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कर्नाटक में गहराया सियासी संकट: सिद्धारमैया झुकने को नहीं तैयार, शिवकुमार ने नेतृत्व को याद दिलाया 'वादा'

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, बंगलूरू Published by: देवेश त्रिपाठी Updated Fri, 28 Nov 2025 08:32 AM IST
सार

कर्नाटक में संभावित नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच डीके शिवकुमार ने फिलहाल नेतृत्व परिवर्तन पर किसी भी तरह की बातचीत होने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि वह किसी भी चीज के लिए जल्दबाजी में नहीं हैं।

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Karnataka Political Turmoil Siddaramaiah DK Shivakumar Clash deepens over CM Post Congress
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार - फोटो : पीटीआई
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विस्तार
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कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर मचा सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुबानी जंग जारी है। हालिया घटनाक्रमों की बात करें तो दोनों पक्षों की ओर से एक-दूसरे पर शब्द या वादे को निभाने की ओर इशारा कर रहे हैं।

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कर्नाटक में संभावित नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच राज्य के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने फिलहाल नेतृत्व परिवर्तन पर किसी भी तरह की बातचीत होने से इनकार कर दिया है। कांग्रेस नेता शिवकुमार गुरुवार को कहा कि वह किसी भी चीज के लिए जल्दबाजी में नहीं हैं। उन्होंने साफ किया कि हाल ही में हुई मुंबई यात्रा के दौरान उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेताओं से मुलाकात नहीं की थी। 
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डीके शिवकुमार को कर्नाटक में सिद्धारमैया के उत्तराधिकारी के तौर पर देखा जा रहा है। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट के जरिए सबसे पहले नेतृत्व परिवर्तन की ओर इशारा किया। इसे पार्टी नेतृत्व को उसके कथित वादे के बारे में सार्वजनिक तौर पर संकेत के रूप में देखा गया था। 

माना जाता है कि शिवकुमार को कर्नाटक सरकार के पांच साल के कार्यकाल के ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बनाए जाने का फॉर्मूला दिया गया था। कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने 20 नवंबर को ढाई साल पूरे कर लिए हैं। हालांकि, कांग्रेस की ओर से आधिकारिक तौर पर ऐसा कोई एलान नहीं किया गया था।

डीके शिवकुमार ने कांग्रेस नेतृत्व को याद दिलाया वादा
कांग्रेस नेता शिवकुमार ने अपनी पोस्ट में कहा था कि अपनी बात पर कायम रहना दुनिया की सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने कहा कि चाहे वह जज हों, राष्ट्रपति हों या कोई और, जिसमें मैं भी शामिल हूं, सभी को अपनी बात पर चलना होगा। शब्द की ताकत ही विश्व की ताकत है।

डीके शिवकुमार की इस 'शब्द' वाली पोस्ट पर पलटवार करते हुए सिद्धारमैया ने कुछ ही घंटों बाद उसी शब्दावली का इस्तेमाल किया। उन्होंने उन कामों की भी सूची दी जो वे अपने शेष कार्यकाल में करने की योजना बना रहे हैं- जो दर्शाने के लिए काफी है कि वे सीएम पद छोड़ने के मूड में नहीं हैं।

सिद्धारमैया सीएम पद छोड़ने के मूड में नहीं
सिद्धारमैया ने लिखा कि कर्नाटक की जनता की ओर से दिया गया जनादेश एक क्षण नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी है जो पूरे पांच साल तक चलती है। उन्होंने लिखा, 'एक शब्द तब तक शक्ति नहीं है जब तक वह लोगों के लिए दुनिया को बेहतर न बनाए। कर्नाटक के लिए हमारा शब्द कोई नारा नहीं है, यह हमारे लिए पूरी दुनिया है।'

उन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर अपने पिछले कार्यकाल (2013-18) का उल्लेख किया, जिसके दौरान उन्होंने दावा किया था कि, '165 में से 157 वादे पूरे किए गए और 95 फीसदी से अधिक वादे पूरे किए गए।' मुख्यमंत्री ने कहा, 'इस कार्यकाल में 593 में से 243 से अधिक वादे पूरे हो चुके हैं और शेष सभी वादे प्रतिबद्धता, विश्वसनीयता और सावधानी के साथ पूरे किए जाएंगे।'

झगड़े के केंद्र में ढाई साल वाला फॉर्मूला
कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी के भीतर छिड़े संकट की मुख्य वजह 'ढाई साल का फॉर्मूला' है। पार्टी के अंदरूनी झगड़ों में यह खुलकर सामने आता रहा है। हाल के वर्षों में कांग्रेस को कम से कम दो बार राजस्थान और छत्तीसगढ़ में इसी फॉर्मूले के चलते संकट का सामना करना पड़ा है। इन दोनों राज्यों में बाद में हुए चुनावों में उसे सत्ता गंवानी पड़ी थी। इस पूरे मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि कोई भी फैसला पूरी तरह से आलाकमान की ओर से ही लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस पर सार्वजनिक रूप से चर्चा करने की जरूरत नहीं है।

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