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Gujarat Boat Mishap: 'ठेकेदार के पास अनुभव नहीं, तैरना भी नहीं आता'; SC में विशेषज्ञ समिति से जांच की अपील
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, वडोदरा
Published by: ज्योति भास्कर
Updated Sat, 20 Jan 2024 10:19 PM IST
सार
गुजरात के वडोदरा में नाव हादसे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। शीर्ष अदालत से इस मामले की जांच के लिए विशेषज्ञ समिति बनाने का निर्देश देने की मांग की गई है। घोर प्रशासनिक लापरवाही के आरोप लगाए गए हैं। पुलिस की जांच के मुताबिक नाव संचालक के पास अनुभव नहीं था।
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वडोदरा में पलटी छात्रों से भरी नाव (फाइल)
- फोटो : ANI
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विस्तार
वडोदरा नाव दुर्घटना मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले पक्ष से जुड़े वकील उत्कर्ष दवे ने बताया, मोरबी ब्रिज ट्रेजेडी एसोसिएशन ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर क है। उन्होंने बताया कि इस रिट याचिका में 'विशेषज्ञ समिति की नियुक्त' करने का निर्देश देने की अपील की गई है। उन्होंने कहा कि वडोदरा में कुल 14 लोगों की जान जा चुकी है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि हादसे का कारण वडोदरा के जिला कलेक्टर कार्यालय से लेकर वडोदरा नगर निगम की घोर लापरवाही है।
न्यायालय की निगरानी में जांच की मांग
वकील उत्कर्ष दवे ने कहा कि वडोदरा में हादसे के बाद स्थानीय नगर निगम और जिला कलेक्टर कार्यालय के किसी कर्मचारी-अधिकारी को आरोपी नहीं बनाया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से पीड़ितों के परिजनों को पर्याप्त मुआवजा देने का निर्देश भी मांगा है। अपील में कहा गया है की हादसे के कारणों की जांच और दोषियों की पहचान के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाए। जांच सुप्रीम कोर्ट या गुजरात उच्च न्यायालय की निगरानी में कराए जाने की मांग भी की गई है।
नौकायन गतिविधि का ठेका मामले में चौंकाने वाला खुलासा
इससे पहले बोटिंग का ठेका किसी दूसरी कंपनी को देने का फैसला भी सामने आया। रिपोर्ट के मुताबिक हादसे के समय जिस ऑपरेटर के पास ठेका था, उसके पास अनुभव की कमी है। शुरुआती जांच में यह बता लगा है कि झील किनारे बने मनोरंजन क्षेत्र का प्रबंधन करने वाली कंपनी ने नौकायन गतिविधि का ठेका किसी अन्य कंपनी को दे दिया गया था। पुलिस ने मालिक और अन्य शख्स के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। पुलिस के मुताबिक नाव संचालक के पास कोई अनुभव नहीं था। यहां तक कि उसे तैरना भी नहीं आता था।
गुजरात पुलिस ने दो आरोपियों के नाम जोड़े
वडोदरा पुलिस आयुक्त अनुपम सिंह गहलोत ने शनिवार को बताया, परेश जैन और नीलेश शाह के नाम प्राथमिकी में जोड़े गए हैं। जैन डॉल्फिन एंटरटेनमेंट के मालिक हैं। कोटिया प्रोजेक्ट्स ने एक उप-अनुबंध दिया। इसी कंपनी ने मनोरंजक मकसदों से झील किनारे विकास किया था।
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न्यायालय की निगरानी में जांच की मांग
वकील उत्कर्ष दवे ने कहा कि वडोदरा में हादसे के बाद स्थानीय नगर निगम और जिला कलेक्टर कार्यालय के किसी कर्मचारी-अधिकारी को आरोपी नहीं बनाया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट से पीड़ितों के परिजनों को पर्याप्त मुआवजा देने का निर्देश भी मांगा है। अपील में कहा गया है की हादसे के कारणों की जांच और दोषियों की पहचान के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाए। जांच सुप्रीम कोर्ट या गुजरात उच्च न्यायालय की निगरानी में कराए जाने की मांग भी की गई है।
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#WATCH | Vadodara boat capsize accident | Advocate Utkarsh Dave says, "...Morbi Bridge Tragedy Association has moved to Supreme Court and have filed a writ petition. The demand from the Supreme Court is that there should be an appointment of an expert committee in this matter...A… pic.twitter.com/qSvrYPjvLL
— ANI (@ANI) January 20, 2024
नौकायन गतिविधि का ठेका मामले में चौंकाने वाला खुलासा
इससे पहले बोटिंग का ठेका किसी दूसरी कंपनी को देने का फैसला भी सामने आया। रिपोर्ट के मुताबिक हादसे के समय जिस ऑपरेटर के पास ठेका था, उसके पास अनुभव की कमी है। शुरुआती जांच में यह बता लगा है कि झील किनारे बने मनोरंजन क्षेत्र का प्रबंधन करने वाली कंपनी ने नौकायन गतिविधि का ठेका किसी अन्य कंपनी को दे दिया गया था। पुलिस ने मालिक और अन्य शख्स के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है। पुलिस के मुताबिक नाव संचालक के पास कोई अनुभव नहीं था। यहां तक कि उसे तैरना भी नहीं आता था।
गुजरात पुलिस ने दो आरोपियों के नाम जोड़े
वडोदरा पुलिस आयुक्त अनुपम सिंह गहलोत ने शनिवार को बताया, परेश जैन और नीलेश शाह के नाम प्राथमिकी में जोड़े गए हैं। जैन डॉल्फिन एंटरटेनमेंट के मालिक हैं। कोटिया प्रोजेक्ट्स ने एक उप-अनुबंध दिया। इसी कंपनी ने मनोरंजक मकसदों से झील किनारे विकास किया था।