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प्रवास अवधि बढ़ाने पर 88 लाख नहीं देने: H1-B वीजा पर US ने किया स्पष्ट, 19 सितंबर के आदेश की छूट पर तस्वीर साफ
एजेंसी, न्यूयॉर्क।
Published by: ज्योति भास्कर
Updated Wed, 22 Oct 2025 08:14 AM IST
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सार
भारत के नागरिकों को अमेरिका में प्रवास की अवधि बढ़वाने पर 88 लाख शुल्क नहीं देने होंगे। एच1-बी वीजा से जुड़े इस नियम को लेकर अमेरिका ने 19 सितंबर के आदेश में दी गई छूट को स्पष्ट कर दिया है। जानिए नियम

एच1बी वीजा के तहत अमेरिका प्रवास अवधि बढ़वाने पर 88 लाख शुल्क नहीं देने होंगे (सांकेतिक)
- फोटो : अमर उजाला प्रिंट / एजेंसी
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विस्तार
अमेरिका में एच-1बी वीजा आवेदकों को स्टेटस बदलवाने या प्रवास की अवधि बढ़वाने पर 88 लाख रुपये (एक लाख डॉलर) का शुल्क नहीं देना होगा। अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) ने सोमवार को 19 सितंबर के आदेश में दी गई छूट को स्पष्ट किया।

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यूएससीआईएस के दिशा-निर्देशों में कहा गया कि पहले जारी हुए और वर्तमान में मान्य एच-1बी वीजा या 21 सितंबर को रात 12:01 बजे से पहले जमा किए गए किसी भी आवेदन पर आदेश लागू नहीं होगा। इस आदेश में किसी भी मौजूदा एच-1बी धारक के अमेरिका में आने-जाने पर रोक नहीं है। अमेरिकी एजेंसी ने कहा, यह आदेश 21 सितंबर को पूर्वाह्न 12:01 बजे या उसके बाद किए गए उस आवेदन पर भी लागू नहीं होगा, जिसमें आवेदक ने अपने स्टेटस में बदलाव कराने या फिर प्रवास की अवधि बढ़वाने की इच्छा जताई है। हालांकि, यदि वह व्यक्ति स्थिति में परिवर्तन या संशोधन या प्रवास विस्तार के लिए अयोग्य है, तो शुल्क लागू होगा।
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इन्हें मिलेगा लाभ
अगर आवेदक किसी दूसरे वीजा जैसे अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए एफ-1 वीजा, अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के लिए एल-1 वीजा पर अमेरिका में प्रवेश करता है और बाद में वहीं रहते एच-1बी वीजा हासिल करता है तो उसे एक लाख डॉलर शुल्क नहीं देना होगा। वह एच-1बी वीजा पर अमेरिका में आ-जा सकता है और उसे जुर्माना नहीं देना पड़ेगा।
शुल्क से भारतीय पेशेवरों पर पड़ सकता है प्रतिकूल प्रभाव
एच-1बी वीजा के लिए शुल्क को सालाना एक लाख डॉलर तक बढ़ाए जाने से भारतीय पेशेवरों पर प्रभाव पड़ सकता है। हाल के वर्षों में कुल एच-1बी आवेदनों में से 71 फीसदी भारतीय हैं।
मुकदमे के बाद दिशा-निर्देश :
ये दिशा-निर्देश अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स की तरफ से ट्रंप प्रशासन के शुल्क लगाने के निर्णय के खिलाफ मुकदमा दायर करने के बाद जारी किए गए हैं। कोलंबिया की कोर्ट में 16 अक्तूबर को दायर मुकदमे में कहा गया, यह राष्ट्रपति के वैध अधिकार का अतिक्रमण है।