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सीडीएस बिपिन रावत के 'कट्टरपंथ मुक्ति शिविर' बयान पर सीताराम येचुरी ने पीएम मोदी से मांगा जवाब 

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, तिरुवनंतपुरम   Published by: अमित कुमार Updated Sun, 19 Jan 2020 08:19 PM IST
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CPI (M) Leader Sitaram Yechury says Union govt should come clearn on deradicalisation camps
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मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने रविवार को चीफ आफ आर्मी स्टाफ सीडीएस बिपिन रावत के बयान पर मोदी सरकार को घेरा है। जनरल बिपिन रावत ने हाल में कहा था कि कश्मीर में कट्टरपंथ से मुक्ति दिलाने वाले शिविर चल रहे हैं। 

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येचुरी ने केंद्रीय समिति की तीन दिवसीय बैठक के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि सेना के कमांडर घरेलू राजनीति में घुस रहे हैं। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। चौंकाने वाली बात यह है कि ऐसे शिविर पहले से ही मौजूद हैं। येचुरी ने कहा कि हम मोदी सरकार से मांग करते हैं कि वह इस मामले में खुद को स्वच्छ घोषित करे और देश को बताए कि क्या इस तरह के कैंप चल रहे हैं या नहीं। अगर ऐसा है तो क्या सेना इन्हें चला रही है? अगर ऐसा होता है तो यह अल्पसंख्यकों के खिलाफ सबसे बड़ी प्रक्रिया का हिस्सा होगा। 
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याद रहे कि ‘रायसीना डायलॉग' को संबोधित करते हुए जनरल रावत ने कश्मीर में हालात का जिक्र करते हुए कहा था कि घाटी में 10 और 12 साल के लड़के-लड़कियों को कट्टरपंथी बनाया जा रहा है, जो चिंता का विषय है।
 

जनरल रावत ने कहा था, 'इन लोगों को धीरे-धीरे कट्टरपंथ से अलग किया जा सकता है। हालांकि, ऐसे लोग भी हैं जो पूरी तरह कट्टरपंथी हो चुके हैं। इन लोगों को अलग से कट्टरपंथ से मुक्ति दिलाने वाले शिविर में ले जाने की आवश्यकता है।' इस दौरान उन्होंने कहा था, 'देश में कट्टरपंथ से मुक्ति दिलाने वाले शिविर चलाए जा रहे हैं। पाकिस्तान में भी ऐसे शिविर हैं।' 

एनपीआर के सवालों का जवाब न दें लोग : 

माकपा की केंद्रीय समिति ने लोगों से अपील की कि वे एनपीआर के सवालों का जवाब नहीं दें। येचुरी ने कहा कि केंद्रीय समिति ने लोगों से आह्वान किया कि जब जनगणना करने वाले घर आएं तो वे एनपीआर से जुड़े किसी सवाल का जवाब नहीं दें।' 

नीति आयोग के सदस्य को संविधान पढ़ने की सलाह दी : 

माकपा महासचिव ने कश्मीर में इंटरनेट सेवा को गैर जरूरी बताने वाले नीति आयोग के सदस्य वी के सारस्वत को देश के संविधान को विस्तार से पढ़ने की नसीहत दी। येचुरी ने सारस्वत के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, 'यह व्यक्ति नीति आयोग के सदस्य हैं। उन्हें खुद को अपडेट करने के लिए भारत का संविधान पढ़ने की जरूरत है और वह प्रस्तावना से इसकी शुरुआत कर सकते हैं।'
 




 

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