{"_id":"673584575761288638044847","slug":"karnataka-government-plan-to-impose-green-cess-on-water-bill-to-develop-western-ghats-2024-11-14","type":"story","status":"publish","title_hn":"Karnataka: पानी के बिल पर ग्रीन सेस लगाने की तैयारी कर रही सरकार? डिप्टी सीएम बोले- ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
Karnataka: पानी के बिल पर ग्रीन सेस लगाने की तैयारी कर रही सरकार? डिप्टी सीएम बोले- ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कर्नाटक
Published by: नितिन गौतम
Updated Thu, 14 Nov 2024 02:57 PM IST
सार
कर्नाटक के वन एवं पर्यावरण मंत्री ईश्वर बी खांडरे ने अतिरिक्त मुख्य सचिव को भेजे पत्र में निर्देश दिया है कि वे सात दिनों के भीतर एक प्रस्ताव पेश करें, जिससे कस्बों और शहरों में पानी के बिलों पर दो या तीन रुपये का ग्रीन सेस लगाया जा सके।
विज्ञापन
डीके शिवकुमार, सिद्धारमैया
- फोटो : एएनआई (फाइल)
विज्ञापन
विस्तार
कर्नाटक की सरकार पानी के बिलों पर ग्रीन सेस (हरित उपकर) लगाने की तैयारी कर रही है। दरअसल कर्नाटक सरकार के वन, पारिस्थितिकी और पर्यावरण मंत्री ईश्वर बी खांडरे ने राज्य के वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को प्रस्ताव पेश करने के निर्देश दिए हैं। सरकार का कहना है कि सेस के पैसे से पश्चिमी घाटों का विकास किया जाएगा, जो पर्यावरण के लिहाज से बेहद अहम हैं। हालांकि डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने ऐसे किसी भी प्रस्ताव से इनकार किया।
क्यों अहम हैं पश्चिमी घाट
कर्नाटक के वन एवं पर्यावरण मंत्री ईश्वर बी खांडरे ने अतिरिक्त मुख्य सचिव को भेजे पत्र में निर्देश दिया है कि वे सात दिनों के भीतर एक प्रस्ताव पेश करें, जिससे कस्बों और शहरों में पानी के बिलों पर दो या तीन रुपये का ग्रीन सेस लगाया जा सके। ग्रीन सेस से मिले पैसों से एक कोष बनाया जाएगा, जिससे पश्चिमी घाटों का संरक्षण होगा। गौरतलब है कि पश्चिमी घाट न केवल जैव विविधता के लिए अहम स्थल हैं, साथ ही ये तुंगा, भद्रा, कावेरी, काबिनी, हेमावती, कृष्णा, मालाप्रभा, घाटप्रभा और अन्य नदियों का स्त्रोत भी हैं।
ग्रीन सेस के पैसों से बनाया जाएगा फंड
वन एवं पर्यावरण मंत्री ईश्वर बी खांडरे ने बताया कि अधिकारियों से मिले प्रस्ताव को मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री के पास भेजा जाएगा। खांडरे ने अपने पत्र में लिखा कि पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी तंत्र और कर्नाटक राज्य के लिए जीवन रेखा है। राज्य के शहरों और कस्बों को जो पानी की आपूर्ति की जाती है, वह पश्चिमी घाट से निकलने वाली नदियों के पानी से ही की जाती है। ग्रीन सेस के पैसे से एक फंड बनाया जाएगा और उस फंड के पैसों से पर्यावरण विभाग किसानों द्वारा बेची जा रही जमीन की खरीद करेगा और मानव-हाथी संघर्ष को रोकने के लिए वन सीमाओं पर अवरोध भी लगाने की योजना है। इस फंड के पैसे को कहीं और खर्च नहीं किया जाएगा।
मंत्री ने कहा कि 'लोग हमेशा पानी के उपचार तथा परिवहन के लिए भुगतान करते हैं। कोई भी पानी के स्रोत के बारे में नहीं सोचता। यह उपकर लोगों में जागरूकता बढ़ाने तथा उनके द्वारा उपभोग किए जा रहे पानी के महत्व को समझने में मदद करेगा। पश्चिमी घाट क्षेत्र खतरे में हैं तथा वन क्षेत्रों को संरक्षित किए जाने की आवश्यकता है।'
डिप्टी सीएम ने बताया फर्जी खबर
वहीं कर्नाटक के डिप्टी सीएम और पार्टी के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार ने पानी के बिलों पर ग्रीन सेस लगाने की खबरों को गलत बताया और कहा कि सरकार की तरफ से ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। डीके शिवकुमार ने कहा कि ये सब फर्जी खबर है और इसे भाजपा द्वारा फैलाया जा रहा है।
Trending Videos
क्यों अहम हैं पश्चिमी घाट
कर्नाटक के वन एवं पर्यावरण मंत्री ईश्वर बी खांडरे ने अतिरिक्त मुख्य सचिव को भेजे पत्र में निर्देश दिया है कि वे सात दिनों के भीतर एक प्रस्ताव पेश करें, जिससे कस्बों और शहरों में पानी के बिलों पर दो या तीन रुपये का ग्रीन सेस लगाया जा सके। ग्रीन सेस से मिले पैसों से एक कोष बनाया जाएगा, जिससे पश्चिमी घाटों का संरक्षण होगा। गौरतलब है कि पश्चिमी घाट न केवल जैव विविधता के लिए अहम स्थल हैं, साथ ही ये तुंगा, भद्रा, कावेरी, काबिनी, हेमावती, कृष्णा, मालाप्रभा, घाटप्रभा और अन्य नदियों का स्त्रोत भी हैं।
विज्ञापन
विज्ञापन
ग्रीन सेस के पैसों से बनाया जाएगा फंड
वन एवं पर्यावरण मंत्री ईश्वर बी खांडरे ने बताया कि अधिकारियों से मिले प्रस्ताव को मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री के पास भेजा जाएगा। खांडरे ने अपने पत्र में लिखा कि पश्चिमी घाट पारिस्थितिकी तंत्र और कर्नाटक राज्य के लिए जीवन रेखा है। राज्य के शहरों और कस्बों को जो पानी की आपूर्ति की जाती है, वह पश्चिमी घाट से निकलने वाली नदियों के पानी से ही की जाती है। ग्रीन सेस के पैसे से एक फंड बनाया जाएगा और उस फंड के पैसों से पर्यावरण विभाग किसानों द्वारा बेची जा रही जमीन की खरीद करेगा और मानव-हाथी संघर्ष को रोकने के लिए वन सीमाओं पर अवरोध भी लगाने की योजना है। इस फंड के पैसे को कहीं और खर्च नहीं किया जाएगा।
मंत्री ने कहा कि 'लोग हमेशा पानी के उपचार तथा परिवहन के लिए भुगतान करते हैं। कोई भी पानी के स्रोत के बारे में नहीं सोचता। यह उपकर लोगों में जागरूकता बढ़ाने तथा उनके द्वारा उपभोग किए जा रहे पानी के महत्व को समझने में मदद करेगा। पश्चिमी घाट क्षेत्र खतरे में हैं तथा वन क्षेत्रों को संरक्षित किए जाने की आवश्यकता है।'
#WATCH | Bengaluru | Karnataka Deputy CM DK Shivakumar says," There is no such proposal (of green cess on water bills). It is all bogus news the BJP is trying to create." pic.twitter.com/F0HXtQD898
— ANI (@ANI) November 14, 2024
डिप्टी सीएम ने बताया फर्जी खबर
वहीं कर्नाटक के डिप्टी सीएम और पार्टी के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार ने पानी के बिलों पर ग्रीन सेस लगाने की खबरों को गलत बताया और कहा कि सरकार की तरफ से ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। डीके शिवकुमार ने कहा कि ये सब फर्जी खबर है और इसे भाजपा द्वारा फैलाया जा रहा है।