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Bombay High Court: इस्राइल के खिलाफ प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं, हाईकोर्ट ने खारिज की माकपा की याचिका

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई। Published by: निर्मल कांत Updated Fri, 25 Jul 2025 09:01 PM IST
सार

Bombay High Court: बॉम्बे हाईकोर्ट ने माकपा की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें गाजा नरसंहार के खिलाफ मुंबई में प्रदर्शन की इजाजत मांगी गई थी। कोर्ट ने कहा कि पार्टी को देश के अंदरूनी मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए, विदेश की घटनाओं पर नहीं। माकपा ने कोर्ट की इस टिप्पणी की आलोचना करते हुए कहा कि यह भारत के संविधान और फलस्तीन के समर्थन की पारंपरिक नीति की अनदेखी है।

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HC rejects plea seeking permission for protest against Gaza genocide; CPM decries court's view
बंबई उच्च न्यायालय - फोटो : एएनआई (फाइल)
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विस्तार
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बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को माकपा की याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में मुंबई पुलिस की ओर से गाजा में कथित नरसंहार के खिलाफ प्रदर्शन करने की अनुमति न देने को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने पार्टी को सलाह दीकि वह विदेश की बजाय के देश के अंदरूनी मुद्दों पर फोकस करे। वहीं, माकपा ने कोर्ट की इस टिप्पणी की आलोचना करते हुए कहा कि इससे संविधान में दिए गए अधिकारों और फलस्तीन को लेकर भारत की पारंपरिक समर्थन की नीति की अनदेखी हुई है।
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यह मामला तब शुरू हुआ, जब मुंबई पुलिस ने पिछले महीने 'अखिल भारती शांति एवं एकजुटता संगठन' को दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में गाजा में कथित नरसंहार के विरोध में रैली करने की अनुमति नहीं दी। इसके बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने कोर्ट में याचिका दाखिल की। जस्टिस रविंद्र घुगे और गौतम अंखड़ की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि पार्टी को देश के अंदर की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए, न कि हजारों किलोमीटर दूर की घटनाओं पर। 
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माकपा की ओर से वकील मिहिर देसाई ने कोर्ट में दलील दी कि पुलिस ने इस आधार पर अनुमति नहीं दी कि इससे कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है। उन्होंने कहा कि नागरिकों को तय स्थानों पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने का अधिकार है और सिर्फ कानून-व्यवस्था की आशंका के आधार पर इस अधिकार से इनकार नहीं किया जा सकता। हालांकि, कोर्ट ने इस दलील को नहीं माना और याचिका खारिज कर दी। इसके बाद माकपा ने एक बयान जारी कर कोर्ट की टिप्पणी की आलोचना की।

माकपा के पोलित ब्यूरो ने कहा, हम माकपा की याचिका खारिज करते समय हाई कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणियों की कड़ी निंदा करते हैं। पार्टी को गाजा में हो रहे इस्राइली नरसंहार के खिलाफ प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी गई। पार्टी ने कहा कि कोर्ट ने उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाए और यह कहा कि पार्टी को विदेश नीति पर असर डालने वाले मुद्दों को नहीं उठाना चाहिए। माकपा ने यह भी कहा कि कोर्ट ने यह सुझाव दिया कि पार्टी को कचरा प्रबंधन, प्रदूषण, सीवर और बाढ़ जैसे स्थानीय मुद्दों पर काम करना चाहिए, न कि विदेश की घटनाओं पर। माकपा के अनुसार, कोर्ट संविधान में राजनीतिक दलों को दिए गए अधिकारों और भारत के ऐतिहासिक रूप से फलस्तीन के समर्थन की परंपरा को नजरअंदाज कर रही है। पार्टी ने यह भी कहा कि कोर्ट की टिप्पणी केंद्र सरकार की नीतियों के अनुरूप दिखती है।

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माकपा ने कहा कि महात्मा गांधी, आजादी की लड़ाई और आजाद भारत की विदेश नीति हमेशा फलस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन करती रही है। पार्टी ने कहा कि दुनियाभर में कोर्ट ने इस्राइली कार्रवाई की निंदा की है और संयुक्त राष्ट्र तथा अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की टिप्पणियों को भी नजरअंदाज किया है।

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