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लालू-तेजस्वी-अशोक गेहलोत के बीच हुई क्या बातचीत?
अमर उजाला डिजिटल डॉट कॉम Published by: आदर्श Updated Thu, 23 Oct 2025 12:40 PM IST
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बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर जारी असमंजस अब सुलझने की ओर बढ़ता दिख रहा है। बुधवार को राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, जो कांग्रेस के राष्ट्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर बिहार में डटे हैं, ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव से राबड़ी देवी आवास पर लंबी बैठक की।
सूत्रों के अनुसार, बैठक में सीटों के तालमेल, चुनाव प्रचार की साझा रणनीति और विवादित सीटों पर “फ्रेंडली फाइट” के समाधान को लेकर विस्तार से चर्चा हुई।
राबड़ी आवास से बाहर निकलने के बाद अशोक गहलोत ने मीडिया से बातचीत में कहा, “हमारी लालूजी और तेजस्वीजी के साथ बहुत अच्छी और रचनात्मक बातचीत हुई है। कल यानी गुरुवार को एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी, जिसमें सारी बातें स्पष्ट हो जाएंगी। महागठबंधन पूरी तरह एकजुट है और हम मिलकर बिहार में एनडीए को कड़ी चुनौती देंगे।”
गहलोत ने यह भी संकेत दिया कि बिहार की कुल 243 सीटों में से 5 से 10 सीटों पर ‘फ्रेंडली फाइट’ की स्थिति रहेगी। उन्होंने कहा कि यह स्वाभाविक है क्योंकि कई क्षेत्रों में स्थानीय समीकरणों को देखते हुए दोनों पार्टियों के नेताओं ने नामांकन किया है।
कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्ण अल्लावरू भी बैठक में मौजूद थे। उन्होंने कहा कि बैठक में आगे की रणनीति और सरकार बनने के बाद के साझा एजेंडे पर बात हुई है।
उन्होंने कहा, “हम जनता के लिए क्या करने जा रहे हैं, इस पर हमने एक रोडमैप तैयार किया है। एनडीए को अब यह बताना चाहिए कि उन्होंने पिछले पांच वर्षों में क्या किया है। हम जनता के सामने जवाबदेही के साथ जाएंगे।”
अल्लावरू ने फ्रेंडली फाइट के सवाल पर कहा कि 23 अक्तूबर को होने वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूरी जानकारी दे दी जाएगी।
महागठबंधन की स्थिति का आंकड़ा बताता है कि तालमेल पूरी तरह परफेक्ट नहीं रहा। राजद ने 143, कांग्रेस ने 60, भाकपा माले ने 20, वीआईपी ने 15, सीपीआई ने 9, सीपीएम ने 4 और आईआईपी ने 3 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। कुल मिलाकर यह संख्या 254 सीटों तक पहुंच गई है, यानी 12 सीटों पर “फ्रेंडली फाइट” की स्थिति है।
सूत्रों के अनुसार, 60 सीटों पर चुनाव लड़ रही कांग्रेस को अब भी 10 सीटों पर अपने ही गठबंधन सहयोगियों से चुनौती मिल रही है। इनमें वारसिलीगंज, नरकटियागंज, कहलगांव, सुल्तानगंज, वैशाली, सिकंदरा, बछवाड़ा, बिहारशरीफ, करगहर और राजापाकड़ जैसी सीटें शामिल हैं।
इनमें छह सीटों पर कांग्रेस के सामने सीधे राजद उम्मीदवार हैं।
वहीं कुछ सीटों पर नामांकन वापसी या रद्द होने से हालात थोड़े सहज हुए हैं। जैसे, लालगंज से कांग्रेस प्रत्याशी आदित्य राजा ने राजद प्रत्याशी शिवानी शुक्ला के खिलाफ मैदान से नाम वापस ले लिया। गौड़ाबौराम में वीआईपी उम्मीदवार के नामांकन के बाद राजद ने अपने उम्मीदवार को बैठा दिया।
सुगौली और मोहनिया में महागठबंधन के प्रत्याशियों का नामांकन रद्द हुआ।
राजद और कांग्रेस दोनों ही चाहते हैं कि अब महागठबंधन में मतभेद की कोई छवि बाहर न जाए। अशोक गहलोत और कृष्ण अल्लावरू को इसी जिम्मेदारी के तहत दिल्ली हाईकमान ने भेजा है ताकि तालमेल को आखिरी रूप दिया जा सके।
लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव ने भी संकेत दिए हैं कि “विरोध की खबरों को खत्म करने और साझा प्रचार रणनीति” के लिए अब संयुक्त रैलियों का खाका तैयार किया जाएगा।
महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे का झगड़ा भले अभी पूरी तरह खत्म न हुआ हो, लेकिन बुधवार की बैठक के बाद एकता का संदेश देने की कोशिशें तेज हो गई हैं।
अब सबकी नजरें आज होने वाली संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस पर टिकी हैं, जहां यह साफ हो जाएगा कि महागठबंधन 243 सीटों के मैदान में किस फार्मूले के साथ उतरने जा रहा है और क्या “फ्रेंडली फाइट” की ये 10-12 सीटें आखिर में सच्ची दोस्ती में बदलेंगी या नई दरार की शुरुआत करेंगी।
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