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Himachal Results: कांग्रेस ने रेवड़ियां बरसा जीत ली चुनावी बाजी, सरकारी खजाने में कैसे जुटेंगे 4000 करोड़

Jitendra Bhardwaj जितेंद्र भारद्वाज
Updated Thu, 08 Dec 2022 08:09 PM IST
सार

कांग्रेस ने रेवड़ियां बरसा कर चुनावी बाजी तो जीत ली है, मगर इसके लिए सरकारी खजाने में हर साल 4000 करोड़ रुपये जुटाने होंगे। पहाड़ी राज्य पहले से ही कर्ज में डूबा है। ऐसे में हर साल इतनी बड़ी राशि का इंतजाम करना, किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा।     

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Congress won Himachal election by announcing free schemes
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : Social Media
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विस्तार
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हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की है। पार्टी ने चुनाव से पहले 'हिमाचल का संकल्प, कांग्रेस ही विकल्प' नाम से गारंटी कार्ड जारी किया था। उसमें कई सारे वादे किए गए थे। इनमें पुरानी पेंशन लागू करना, 18 से 60 वर्ष की आयु की महिलाओं को हर माह 1500 रुपये, गाय-भैंस पालकों से रोजाना दस लीटर दूध खरीदना और युवा स्टार्टअप के लिए सभी विधानसभा क्षेत्रों में दस-दस करोड़ रुपये का ऋण वितरण, आदि शामिल था। 

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कांग्रेस ने रेवड़ियां बरसा कर चुनावी बाजी तो जीत ली है, मगर इसके लिए सरकारी खजाने में हर साल 4000 करोड़ रुपये जुटाने होंगे। पहाड़ी राज्य पहले से ही कर्ज में डूबा है। ऐसे में हर साल इतनी बड़ी राशि का इंतजाम करना, किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा।     
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पुरानी पेंशन के लिए देने होंगे सालाना 600 करोड़ रुपये ...  
कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में सरकारी कर्मियों से पुरानी पेंशन बहाल करने का वादा किया था। चुनाव के नतीजे बताते हैं कि सरकारी कर्मियों ने काफी हद तक इस मुद्दे पर कांग्रेस को समर्थन दिया है। तकरीबन हर विधानसभा क्षेत्र में दस पंद्रह हजार सरकारी कर्मचारी हैं। हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन लागू होने से सरकारी खजाने पर भार पड़ेगा। 

सेवारत्त और रिटायर्ड कर्मियों की संख्या देखें तो वह लगभग साढ़े चार लाख के आसपास पहुंच जाती है। हर साल पंद्रह-बीस प्रतिशत कर्मी रिटायर होते हैं तो कुछ नए पद भी भरे जाते हैं। हिमाचल प्रदेश में मौजूदा स्थितियों में पुरानी पेंशन लागू होती है तो हर साल सरकारी खजाने पर लगभग 600 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार पड़ेगा। 

पेंशन रिवाइज होने पर डीआर भी देना होगा ... 
मौजूदा एनपीएस में रिटायरमेंट के वक्त जो फंड वैल्यू होती है, केवल उतना ही मिलता है। यानी किसी व्यक्ति ने तीस साल सेवा की है तो उसे हर माह चार पांच हजार रुपये पेंशन मिलती है। ये आंकड़ा रैंक और वेतनमान के अनुसार घटता बढ़ता रहता है। एनपीएस के शुरु में जो राशि निर्धारित होती है, उस पर डीए नहीं लगता। पे कमीशन के नए वेतनमान का असर भी नहीं होता। वह राशि कभी रिवाइज नहीं होती। 

पुरानी पेंशन में केवल बेसिक तय होता है। उसमें डीआर 'महंगाई राहत' जुड़ती रहती है। पे कमीशन के जरिए पेंशन रिवाइज होती रहती है। अगर पेंशन का डीआर बकाया है तो उसका एरियर मिल जाता है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश की सरकार का खर्च बढ़ जाएगा। 

महिलाओं को 15 सौ रुपये, मतलब 2700 करोड़ सालाना ...  
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की दस गारंटी में महिलाओं के लिए भी एक घोषणा की गई थी। इसमें कहा गया था कि 18 से 60 वर्ष की आयु की महिलाओं को हर माह 1500 रुपये की सुनिश्चित आय दी जाएगी। विधानसभा चुनाव के आंकड़ों के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश में महिलाओं की संख्या 27,36,306 है। इनमें से 21,01,483 महिलाओं ने वोट डाला है। चूंकि इस गारंटी में शामिल होने के लिए आयु तय की गई है, ऐसे में 15 लाख महिलाएं भी यह राशि लेने के लिए योग्य हैं तो इसके लिए हर माह 225 करोड़ रुपये खर्च होंगे। 

सरकारी खजाने पर सालाना 2700 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इसके अलावा प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में दस करोड़ रुपये की स्टार्टअप निधि प्रदान की जाएगी। इसके लिए भी 680 करोड़ रुपये जुटाने होंगे। पांच लाख युवाओं को नौकरी देनी है। गाय-भैंस पालकों से रोजाना दस लीटर दूध खरीदना है। सरकार, जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए दो रुपये किलो गोबर खरीदेगी। इस पर भी खर्च आएगा। हर विधानसभा क्षेत्र में चार अंग्रेजी माध्यम वाले स्कूल खुलेंगे। हर गांव में अस्पताल की गाड़ी पहुंचेगी। हर माह तीन सौ यूनिट बिजली फ्री मिलेगी। इन सभी कार्यों के लिए अतिरिक्त बजट का इंतजाम करना होगा।

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