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India-China Row: क्या सुधर सकते हैं भारत-चीन के रिश्ते? जयशंकर बोले- पूरी तरह बंद नहीं हुए बातचीत के दरवाजे

न्यूज डेस्क, अमर उजाला Published by: पवन पांडेय Updated Wed, 11 Sep 2024 10:22 AM IST
सार

India-China Row: भारत और चीन के बीच संबंधों को लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत के दरवाजे चीन से व्यापार के लिए बंद है, लेकिन हमें ये तय करना होगा कि हम किन शर्तों पर एक-दूसरे के साथ व्यापार करेंगे।

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India doors are not closed Jaishankar hints at improving relations with China- Jaishankar
Jaishankar - फोटो : PTI
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भारत और चीन के रिश्ते गलवान घाटी संघर्ष के बाद बिगड़े अभी तक सुधरे नहीं हैं। इस बीच, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत के दरवाजे चीन से व्यापार के लिए बंद नहीं है, लेकिन दोनों देशों को तय करना होगा कि आखिर वे किन क्षेत्रों में और किन शर्तों पर एक-दूसरे के साथ व्यापार करेंगे। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा, यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। दुनिया में ऐसा कोई देश नहीं है जो यह कह सके कि मैं चीन के साथ व्यापार नहीं करूंगा। मुझे लगता है कि मुद्दा यह है कि आप किन क्षेत्रों में किन शर्तों के साथ व्यापार करते हैं। बता दें कि विदेश मंत्री ने ये बयान बर्लिन में एक कार्यक्रम के दौरान दिया है।
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एस. जयशंकर पहले भी कर चुके हैं वकालत
विदेश मंत्री ने हाल के दिनों में चीन के साथ व्यापार और निवेश को लेकर सावधानी बरतने की जरूरत के बारे में कई बार बात की है। पिछले महीने उन्होंने कहा था कि भारत के सामने एक विशेष चीन समस्या है। इससे पहले मई महीने में उन्होंने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन में कहा था कि भारतीय फर्मों को एलएसी पर गतिरोध के बीच चीन के साथ व्यापारिक लेन-देन का राष्ट्रीय सुरक्षा फिल्टर के जरिए मूल्यांकन करना चाहिए और घरेलू निर्माताओं से ज्यादा सोर्सिंग करनी चाहिए।
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चीनी तकनीशियनों के वीजा नियम आसान बनाने पर विचार
बता दें कि भारत ने 2020 से सभी चीनी नागरिकों के लिए निवेश जांच के साथ-साथ वीजा को भी लगभग रोक दिया है। हालांकि, अब चीनी तकनीशियनों के लिए वीजा नियम को आसान बनाने पर विचार किया जा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि इससे अरबों डॉलर के निवेश बाधित हुआ है।

वहीं एक समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, भारत सौर पैनल और बैटरी निर्माण जैसे गैर-संवेदनशील क्षेत्रों में चीनी निवेश पर लगे प्रतिबंधों में ढील दे सकता है। इन क्षेत्रों में विशेषज्ञता की कमी है। यह घरेलू विनिर्माण में बाधा डालते हैं।

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