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भारतीय कंपनियों ने कम किया एच-1बी वीजा आवेदन, 2016 में आई 37 फीसदी गिरावट
amarujala.com- Presented by: अभिषेक मिश्रा
Updated Wed, 07 Jun 2017 09:29 AM IST
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अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पद संभालने के बाद से एच-1बी वीजा को लेकर गहमागहमी बनी हुई है। हाल में एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि यह ट्रेंड ट्रंप के आने से पहले से चल रहा है। दरअसल पिछले साल अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में ही एच-1बी वीजा देने में भारी कटौती नजर आई है। ट्रंप प्रसाशन केवल इस ट्रेंड को आगे बढ़ा रहा है।
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भारत की सात बड़ी आईटी कंपनियों को 2016 में केवल 9,356 नए एच-1बी वीजा जारी किए गए हैं। नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी की रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2015 के मुकाबले वर्ष 2016 में 37 फीसदी कम वीजा जारी किए गए हैं।
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वहीं 2016 से पूर्व इन सात आईटी कंपनियों के लिए कुल 14,792 वीजा जारी किए गए हैं। फाउंडेशन का कहाना है कि वीजा में इंड्रस्ट्री ट्रेंड, डिजिटल सर्विज और क्लॉउड कम्प्यूटिंग के चलते आईटी कंपनियां लोकल लोगों को नौकरी पर रख रहे हैं।
अमेरिका एक साल में 65,000 एन-1बी वीजा जारी करता है। अगर इससे ज्यादा आवेदन आते हैं, जैसा कि हाल के कुछ साल में हुआ, तो प्रसाशन लॉट्री का सहारा लेती है। जो कंपनी जितने ज्यादा वीजा आवेदन जारी करती है उसे उतने ही ज्यादा वीजा मिलने की उम्मीद होती है। माना जा रहा है कि भारत की आईटी कंपनियों को कम वीजा मिलने का कारण कम आवेदन दिया जाना है। टीसीएस ने पिछले हफ्ते बताया कि उसने इस साल 2015 के मुकाबले इस साल एच-1बी वीजा के लिए एक तिहाई आवेदन किए है।