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Health: अब छह माह तक तीन दवाओं से दूर होगा कुष्ठ रोग, मुक्ति के लिए 2027 तक का रखा है लक्ष्य
परीक्षित निर्भय, नई दिल्ली
Published by: यशोधन शर्मा
Updated Wed, 24 Jan 2024 06:12 AM IST
सार
स्वास्थ्य महानिदेशालय के उप महानिदेशक डॉ. सुदर्शन मंडल ने पत्र में लिखा है कि कुष्ठ रोगियों के लिए मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) उपचार योजना में बदलाव किया जा रहा है। मंत्रालय ने पॉसिबैसिलरी (पीबी) मामलों के लिए छह महीने के लिए दो की जगह तीन दवाओं को शामिल किया है।
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स्वास्थ्य महानिदेशालय
- फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
कुष्ठ रोग को लेकर जल्द ही उपचार प्रोटोकॉल में बदलाव होगा। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से कहा है कि कुष्ठ रोग के इलाज में अब दो नहीं, बल्कि तीन दवाओं का छह माह तक के लिए सेवन कराया जाएगा। इन नई दवाओं को एक अप्रैल 2025 से भारत में उपलब्ध कराया जाना है। ऐसे में सभी राज्यों से कहा है कि वह जल्द से जल्द अपने रोगियों की संख्या के आधार पर केंद्र तक मांग पहुंचाएं।
स्वास्थ्य महानिदेशालय के उप महानिदेशक डॉ. सुदर्शन मंडल ने पत्र में लिखा है कि कुष्ठ रोगियों के लिए मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) उपचार योजना में बदलाव किया जा रहा है। मंत्रालय ने पॉसिबैसिलरी (पीबी) मामलों के लिए छह महीने के लिए दो की जगह तीन दवाओं को शामिल किया है। यह बदलाव विश्वस्तर पर स्वीकृत वैज्ञानिक अध्ययनों और साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए किया है। इन दवाओं में डैपसोन, रिफैम्पिसिन और क्लोफाजिमिन शामिल हैं, जिनके संयोजन को एमडीटी कहा जाता है।
राज्यों से मांग भेजने को कहा
पत्र के मुताबिक, दवा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के जरिये एक अप्रैल 2025 से उपलब्ध कराई जाएगी। ऐसे में जरूरी है कि सभी राज्य आगामी एक अप्रैल 2024 तक अपनी कुष्ठ रोग रोधी दवाओं की मांग केंद्र तक पहुंचाएं। भारत में पॉसिबैसिलरी (पीबी) और मल्टीबैसिलरी (एमबी) मामलों के लिए कुष्ठ रोग का संशोधित वर्गीकरण और उपचार नियम एक अप्रैल 2025 से लागू किया जाएगा। राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (एनएलईपी) के तहत केंद्र सरकार ने भारत को कुष्ठ मुक्त घोषित करने के लिए 2027 तक का लक्ष्य रखा है जो सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) से तीन वर्ष पहले है।
पीबी और एमबी में अंतर
संवेदना की हानि या मांसपेशियों में कमजोरी लाने वाली यह बीमारी पीबी और एमबी से भी जानी जाती है। पॉसिबैसिलरी रोगियों में कम बैक्टीरिया दिखाई देते हैं और बायोप्सी में उन्नत बीमारी के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, जबकि मल्टीबैसिलरी के मामलों में ठीक इसके विपरीत होता है। रोगियों की त्वचा पर बैक्टीरिया दिखाई देते हैं और बायोप्सी में अधिक उन्नत बीमारी के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। सरकार ने नए उपचार प्रोटोकॉल में पॉसिबैसिलरी के लिए उपचार अवधि छह माह और मल्टीबैसिलरी के लिए 12 महीने तय की है।
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स्वास्थ्य महानिदेशालय के उप महानिदेशक डॉ. सुदर्शन मंडल ने पत्र में लिखा है कि कुष्ठ रोगियों के लिए मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) उपचार योजना में बदलाव किया जा रहा है। मंत्रालय ने पॉसिबैसिलरी (पीबी) मामलों के लिए छह महीने के लिए दो की जगह तीन दवाओं को शामिल किया है। यह बदलाव विश्वस्तर पर स्वीकृत वैज्ञानिक अध्ययनों और साक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए किया है। इन दवाओं में डैपसोन, रिफैम्पिसिन और क्लोफाजिमिन शामिल हैं, जिनके संयोजन को एमडीटी कहा जाता है।
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राज्यों से मांग भेजने को कहा
पत्र के मुताबिक, दवा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के जरिये एक अप्रैल 2025 से उपलब्ध कराई जाएगी। ऐसे में जरूरी है कि सभी राज्य आगामी एक अप्रैल 2024 तक अपनी कुष्ठ रोग रोधी दवाओं की मांग केंद्र तक पहुंचाएं। भारत में पॉसिबैसिलरी (पीबी) और मल्टीबैसिलरी (एमबी) मामलों के लिए कुष्ठ रोग का संशोधित वर्गीकरण और उपचार नियम एक अप्रैल 2025 से लागू किया जाएगा। राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (एनएलईपी) के तहत केंद्र सरकार ने भारत को कुष्ठ मुक्त घोषित करने के लिए 2027 तक का लक्ष्य रखा है जो सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) से तीन वर्ष पहले है।
पीबी और एमबी में अंतर
संवेदना की हानि या मांसपेशियों में कमजोरी लाने वाली यह बीमारी पीबी और एमबी से भी जानी जाती है। पॉसिबैसिलरी रोगियों में कम बैक्टीरिया दिखाई देते हैं और बायोप्सी में उन्नत बीमारी के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, जबकि मल्टीबैसिलरी के मामलों में ठीक इसके विपरीत होता है। रोगियों की त्वचा पर बैक्टीरिया दिखाई देते हैं और बायोप्सी में अधिक उन्नत बीमारी के लक्षण दिखाई दे सकते हैं। सरकार ने नए उपचार प्रोटोकॉल में पॉसिबैसिलरी के लिए उपचार अवधि छह माह और मल्टीबैसिलरी के लिए 12 महीने तय की है।