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उपलब्धि: काजीरंगा में गैंडा ही नहीं, 146 प्रजातियों के 1,919 पक्षियों का भी बसेरा; पक्षी विविधता में रिकॉर्ड

अमर उजाला नेटवर्क Published by: लव गौर Updated Thu, 23 Oct 2025 06:55 AM IST
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सार

यूनेस्को सूची में शुमार असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान ने इस वर्ष काटी बिहू बर्ड काउंट 2025 के दौरान पक्षी विविधता का नया विश्वस्तरीय रिकॉर्ड स्थापित किया है। कुल 146 प्रजातियों के 1,919 पक्षियों की पहचान की गई है। 

Kaziranga in Assam is not only home to rhinoceros but also to 1919 birds of 146 species
पक्षी विविधता का नया विश्वस्तरीय रिकॉर्ड - फोटो : अमर उजाला प्रिंट
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विस्तार
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यूनेस्को सूची में शुमार असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान ने इस वर्ष काटी बिहू बर्ड काउंट 2025 के दौरान पक्षी विविधता का नया विश्वस्तरीय रिकॉर्ड स्थापित किया है। कुल 146 प्रजातियों के 1,919 पक्षियों की पहचान के साथ काजीरंगा ने यह साबित कर दिया कि यह केवल एक सींग वाले गैंडे का घर नहीं, बल्कि पक्षियों के लिए भी पृथ्वी का एक जीवंत स्वर्ग है। इस सर्वेक्षण में दो संकटग्रस्त, छह संकटापन्न (वल्नरेबल) यानी जिन पर खतरा बढ़ रहा है, लेकिन स्थिति अभी इतनी गंभीर नहीं कि वे तुरंत लुप्त हो जाएं और छह निकट संकटग्रस्त प्रजातियों की उपस्थिति दर्ज हुई, जो इसकी पारिस्थितिक महत्ता और संरक्षण क्षमता का वैश्विक प्रमाण हैं।
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काजीरंगा की भौगोलिक और पारिस्थितिक संरचना उसे पक्षियों के लिए दुनिया के सबसे उपयुक्त आवासों में शामिल करती है। काटी बिहू बर्ड काउंट में कुल 146 प्रजातियों के 1,919 पक्षी दर्ज किए गए। इनमें से 2 संकटग्रस्त प्रजातियां स्वैम्प ग्रास बैबलर और पलास का फिश ईगल, 6 संकटापन्न प्रजातियां ग्रेट हॉर्नबिल, रिवर टर्न, लेसर अडजुटेंट, स्लेंडर-बिल्ड बैबलर, ग्रेटर स्पॉटेड ईगल और स्वैम्प फ्रैंकोलिन,6 निकट संकटग्रस्त प्रजातियां वुली-नेक्ड स्टॉर्क, नॉर्दर्न लैपविंग, स्पॉट-बिल्ड पेलिकन, ग्रे-हेडेड फिश ईगल, ब्लॉसम-हेडेड पेराकीट, रिवर लैपविंग और बाकी 132 प्रजातियां सामान्य श्रेणी में थीं, जो दर्शाता है कि काजीरंगा सभी स्तरों के पक्षियों के लिए एक संतुलित पारिस्थितिक तंत्र प्रदान करता है।
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इस बार के बर्ड काउंट में पांच प्रमुख क्षेत्र शामिल रहे।अगरातोली रेंज यहां सर्वाधिक 89 प्रजातियां,गामीरी रेंज में 59 प्रजातियां,पानबारी रेंज में 59 प्रजातियां,पानपुर (बिस्वनाथ वन्य प्रभाग) 55 प्रजातियां और लाओखोवा वन्यजीव अभयारण्य में 37 प्रजातियों का मिलन बेहद सुखद है। यह विविधता इस बात की पुष्टि करती है कि हर रेंज की अपनी विशिष्ट पारिस्थितिकी है, जो अलग-अलग प्रजातियों को आकर्षित करती है।

वैज्ञानिक और सामाजिक महत्त्व
काटी बिहू बर्ड काउंट’ कोई सामान्य सर्वेक्षण नहीं बल्कि एक वैज्ञानिक-सामाजिक आंदोलन है। इसके माध्यम से पक्षियों की जनसंख्या, प्रवास पैटर्न और आवासीय परिवर्तन के वैज्ञानिक आंकड़े जुटाए जाते हैं। इन आंकड़ों का उपयोग संरक्षण नीतियों, जलवायु अनुकूलन रणनीतियों और पर्यटन प्रबंधन में किया जाता है। 

काटी बिहू बर्ड काउंट 2025 ने यह संदेश दिया है कि जब विज्ञान, समाज और स्थानीय चेतना साथ आते हैं तब जैव विविधता की रक्षा केवल संभव ही नहीं प्रेरक भी बन जाती है। काजीरंगा की यह सफलता भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए एक उदाहरण है  जहां प्रकृति और मानव का सह-अस्तित्व पर्यावरण संतुलन की दिशा में ठोस कदम साबित हो सकता है।

इन्होंने खींचा ध्यान
इस आयोजन में जिन पक्षियों ने सर्वाधिक ध्यान खींचा उनमें शामिल हैं ग्रेट हॉर्नबिल, ब्लू-नेप्ड पिट्टा, स्पॉट-बिल्ड पेलिकन, स्वैम्प फ्रैंकोलिन, टाइगा फ्लायकैचर, ग्रे-हेडेड वुडपैकर, ब्लू-ईयर्ड बारबेट, लेसर अडजुटेंट और रूबी-चीक्ड सनबर्ड। इनमें से कई प्रजातियां सर्दियों में प्रवास कर भारत आती हैं, जबकि कुछ काजीरंगा की स्थायी निवासी हैं।
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