूल है और न ही कोई मेडिकल सेंटर। कैडर अधिकारियों का आरोप है कि अभी तक इस सेंटर के ऑफिसर मैस एवं दूसरी सुविधाओं को डीआईजी स्तर के अफसर देखते रहे हैं। आईपीएस अधिकारी चाहते हैं कि ये सब उनके सीधे नियंत्रण में आ जाए। यहां पर उनका कार्यालय रहे। बाकी ट्रेनिंग सेंटर का काम 'पुलवामा' के लेथपोरा में चलता रहे।

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आतंकियों के प्रभाव वाला इलाका

लेथपोरा में अभी सीआरपीएफ का जो सेंटर है, वहां कोई खास सुविधा नहीं है। वहां पर बल के उन जवानों की इंडक्शन ट्रेनिंग होती है, जिन्हें पहली बार कश्मीर में पोस्टिंग मिलती है। ये कोई रंगरूट नहीं होते, बल्कि फोर्स के अनुभवी जवान होते हैं। इनकी ट्रेनिंग महज डेढ़-दो माह की होती है। बल के पूर्व अधिकारी बताते हैं कि कम से कम ग्रुप सेंटर ऐसा तो हो जहां 5-6 यूनिटों के रहने एवं संसाधन मुहैया कराने की क्षमता हो। उसमें बल से संबंधित विभिन्न कार्यालयों के लिए पर्याप्त जगह हो। लेथपोरा सेंटर, इन मापदंडों पर खरा नहीं उतरता। वहां बल का कैंपस भी मुख्य सड़क से करीब तीन-चार किलोमीटर अंदर है। इसके लिए वहां हर समय आरओपी 'रोड ओपनिंग पार्टी' लगानी होगी। वह इलाका आतंकियों के प्रभाव वाला माना जाता है। वहां पर नए रिक्रूट को ट्रेनिंग देना जोखिम से भरा कदम होगा। दिसंबर 2017 में वहां पर बड़ा आतंकी हमला हुआ था, जिसमें सीआरपीएफ के पांच जवान शहीद हो गए थे। उस हमले में तीन आतंकी भी मारे गए थे।

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सेंटर शिफ्ट करने के पीछे अफसरों का निजी स्वार्थ

सीआरपीएफ के पूर्व एडीजी एचआर सिंह कहते हैं, श्रीनगर में सीआरपीएफ का ये तीस साल पुराना ट्रेनिंग सेंटर है। केंद्रीय गृह मंत्रालय और सीआरपीएफ हेडक्वार्टर को अपने इस निर्णय पर दोबारा से विचार करना चाहिए। इस तरह का केंद्र तो मुख्य सड़क पर ही ठीक रहता है। लेथपोरा का सेंटर चार किलोमीटर अंदर है। वह आतंक प्रभावित क्षेत्र है। सीएपीएफ के पूर्व अधिकारी चंद्राशेखरन ने कहा, बल में प्रशासनिक मुद्दों की टकराहट में ट्रेनिंग के साथ समझौता किया जाता है। इसका नतीजा भी उतना ही खराब रहता है।

 

ट्रेनिंग सेंटर को शिफ्ट करना, अविवेक के साथ लिया गया और कल्पना से भरा निर्णय है। कॉन्फेडरेशन ऑफ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स मार्टियर्स वेलफेयर एसोसिएशन के वरिष्ठ पदाधिकारी रणबीर सिंह बताते हैं, इन सेंटर को लेथपोरा ले जाने का हमारा संगठन विरोध करता है। आईपीएस अधिकारी कुछ दिनों के लिए आते हैं, लेकिन उनके गलत निर्णयों का खामियाजा, बल को भुगतना पड़ता है। श्रीनगर के सेंटर पर अभी तक दो सौ करोड़ से ज्यादा की धनराशि खर्च हो चुकी है। कुछ आईपीएस अफसरों के निजी स्वार्थ से भरे इस निर्णय को अविलंब, वापस लिया जाना चाहिए।

रंगरूटों के जीवन को खतरे में डालने वाला कदम

पूर्व अधिकारियों ने कहा, ट्रेनिंग सेंटर को श्रीनगर के महफूज इलाके से लेथपोरा में ले जाने का केवल एक ही मकसद है। वह है सेंटर के अधिकारी मैस एवं दूसरे संसाधनों को आईपीएस के नियंत्रण में लाना है। श्रीनगर के ट्रेनिंग सेंटर पर अभी तक लगभग 25 हजार रिक्रूट 'अधिकारी एवं जवान' ट्रेनिंग ले चुके हैं। इसे तब स्थापित किया गया था, जब घाटी में उग्रवाद चरम सीमा पर था। पूर्व अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि सीआरपीएफ के श्रीनगर सेक्टर की आईजी चारू सिन्हा, इस गौरवशाली ट्रेनिंग सेंटर को यहां से शिफ्ट कराना चाहती हैं। उन्होंने भी यह बात मानी है कि लेथपोरा का इलाका, आतंक प्रभावित क्षेत्र है। वह मुख्य सड़क से काफी अंदर भी है। इसके बावजूद वे सीआरपीएफ की इस धरोहर को श्रीनगर से शिफ्ट कराने पर अड़ी हैं।
 

श्रीनगर का नवारक्षी प्रशिक्षण केंद्र, एक प्रमुख ट्रेनिंग सेंटर है। यहां पर रंगरूट को एक कठोर योद्धा के रुप में ढाला जाता है। मौजूदा आईजी का यह कदम, ट्रेनिंग सेंटर के 1600 से ज्यादा, निहत्थे रंगरूटों के जीवन को खतरे में डालने वाला है। इसके साथ ही उन जवानों और अधिकारियों के परिवारों की जिंदगी को भी जोखिम में डाला जा रहा है, जो रिक्रूट, इस सेंटर पर पदस्थ हैं। बल मुख्यालय के सूत्र बताते हैं कि इस बाबत औपचारिक निर्णय हो चुका है। इसमें कई अधिकारियों की राय ली गई है। हालांकि उक्त अधिकारी ने यह नहीं बताया कि राय देने वालों में कितने आईपीएस और कितने कैडर अफसर शामिल हैं।

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